कहानी लेडी डौक्टर से चुदाई की | Hindi Sex Stories

कहानी लेडी डौक्टर से चुदाई की

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by sexstories, Jun 18, 2020.

  1. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    दोस्तोँ मेरा नाम प्रीतम है और मैँ आपको मेरी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ। मुझे पता है की आप पहेले से सेक्स कहानी पढ़ते है पर पर ये सेक्स कहानी आपको अलग ही मजा देगी, यह कहानी है एक लेडी डॉक्टर की चुदाई की कहानी| मैँ एक 19 साल का रिक्शा वाला हूँ और कानपुर मेँ रहता हूँ। मैँ काफी तगडा और हट्टा कट्टा हूँ। यह सब रिक्शा चलाने की वजह से हुआ है। वैसे तो मेरी शादी नहीँ हुई है लेकिन सेक्स की चाह मुझे अक्सर घेरे रहती है। ऐसा लगता है जैसे मेरे लंड को किसी जगह रगड दूँ। आज तक मैँने किसी लडकी को छूआ तक नहीँ है। मुझे मूठ मारने भी नहीँ आता था। बात कुछ दिनोँ पहले की है। मेरे लंड ने अचानक रात को पिचकारी छोड दी। मेरी नीन्द टूट गयी और मैँ घबरा गया। काफी सोच विचार करके मैँने डौक्टर के पास जाने का फैसला लिया। हमारे मोहल्ले के डौकटर साहब श्री सुरेश शर्मा काफी मशहूर हैँ।सुबह सुबह मैँ पहुंच गया उनके दवाखाने पर। लेकिन वहाँ डौकटर साहब नहीँ थे बल्कि एक 25 साल की गोरी सी बहुत चिकनी लडकी थी। उसकी चूची बडी बडी और काफी गोल थी। उसकी गांड भी मांसल थी।

    उसने बताया कि वो डौकटर साहब की असिस्टेंट है और डौकटर साहब किसी काम से दूसरे शहर गये हैँ और उनके बदले वो ही ईलाज करेगी। मेरी तो रुह कांप गई। उसने पूछा क्या बात है तो मैँने कहा कि मैँ उसे नहीँ बता सकता मेरी परेशानी क्या है। वो मेरे हाथ को पकड कर मुझे एक बेड पर लेटने को कही और बोली कि घबराओ मत। मैँने सोचा अब क्या करूँ और फिर सोचा चलो बता ही देता हूँ। मैँने उसे बताया कि मेरा लंड रात को तन गया और उसमेँ से कुछ निकलने लगा। वो मुझे देखते हुए कुछ सोची और बोली अच्छा चलो ज़रा दिखाओ तो। मैँ हक्का बक्का रह गया। फिर वो खुद आगे बढ कर मेरे पैंट को खोलने लगी और मेरे हाथ के पास उसकी चूची छूने लगी। मेरा लंड कडा होने लगा। वो मुझे अजीब निगाहोँ से देखने लगी और फिर वो बाहर गयी और दरवाजा बन्द कर आई। मैँने पूछा तो बोली कि यह काम अकेले मेँ करना होता है इसलिये। फिर वो आगे बढी और मेरे पैंट और कच्छे को पूरा निकाल दी। हाय, अब मेरा 11'' का मोटा काला लंड जो अब पूरी तरह से तन चुका था उसकी आंखोँ के सामने था। वो मुँह खोलकर उसे देखने लगी। उसकी सांसेँ तेज होने लगी और चूची ऊपर नीचे होने लगी। फिर वो उसे छू कर बोली अरे बाप रे यह तो काफी बडा है। फिर वो उसे कस कर पकड ली और मेरी चमडी को नीचे करने लगी तो लंड के छेद से थोडा सा पानी निकला।

    उसने उस पानी को अपनी ऊंगली से छू कर मेरे पूरे लंड के सुपारे पर फैला दिया। फिर वो बोली कि इसके अन्दर कुछ पानी जैसा फंस गया है, शायद पस होगा। मैँ डर गया तो वो बोली कि डरो मत मैँ इसे अभी चूस कर निकाल देती हूँ। यह कह कर उसने तुरंत मेरे लंड को अपने गुलाबी होठोँ से चूमा और पूरा मुँह खोलकर गप से लंड को मुँह मेँ भर लिया। मेरी तो जैसे जान ही लंड मेँ आ गयी। उसने मेरे लंड को चूसना जारी रखा। मैँ तो जैसे बेहोश ही हो गया। मुझे पगा जैसे वो लंड चूसने के बहाने मेरे ज्स्म की सारी ताकत चूस रही है। मैँ मदहोश हो गया। अचानक मेरी नज़र उसके हाथ पर गयी और देखा कि वो अपनी साडी और ब्लाऊज निकाल कर सिर्फ ब्रा और पैंटी मेँ आ चुकी थी। हाय, गजब की चोदू निकली वो तो। मैँने उसकी चूची को ब्रा पर से ही दबाना शुरु कर दिआ और वो वहाँ लंड को बेशर्मी और बेरहम हो कर चूसे जा रही थी। मैँने उसकी ब्रा उतार दिया और फिर उसकी पैंटी भी निकाल दिया। वो भी अब पूरी तरह से नंगी थी। मैँने उसके निप्पल को मसलना शुरु कर दिया। वो और तेजी से लंड को चूसने लगी लेकिन मेरे लंड मेँ से कुछ नहीँ निकल रहा था।

