आशा को सहारा दिया

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hindi sex story, antarvasna मेरा प्रॉपर्टी का काम है और मेरा प्रॉपर्टी का काम लखनऊ में है मेरा काम काफी पुराना है और मेरे पास जो भी कस्टमर आता है मैं उसे उसकी पसंद का घर या फिर प्लॉट दिखा देता हूं लेकिन मेरा काम अब काफी बढ़ने लगा था इसलिए मुझे किसी को अपने ऑफिस में रखना पडा, मैंने एक लड़के को अपने ऑफिस में रख लिया लेकिन वह अच्छे से काम नहीं कर पा रहा था इसलिए मैंने उसे कुछ समय बाद ही काम से हटा दिया। मैंने एक दिन अखबार में इस्तेहार दिया मेरे पास एक महिला आई और जब मैंने उसका इंटरव्यू लिया तो मुझे उसका कॉन्फिडेंस देख कर बहुत अच्छा लगा मैंने उसे काम पर रख लिया उसका नाम आशा है, उसने मुझे अपने बारे में सब कुछ बता दिया वह मुझे कहने लगी कि सर मेरा डिवोर्स हो चुका है और मैं अपने पति से अलग रहती हूं लेकिन मैं कुछ करना चाहती हूं।

आशा इससे पहले भी किसी जगह नौकरी किया करती थी लेकिन वह अपने डिवोर्स की वजह से काफी परेशान हो चुकी थी इसलिए उसने नौकरी छोड़ दी थी मुझे भी उसी की तरह कोई महिला चाहिए थी जो कि काम के प्रति ईमानदार और अच्छे से काम कर सके, जब भी मैं ऑफिस में नहीं होता तो आशा पूरी तरीके से काम को संभाल लेती। मेरे जितने भी क्लाइंट आते हैं उन्हें आशा अच्छे से हैंडल करती ताकि मेरा काम अच्छे से बना रहे, वह काम भी सीखने लगी थी और एक दिन आशा ने मुझे कहा कि सर मुझे कुछ दिनों के लिए छुट्टी चाहिए, मैंने आशा से कहा लेकिन तुम यदि छुट्टी पर जाओगी तो मेरा काम कैसे चलेगा आशा ने मुझे बताया कि वह प्रेग्नेंट है जब उसने मुझे यह बात बताई तो मैंने सोचा चलो अब तो छुट्टी देनी ही पड़ेगी और आशा को मैंने कुछ दिनों के लिए छुट्टी दे दी लेकिन मुझे किसी ना किसी को तो काम पर रखना ही था इसलिए मैंने कुछ समय बाद एक लड़की को काम पर रख लिया वह भी अच्छे से काम कर रही थी लेकिन वह आशा की तरह काम नहीं कर पाती।

