कविता के लाजवाब स्तनों को चूसा

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Antarvasna, hindi sex stories: मैं अपने कॉलेज के दिनों को याद कर रहा था कि किस तरीके से हम लोग कॉलेज में खूब मस्ती किया करते थे और मेरे जितने भी दोस्त थे वह सब लोग बहुत ही खुश रहा करते थे लेकिन अब मैं अपने जॉब के चलते उन लोगों से मिल नहीं पाता हूं। मैं अपनी नौकरी के चलते बहुत ज्यादा बिजी रहने लगा था इसलिए मेरी अपने दोस्तों से मुलाकात नहीं हो पाती थी। उस दिन मैं अपने घर पर था तो सोचा कि क्यों ना आज अपने कुछ पुराने दोस्तों से बात कर ली जाए और फिर मैंने अपने दोस्त निखिल को फोन किया।

मैंने जब निखिल को फोन किया तो निखिल से मेरी बातें हुई और निखिल मुझे कहने लगा कि राजेश तुम तो अब मिलते भी नहीं हो। मैंने निखिल को कहा कि मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं हो पाता है इसलिए मैं तुमसे मुलाकात नहीं कर पाता हूं। निखिल और मैं एक दूसरे को काफी बरसों से जानते हैं और मैंने निखिल को उस दिन कहा कि मैं तुमसे कुछ दिनों बाद जरूर मुलाकात करूंगा। निखिल मुझे कहने लगा कि ठीक है राजेश तुम जब मुझसे मिलोगे तो मुझे जरूर बताना और कुछ दिनों के बाद मैंने निखिल को मिलने का फैसला किया।

मैंने उस दिन अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और मैं निखिल को मिलने के लिए चला गया। मैं और निखिल एक दूसरे को मिले तो हम दोनों ने एक दूसरे के हाल-चाल पूछे। हमे बहुत ही अच्छा लगा जिस तरीके से हमने मुलाकात की थी निखिल से मिलकर मैं बड़ा खुश था और उससे मेरी काफी देर तक बात हुई। निखिल ने मुझे बताया कि क्यों ना हम सब दोस्त लोग मिलने का फैसला करें और हम लोग एक गेट टूगेदर पार्टी रखना चाहते थे। मैं निखिल की बात से सहमत था और मैंने निखिल को कहा कि तुम ही सारी पार्टी का अरेंजमेंट कर लो निखिल ने कहा कि हां ठीक है मैं सब लोगों से इस बारे में बात करता हूं। निखिल ने हमारे क्लास में पढ़ने वाले सब लोगों से बात की और हम सब लोग मिलने वाले थे मैं इस बात से बड़ा ही खुश था और मैं बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड था कि मैं अपने सारे पुराने दोस्तों से मिलूंगा।

जब उस दिन हम लोग सब एक दूसरे को मिले तो सब लोग बहुत ही खुश थे मैं काफी सालों के बाद अपने कुछ पुराने दोस्तों को मिल रहा था तो मुझे इस बात की बड़ी खुशी थी। जिस तरीके से मैंने उन लोगों से मुलाकात की और हम सब लोगों ने एक दूसरे के साथ में काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया। उस दिन मुझे लगा कि सब लोग अपनी लाइफ में कितने ज्यादा बिजी हो चुके हैं लेकिन जब उस दिन हम लोगों की मुलाकात हुई तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा था। पापा और मम्मी चाहते थे कि मेरी छोटी बहन महिमा की सगाई हो जाए उन लोगों ने महिमा के लिए एक लड़का देख लिया था जो कि हमारे पड़ोस में ही रहता है। हम दोनों परिवार वाले एक दूसरे के परिवार को काफी पहले से जानते हैं इसलिए किसी को भी इस बात से कोई एतराज नहीं था और सब लोग शादी के लिए तैयार थे।

अब महिमा की सगाई संजीव के साथ हो चुकी थी, जब महिमा की सगाई संजीव के साथ हुई तो मुझे भी संजीव अच्छा लगा और जल्द ही उन लोगों की शादी भी होने वाली थी। जब महिमा की शादी संजीव के साथ हो गई तो सब लोग बड़े ही खुश थे क्योकि संजीव बहुत ही अच्छा लड़का है और वह एक अच्छी कंपनी में अच्छे पद पर है। वह महिमा को बहुत ही खुश रख रहा था जिससे कि सब लोग बहुत खुश थे।

जब महिमा कुछ दिनों बाद घर लौटी तो महिमा ने बताया कि संजीव उसका बहुत ही ध्यान रखता है और उन दोनों की जिंदगी में सब कुछ अब अच्छे से चल रहा था। महिमा अक्सर घर पर हमसे मिलने के लिए आ जाया करती थी और जब भी वह मिलने के लिए आती तो हम लोगों को बहुत ही अच्छा लगता था। पापा और मम्मी ने मुझसे भी कई बार मेरी शादी की बात को लेकर बात की थी लेकिन मैं अभी शादी करने के लिए तैयार नहीं था और मैं चाहता था कि थोड़े समय बाद मैं शादी करूं लेकिन पापा और मम्मी के दबाव में मुझे भी अब कुछ रिश्ते देखने पड़े।

