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(Aur Meri Biwi Pakdi Gai)
कहानी का पिछला भाग : मेरी बीवी की पहली चुदाई
दोस्तो, मैं आज अपनी चुदैल बीवी नीना की वह दास्तान बताने जा रहा हूँ, जिसके बाद हम दोनों की जिंदगी में बहार आ गई.

गर्मी के दिन थे, शायद जून की छः तारीख थी.
रात को दस बजे मैंने टॉप फ्लोर पर सोने का प्लान बनाया और नीना से कहा- तुम दोनों बच्चों के साथ नीचे सो जाओ, मैं ऊपर खुली हवा में सोने जा रहा हूँ. आज बड़ी मजेदार हवा चल रही है.
नीना ने भी हामी भर दी और मैं ऊपर चला गया.

रात को साढ़े ग्यारह बज रहे होंगे, मुझे जोर की प्यास लगी तो नींद टूट गई, सोचा, चलो नीचे पानी पी आते हैं. नीचे अपने फ़्लैट में गया और दरवाजा खटखटाया, मगर खुला नहीं. थोड़ी देर बाद फिर खटखटाया, तब भी नहीं खुला.
फिर गुस्सा आने लगा, मैंने सोचा कि यार ऐसी भी क्या नींद जो अभी घंटे भर के भीतर नीना उठ नहीं रही.

बहरहाल पीछे के दरवाजे से कमरे में घुसा तो देखता हूँ कि नीना है ही नहीं और दोनों बच्चे सो रहे हैं.

मैं सोचने लगा कि आखिर कहाँ है नीना? दरवाजे के पास ही अपना वाशरूम है, तसल्ली के लिए एक बार फिर से वाशरूम में झाँका. वहाँ भी नीना का पता नहीं चला.
आखिर कहाँ हो सकती है नीना? दिमाग में तूफान चलने लगा. मैं नीना को वन-मैन लेडी समझता था. तो दिमाग इस ओर गया ही नहीं कि वह अपनी चूत का स्वाद बदलने के चक्कर में भी हो सकती है.

पर अब मेरा शक गहराने लगा कि नीना जरूर नये लंड का टेस्ट लेने के लिए कहीं गई है.
मैंने एकबार अपने दिमाग पर जोर डाला तो सब कुछ सामने आ गया.

अपना किरायेदार प्रशांत के बीवी-बच्चे गर्मी की छुट्टी बिताने अपने शहर गए हुए हैं. नीना हो, ना हो, प्रशांत के फ़्लैट में मज़े कर रही है.
बस, मुझे चुपचाप आधे घंटे इंतजार ही तो करना था. इसी आधे घंटे में सच का पर्दाफाश होना था. लिहाज़ा नीना का असली चेहरा सामने आ गया.

तब बस इसी आधे घंटे के भीतर नीना अपने फ़्लैट में वापस आ गई. लेकिन मुझे कमरे में देखते ही सन्न रह गई. उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी कलई इस तरह खुल जाएगी.
मगर एक बात की दाद देना चाहूँगा कि नीना ने बिल्कुल निडर होकर अपनी मस्ती की सच्चाई को कबूल कर लिया.

उस रात हम दोनों सो नहीं सके. मेरे दिमाग में बड़ा उथल-पुथल चल रहा था, मुझे लगा, अब कैसे चलेगी जिंदगी?
बड़े पशोपेश के बाद मुझे खुद को सम्हालने में एक सप्ताह का समय लग गया और मैंने तय किया कि अब हम खुल कर ओपन-लाइफ यानि खुली जिन्दगी जियेंगे.

मैंने नीना को समझाया- देखो भई, अगर तुम अकेले में किसी के साथ चुदाई कर सकती हो तो मेरे सामने चुदाई का मजा लेने में क्या हर्ज़ है?
और यही बात मेरे ऊपर भी लागू होती है कि अगर मैं किसी लेडी के साथ मस्ती कर रहा हूँ तो छुप कर करने से बेहतर है कि हम खुल कर मज़े करें?

पति-पत्नी के बीच भरोसा सबसे बड़ी चीज है. उसमे लंड या चूत की मस्ती मायने नहीं रखती.
इस तरह मेरे और नीना के बीच एक तरह का एग्रीमेंट हो गया और हमने नई जिंदगी की शुरुआत कर दी.

साथ ही मैंने नीना से कहा- तुम प्रशांत को मेरी जानकारी में इस खुलासे की कहानी मत बताना. हम लोग छोटे क़स्बे में रहते हैं, यहाँ तमाम तरह की बाते होती रहती हैं.
तब तक प्रशांत का ट्रांसफर भी होने वाला था. वह चार महीने के भीतर ही दूसरे शहर में चला गया.

दोस्तो, कहानी के अगले भाग में मैं आपको बताऊँगा कि पकड़े जाने से पहले और बाद में नीना ने प्रशांत के कितनी और कैसे मस्ती की थी.
जिसे नीना ने मुझे शेयर किया था. अब हम दोनों के बीच भरोसा है और पति-पत्नी का असली रिश्ता है. पूरी मस्ती के साथ बिन्दास अंदाज़ है.
बस यहीं से चल निकली हमारी जिंदगी में खुली चुदाई की गाड़ी.

आपको कैसी लगी ये कहानी? अगर ये कहानी आपको अच्छी लगे तो हमें मेल जरूर करें. इससे हमारा मनोबल बढ़ेगा और मैं अगले भाग में भी आप तक अपनी जिंदगी का सच लिख सकूँगा.

कहानी का अगला भाग :मेरी बीवी निहाल हो गई
 
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