    फिर मैँने उसकी गांड को सहलाना और मसलना शुरु कर दिया। हाय क्या गांड थी उसकी एकदम मखमली और गद्देदार। मैँने उसकी गांड की दरार से होते हुए उसकी चूत मेँ ऊंगली डाल दिया। उसकी चूत बिना बाल वाली नाजुक थी और पनिया गयी थी। अचानक से वो मुझ पर चढ गयी और अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख कर रगडने लगी। मैँने उसकी चूत को चाटना और चूसना शुरु कर दिया। वो बडे मज़े से चूत को रगडने लगी और मेरे लंड को दम लगाकर चूसने लगी। मुझे लगा आज मेरा लंड इसके सिर को फाड कर बाहर आ जायेगा। मैँने नीचे से धक्का लगान शुर कर दिया तो चिल्लने लगी जब मैँ उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा। आअ ए ए ए एक्प को क क्क्काआआआआआ क्क ।। ।ल्ल्ल्ल्ल्लूओ ई आ आआअ।।।

    मुझे लगा कहीँ यह मर तो नहीँ रही है। लेकिन उसने अपनी चूत को और ज़ोर से मेरी जबान पर घिसना शुरु कर दिया। और मेरे लंड को ताकत से चूसने लगी। मुझे लगा कि यह सेक्स की देवी है जो आज मेरी वासना को मेरे लंड से बाहर निकालकर ही मानेगी। मैँने भी ताकत से उसकी चूत के दाने को अपने होंठ मेँ फंसा कर चूसना शुरु कर दिया। वो कसमसाने लगे। हम दोनोँ मेँ से कोई भी हार मानने को तैयार नहीँ था। दोनोँ ही दम लगा कर चुदाए मेँ तत्पर थे।

    उसने अचानक मेरे लंड के नीचे मेरे गोटोँ को पकड लिया और दबाने लगी जैसे कि किसी गाय का दूध निकाल रही हो। मैँने महसूस किया कि मेरे लंड मेँ और भी जान आ गयी है। सारे बदन का खून लंड मेँ आकर सिमट गया हो। फिर मैँने ज़ोर से उसकी चूत के दाने को काटा और वो सिसिया गयी और उसने भी लंड को दंत से काट लिया। हम दोनोँ मेँ से ही कोई भी हार मानने को तैयार नहीँ था। दोनोँ ही दम लगा कर लंड और चूत को चूस रहे थे और चाट रहे थे। आखिर्कार जब मैँने अपनी पूरी जीभ उसकी जीभ मेँ घुसेड दी तो वो लंड को पूरा निगल गयी और कसमसाते हुए मेरे मुँह मेँ ही झड गयी। और जैसे ही वो झडी मैँ भी उसके मुँह मेँ झडने लगा। उसने मेरा पूरा पानी पी लिया जैसे दूध पी रही हो। फिर हम दोनोँ 10 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे और फिर वो उठी और कुर्सी पर जा कर बैठ गयी। उसकी आंखेँ ऐसे लग रही थी जैसे वो नशा करके बैठी हो। मुझे वो बहुत ही कामुक लग रही थी।

    मैँ उस छोटे से बिस्तर से उठा और पानी पीने के लिये मटके के पास गया। मैँने खुद को आईने मेँ देखा। मेरे पूरे चेहरे पर उसकी चूत का पानी लसलसा कर फैला हुआ था। मैँने अपना मुँह पोंछ और फिर पिछे मुड कर पानी पीया। जब मैँ वापस बिस्तर के पास आ कर अपने कपडे लेने लगा तो उसने मुझे रोक दिया। और फिर वो बोली, इतनी जल्दी क्या है? अभी तुम्हारा ईलाज चल रहा है। घबराओ मत तुम ठेक ह जाओगे। फिर वो झुकी और मेरे लंड को सह्लाने लगी। मैँने देखा मेरे लंड ने फिर से हलचल करना शुरु कर दिया। उसने लंड को मुँह मेँ ले लिया और लगी चुभलाने। वो चूसे जा रही थी और मैँ कसमसाने लगा। मुझे लगा मैँ कभी भी इतना मज़ा नहीँ लूटा था। मैँने उसे खडा किया और उसके रसीले होंठ पर अपने होंठ रख दिये और उसे चोसना शुरु कर दिया। वो भी पागलोँ की तरह मुझे चूमने लगी और काटने लगी। मेरा लंड उसके पेट पर टकराने लगा। तो उसए पकड ली और सहलाने लगी। मैँने भी उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा और वो सिसियाने लगी। दोनोँ ही फिर से कामुक हो गये थे। फिर वो मुझे पलंग की ओर ले गयी और लेट गयी पलंग पर।

    मैँने उसकी टांगे फैला दिया और उसकी चूत को चाटने लगा तो वो सिसिया उठी और मेरे मुँह को फिर से चूत पर रगडने लगी। थोडी देर के बाद वो मुझे ऊपर खींच ली और मेरे लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर रगडने लगी। हाय क्या मखमली अहसास था वो। स्वर्ग जैसा अनुभव हुआ। मैँने अपने लंड को उसकी चूत के अन्दर ठेल दिया और वो कसमसा कर मुझसे लिपट गयी। थोडी देर तक हम खूब पेलम पेल किए और फिर थोडी देर के बाद दोनोँ ही एक साथ झड गये। क्या मज़ा आया था। दोस्तों अगर आप को यह कहानी अच्छी लगी तो जरुर अपनी राय हमें दे इस कहानी के लिए, सकसेक्स आपके लिए समर्पित है और हम आपको एक से एक बढ़िया सेक्स कहानी देने के लिए हमेशा तत्पर है|
     
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