मैं भी अपने काम में इतना बिजी हो चुका था कि मुझे ज्यादा समय नहीं मिल पाता था मैं एक जगह अपनी बिल्डिंग तैयार करवा रहा था ताकि मैं उसके फ्लैट बेच सकूं उसके लिए मैंने कुछ लोगों के साथ पार्टनरशिप भी की थी और मैं ज्यादा समय साइट पर गुजारता मैंने ऑफिस में जो लड़की काम पर रखी थी वह भी ठीक-ठाक काम संभाल लिया करती लेकिन कई बार मेरे ऑफिस में जो कस्टमर आते थे उन्हें वह बड़े ही खराब तरीके से व्यवहार करती लेकिन मैं अपने काम में बहुत ज्यादा बिजी था इसलिए मैं इस बात पर ध्यान नहीं दे पा रहा था। एक दिन मुझे आशा का फोन आया आशा ने मुझे फोन किया तो मैंने उससे पूछा तुम कैसी हो? आशा मुझे कहने लगी कि सर मेरा लड़का हुआ है जब उसने मुझे यह बात बताई तो मैंने सोचा कि चलो आशा से मिल लिया जाए, मैं उससे मिलने के लिए उसके घर पर चला गया जब मैं उसके घर पर गया तो उसके घर में उसकी मां थी आशा ने मुझे अपनी मां से मिलवाया मैंने जब उसके छोटे बच्चे को देखा तो मैंने आशा से पूछा कितने महीने का है, आशा कहने लगी कि सर अभी एक महीने का है, मैंने आशा से पूछा तो फिर तुम कब से काम पर आ रही हो, आशा कहने लगी सर अभी तो नहीं हो पाएगा क्योंकि बच्चे की देखभाल करने के लिए भी कोई नहीं है, मैंने आशा से कहा चलो कोई बात नहीं तुम अपने बच्चे की देखभाल करो मैं तो सिर्फ ऐसे ही कह रहा था। आशा के जीवन में इतनी परेशानी होने के बावजूद भी वह खुश रहती और उसके चेहरे पर मैंने कभी भी तनाव नहीं देखा था जब भी मैं उसे देखता तो मुझे भी उसे देख कर बहुत अच्छा लगता। मेरे फ्लैट का काम भी पूरा हो चुका था लेकिन हम लोगों ने जो सोचा था वह हो नहीं पाया, मेरे फ्लैट बिक ही नहीं रहे थे क्योंकि हम लोगों ने जो फ्लैट बनाए थे शायद उसके दाम उस जगह से ज्यादा थे इस वजह से हमारे फ्लैट नहीं बिक पाए, हम लोगों ने उसके लिए अखबार में कई इस्तेहार दिए और कई बैनर भी लगाए परंतु हमें कोई कस्टमर मिल ही नहीं रहा था हमारे कुछ फ्लैट तो बिक चुके थे परंतु अब भी काफी फ्लैट बचे थे, मैंने पहली बार ही इतना बड़ा प्रोजेक्ट उठाया था और जिस वजह से मुझे यह चिंता सता रही थी हमारे प्रोजेक्ट को बने हुए करीब 7 महीने हो चुके थे पर अब भी ऐसा कुछ दिख नहीं रहा था कि उससे हमें कुछ फायदा हो पाए, मैंने कुछ पैसे बैंक से लोन लिए थे और मेरी दिन ब दिन हालत खराब होती जा रही थी मैं बहुत चिंता में भी था, एक दिन मुझे आशा का फोन आया और आशा कहने लगी कि सर मैं जॉब करना चाहती हूं मैंने उसे कहा हां तुम जॉब पर आ सकती हो।

मुझे पता था कि यदि आशा काम पर आ जाएगी तो जरूर मुझे उससे फायदा मिलेगा आशा भी काम पर आ गई और मैंने जिस लड़की को काम पर रखा था वह भी काम कर रही थी लेकिन आशा के बात करने का तरीका और उसका कॉम्फिडेन्स बहुत अच्छा था वह कस्टमर को पूरी तरीके से फ्लैट देने के लिए तैयार कर लेती। जब आशा ने काम करना शुरू किया तो कुछ ही समय बाद हमारे आधे से ज्यादा फ्लेट बिग गए इसकी वजह से मैं बहुत खुश था मैंने आशा को एक कार भी गिफ्ट कर दी क्योंकि उस प्रोजेक्ट से मुझे बहुत फायदा मिलने वाला था, अब आधे फ्लैट बिक चुके थे और आधे फ्लैट ही रह गए थे एक दिन आशा ने मुझे कहा कि सर क्या आप मुझ पर इतना भरोसा करते हैं, मैंने आशा से कहा अगर मैं तुम्हें सच बताऊं तो तुम से ज्यादा मेहनती और ईमानदार महिला मैंने आज तक नहीं देखी तुम काम के प्रति पूरी तरीके से समर्पित रहती हो और तुम्हारी वजह से ही मै प्रोजेक्ट में घाटे से बच गया यदि यह फ्लैट नहीं बिकता तो शायद मैं बैंक का पैसा भी नहीं चुका पाता लेकिन मैंने अब धीरे-धीरे बैंक का पैसा भी चुका दिया है और मुझे प्रॉफिट भी होने लगा है, आशा कहने लगी सर मैं पूरी जी जान से काम करूंगी।

