कहानी एक पीसीएस मतलब पतोह चोदू ससुर की[ भाग-1]

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जी हां मित्रों पोर्न कहानियां तो बहुत पढी होंगी आपने लेकिन ये कहानी आपके लिये कुछ स्पेशल है। क्या आप जानते हैं कि पीसीएस का मतलब क्या होता है- पी फ़ार पतोहू, सी फ़ार चोदू और एस फ़ार ससुर। तो इस तरह से बन गया पीसीएस मतलब कि पतोह चोदू ससुर्। ये कहानी उठाई गयी है हमारी इंडियन कामुक संस्कृति से जिसमें दिखावा तो बहुत है ढोंग बहुत है लेकिन हर जगह चुदाई का स्कोप छोड़ा गया है और इसे बड़े बड़ी पुस्तकों में अनुमति भी दी गयी है। एक प्रथा है नियोग की- 'नियोग' मतलब कि अगर किसी विवाहिता का मरद या खसम अगर पेल कर बच्चा पैदा करने में अक्षम है तो वह अपने मरद के किसी नजदीकि खून के रिश्ते, जैसे- देवर, भसुर, ससुर वगैरह से चुदाई करवा के बच्चा पैदा करवा सकती है। पुरानी किताबों में इसे नियोग कहा गया है। ये लो जब हम करें तो बलात्कार और वो करें तो प्यार लेकिन सेक्स के चाहने वालों सकसेक्स के पाठकों आप खुल के सेक्स करते रहिये और इस अनोखी और सच्ची कहानी का मजा लीजिए। कहानी के पात्रों के नाम बस बदल दिये गये हैं जिससे कि कोई विवाद न हो।

बाबा रंगू जी ने अपने भतीजे बम्पू की शादी करवाई एक ऐसी लौंडिया से जो कमाल की हसीन थी। लौंडिया का नाम बता देना सही रहेगा, उस हसीना जिसकी गरमा गरम जवानी कमाल की थी, उसका नाम था सरिता। यूपी बिहार में एक प्रचलन है, गौने मतलब कि इधर लौंडिया विवाह करने के बाद तुरत दूल्हे के घर नही आती बल्कि सालभर, दो साल के बाद अपने पिया के घर जाती हैं। तो गौने के बाद जब सरिता अपने राजा जी के घर आयी तो उसका सपना बहुत रंगीन था। अपने साथ बालीवुडिया हिरो और हिरोइन्स की तस्वीरे लेकर आयी लौंडिया को चुदाई और सेक्स के रंगीन ख्वाबों ने घेर रखा था। हो भी न क्यों आखिर में उसका हुस्न था लाखों में एक और वह थी एक पीस माल्। जरा उसकी जवानी का नक्शा बता दूं मैं आपको- कुछ लहलहाते हुए धान के खेतों के रंग का सुनहरा सा रुप, सावन भादों के काले बादलों जैसे घने बाल और उनके नीचे सुराही दार गरदन्।

चूंचे का विवरण देने के लिये शब्द नहीं हैं लेकिन इतना तय है कि इन क्वारें चूंचे को देखकर बड़े से लेकर बुड्ढे तक सबका दिमाग इन्हें पीने को बेताब हो जाता था, ये मयखाने थे जो अब तक किसी ने चखे नहीं थे। इन दो नायाब हीरों की बात करें या कमर से नीचे चलें? जाने दीजिए ये कहानी थोड़ी लंबी हो जायेगी लेकिन मैं अपनी बात बता दूं आपको संयोग से मैं इन सारी घटनाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से जानता हूं। मुझे भी उसकी चूत का दीदार करने को मिला लेकिन पीसीएस बाबू के चूत मार लेने के बाद। उम्मीद करता हूं इस कहानी के अगले सारे हिस्सों को पढने और समाज में चलने वाले सेक्स के छुपे छुपाये खेल को सामने लाने में आप हमारी मदद करेंगे। कहानी के अगले हिस्से में पढेंगे आप पीसीएस मतलब कि पतोह चोदू ससुर का अपना मामला भिड़ाना और अपने बेटे जैसे भतीजे की सुहागरात का सफ़र अपनी नंगी आंखों से देखना। पढिए कहानी पीसीएस की भाग-2
 
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