मम्मी पापा के कहने पर मैं चाहता था कि मैं भी शादी कर लूँ तो मेरी सगाई उन्होंने शोभिता से करवा दी। शोभिता को मैं काफी पहले से जानता हूं क्योंकि शोभिता के पिताजी का हमारे घर पर अक्सर आना-जाना था। शोभिता के पिता जी मेरे पापा के बहुत ही अच्छे दोस्त हैं और वह लोग एक दूसरे को काफी समय से जानते हैं इसलिए वह अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना चाहते थे। शोभिता की सगाई मुझसे हो गई थी मुझे भी अच्छा लग रहा था कि शोभिता के साथ मेरी सगाई हो चुकी है। हम लोग एक दूसरे से मिला करते तो हम दोनों को अच्छा लगता हालांकि मैंने कभी भी सोचा नहीं था कि मेरी सगाई शोभिता से हो जाएगी लेकिन अब मेरी सगाई शोभिता के साथ हो चुकी थी। मुझे बड़ा ही अच्छा लगा था जिस तरीके से शोभिता और मेरी सगाई हुई। उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे हम दोनों एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे और हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ में होते हैं। एक दूसरे के साथ में हम लोग अच्छा टाइम स्पेंड किया करते। अब मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक चलने लगा था और मैंने अपनी पुरानी कंपनी से भी रिजाइन दे दिया था जिसके बाद मैंने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली थी।

दूसरी कम्पनी में मुझे अच्छी तनख्वाह भी मिल रही थी और मेरा प्रमोशन भी बहुत जल्द हो चुका था। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था कि मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक से चलने लगा है। मैंने जिस नए ऑफिस मे जॉइन किया था वहां पर कविता भी जॉब करती है और कविता मुझ पर अक्सर लाइन मारा करती थी। वह मुझ पर जिस तरीके से डोरे डाला करती थी उस से मैं भी समझ चुका था उसे मेरे साथ सेक्स करना है। मैं चाहता था मैं कविता के साथ सेक्स करू।

मैंने कविता के साथ सेक्स करने का मन बना लिया था। एक दिन वह जब ऑफिस में आई थी तो उस दिन वह बड़ी हॉट लग रही थी। उस दिन जब हम लोग लंच टाइम में साथ में बैठे हुए थे तो मैं कविता की ओर देख रहा था और उस से बातें कर रहा था। कविता को बड़ा अच्छा लग रहा था जिस तरीके से मैं उसके साथ में बातें कर रहा था और उसकी गर्मी को मैं बढ़ा रहा था। कविता भी मेरे साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो चुकी थी। उस दिन से जब हम दोनों फ्री हुए तो मैं कविता को अपने साथ में लेकर चला गया। मैं कविता के गुलाबी होठों को देखकर बहुत ही ज्यादा गरम हो रहा था।

मैंने कविता के होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जिस तरीके से मैं और कविता एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। अब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे जब मैंने कविता के होठों को चूमा तो मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था और उसे भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था जिस तरीके से मैं और कविता एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे। जब हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा दिया था तो हम लोग पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे और हम लोग बिल्कुल भी बर्दाश्त कर सके। मैंने कविता के सामने अपने लंड को किया उसने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया उसने मेरे लंड को पूरी तरीके से खड़ा कर दिया था। उसने मेरे लंड पर अपनी जीभ का स्पर्श किया तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगा और वह भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे।

वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी थी जिस तरीके से उसने अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटा तो मेरा लंड उसने पूरी तरीके से कड़क बना दिया था। मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था और वह भी बहुत ज्यादा खुश थी हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी थी जिस तरीके से मेरी और काविता की गर्मी बढने लगी थी उससे हम दोनों बिल्कुल भी रह नही पा रहे थे। कविता और मैं एक दूसरे की गर्मी को पूरी तरीके से बढा चुके थे जब हम दोनों की गर्मी बढ़ने लगी तो उसके बाद मैंने कविता के स्तनों को चूसना शुरू किया।

उसके स्तनों को मैं चूसने लगा मैं जब उसके स्तनो को चूस रहा था तो मुझे मजा आ रहा था मै उसके स्तन की गर्मी को बढा रहा था वह बहुत ही ज्यादा गरम हो चुकी थी और मेरे अंदर की गर्मी भी बढ चुकी थी जिस तरीके से मैं और कविता एक दूसरे के साथ में अब सेक्स करना चाहते थे। हम दोनों खुश हो चुके थे मैंने कविता की योनि को देखा तो उसकी चूत को चाटने का मन होने लगा और उसकी योनि को चाट कर मैंने पूरी तरीके से गर्म बना दिया था। जब उसकी चूत से पानी अधिक मात्रा में निकलने लगा था तो मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डालने का फैसला कर लिया था। जैसे ही मैंने उसकी योनि में लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा था और उसे भी बड़ा अच्छा लग रहा था।

कविता और मैं एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे। हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को बहुत ज्यादा बढ़ा कर रख दिया था मैंने उसकी चूत में अपने लंड को डालना शुरू कर दिया था। वह बहुत ज्यादा खुश हो रही थी जिस तरीके से मैं उसकी चूत के मजे ले रहा था और उसकी इच्छा को पूरा किए जा रहा था। वह मुझे कहने लगी मुझे और भी तेजी से चोदते जाओ मैं कविता को बड़ी तेज गति से चोद रहा था हम दोनों की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और वह बहुत ज्यादा गरम हो गई थी जिस तरीके से मैंने और कविता ने एक दूसरी की गर्मी का बढा दिया था।

हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे ना तो मैं अपने आप को रोक पा रहा था और ना ही कविता अपने आपको रोक पा रही थी। हम दोनों ही बड़े खुश थे। हम दोनों को बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन मेरा वीर्य बाहर की तरफ को गिर चुका था और जैसे ही मेरा माल गिरा तो मुझे मजा आ गया। कविता को भी बड़ा अच्छा लगा जब मैंने उसकी चूत में अपने माल को गिराया था और अपनी इच्छा को पूरा कर दिया था। मैं और कविता एक दूसरे के साथ में शारीरिक सुख का मजा लेकर बहुत ही ज्यादा खुश हो गए थे।
 
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