कुछ ही समय बाद हमारे और भी फ्लैट बिक गए जिससे कि मुझे और भी मुनाफा होने लगा मैं आशा को इंसेंटिव के तौर पर कुछ पैसे भी दे दिया करता जिससे कि वह भी खुश रहती और मेरे फ्लैट भी काफी हद तक बिक चुके थे, मेरे पार्टनर भी बहुत खुश थे और वह कहने लगे कि आशा में कुछ अलग ही बात है वह काम के प्रति बड़ी ही सीरियस है और जिससे भी वह बात करती है उसे वह फ्लैट बेच देती है। आशा को मेरे पास काम करते हुए अब काफी समय हो चुका था उस प्रोजेक्ट से मुझे बहुत फायदा हुआ था इसलिए मैंने दूसरा प्रोजेक्ट भी अपने हाथ पर ले लिया वह प्रोजेक्ट उससे भी बड़ा था और हम लोगों ने जब काम शुरू करवाया तो आशा को भी मैं कई बार अपने साथ साइट पर लेकर जाता, आशा को जब भी छुट्टी चाहिए होती थी तो मैं उसे छुट्टी दे दिया करता क्योंकि वह एक प्रकार से मेरी फैमिली मेंबर ही हो चुकी थी उसका भी मेरे घर पर आना जाना था और मैं भी उसके घर पर आता जाता रहता था इसलिए मैं उसे कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं किया करता, मेरी पत्नी भी जब आशा से मिली तो वह कहने लगी आशा बड़ी ही हिम्मतवाली है उसके साथ इतना कुछ हो गया लेकिन उसके बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी। आशा को मैं बहुत ही पसंद किया करता था, जब भी मैं उससे मिलता तो मुझे बहुत ही खुशी मिलती। एक दिन आशा मुझसे कहने लगी सर मुझे कभी कभार अपने पति की भी याद आती है। मैंने आशा से कहा क्या तुमने दूसरी शादी करने की नहीं सोची, वह कहने लगी नहीं मैंने इस बारे में कई बार सोचा लेकिन अब मेरा बच्चा भी हो चुका है और यह पहले पति से है तो शायद मुझे कोई स्वीकार नहीं करेगा। मैंने आशा से कहा तुम तो बहुत अच्छी हो तुम्हें कौन नहीं अपनाना चाहेगा। आशा मुझे कहने लगी क्या आप मुझे अपना सकते हैं। उस दिन हम दोनों ही ऑफिस में थे मैंने कुछ देर सोचा, मैंने जैसे ही आशा को कहा मैं तुम्हें अपना सकता हूं तो आशा मेरे पास आ गई। वह जब मेरे पास आकर मुझसे चिपकने लगी तो मैं समझ गया कि आशा का सेक्स करने का मन है।

मैंने भी उसकी जांघ को सहलाना शुरु किया और उसके स्तनों को दबाना शुरू किया। मैं जब उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाता तो मुझे भी बहुत मजा आता। मैंने आशा के स्तनों को काफी देर तक दबाया, जब मैंने उसे नंगा किया तो उसकी बड़ी गांड देखकर मैं उस पर पूरी तरीके से मोहित हो गया। आशा मुझे कहने लगी आपको कौन सा पोज ज्यादा अच्छा लगता है। मैंने आशा को टेबल के सहारे खड़ा कर दिया और उसकी गांड को मैं चाटने लगा, पहले मैंने उसकी चूत को भी बहुत देर तक चाटा उसकी चूत पूरी तरीके से गीली हो गई। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया, जैसे ही मैंने आशा की चूत में लंड डाला तो उसे भी अच्छा लगने लगा। मैं तेजी से उसकी चूत के मजे लेता, काफी देर ऐसे ही चलता रहा जब मेरा वीर्य आशा की योनि में जा गिरा तो उसे भी बहुत हल्का महसूस हुआ और मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हुआ। जब मैंने अपने लंड पर तेल की मालिश की तो मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने आशा की गांड में लंड को धकेलते हुए घुसा दिया जैसे ही मेरा लंड आशा की गांड में चला गया तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है। उसकी गांड मारने में मुझे बहुत मजा आया शायद उसे भी बहुत मजा आया। उसके बाद मैंने आशा को अपना लिया था लेकिन मैं उसे पत्नी का दर्जा कभी ना दे सका। जब भी मुझे चोदने का मन होता है तो मे उसे चोदता, वह भी मेरा पूरा ध्यान रखती है। जिस वजह से मैंने भी उसे कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी।
 
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