कामक्रीडा की कहानी में दिलचस्पी बढाई | Hindi Sex Stories

कामक्रीडा की कहानी में दिलचस्पी बढाई

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by sexstories, Jun 18, 2020.

  1. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    दोस्तों आज मैं सोफिया की की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे ही चौथे वर्षीय कॉलेज की लड़की थी और मैं उसकी बहुत जल्दी गरम करने वाला था | हमारे प्रेम - सम्बन्ध के दौरान मैं उससे रोमांटिक बातें करता तो बस वो फिसल जाया करती थी और मुझे अपना दिल दे बैठी थी | मैंने अब अपनी प्यास भुजाने के लिए अक्सर उसके साथ कॉलेज के बाद चुम्मा - चाटी भी कर लिया करता था | मुझे अब उसके पूरे बदन को अपने नीचे नंगे देखने की तलब सी होने लगती | मैं उसे चुम्मा - चाटी तो खूब कर लेता था पर जब बात चुचों से नीचे पहुँचने की आती तो वो मुझे रोक लिया करती | मैं भी कौन सा इतनी ज़ल्दी माने वाला था और अब जब भी मै उससे चुम्मा - चाटी कर रह होता था तो उसकी चुन्नी के नीचे से चुचों को दबा लेता और कभी उसकी कुर्ती के अंदर हाथ डाल उसके चूचकों के साथ खेलता |

    एक दिन मैं सोफिया को अपने साथ कॉलेज के बाद बहार ले गया और और एक सुनसान इलाके में वहाँ उसके साथ पहुँच गया | वो हलकी सी चौंक गयी थी तभी मैंने अपनी तरफ खीच बाहों में भरके उसे चूमने लगा | उसे भी आज मेरी किसी भी हरकत से कोई इनकार ना था | मैंने बा खूब मस्त - मौला होते हुए उसकी कुर्ती खोल दिया और साथ ही ब्रा का भी हुक खोल हटा दिया | उसके नंगे मस्ताने चुचों को अब मैं चूसते हुए उससे खूब गरम कर दिया और मैंने कुछ देर बाद सोफिया को वहीँ धरती पर लिटा दिया | अब मैंने उसके बाजू में लेटते हुए उसकी नीचे की सलवार खोल दी इससे पहले मैं ऊँगली करता, देखा की उसकी चुत पहले से इतनी चिकनी थी |अब मैं सोफिया की बेताबी को समझता हुआ अपनी जीभ उसकी चुत की फांक के बीच घुमाके चाटने लगा जिससे बस अपने होठों को मिस्मिसाते हुए मुझे मानसिक सहयोग कर रही थी |

    मैंने अब ज्यादा वक्त बर्बाद ना करते हुए उसकी टांग को चौड़ाते हुए अपने लंड को निकाल उसकी चुत की फांकों के बीच मसलते हुए उसके उप्पर चढ उसके होठों को चूसने लगा | मैंने कुछ देर बाद ही अब उसकी चुत में पूरा दम लगाते हुए अंदर देने के लिए झटका मारना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मैं उसकी गीली चुत के मज़े ले रहा था | मेरी इतने देर उसकी चुत के साथ खिलवाड़ करने बाद उसे दर्द अब काम हो रहा था और वो मेरे झटके भी सहने लायक हो गयी थी | मैं सोफिया के बदन पर पर अब चढकर अपने लंड को अपने हाथ से ही मसल रहा था | वो देख रही थी की मैं क्या कर रहा हूँ इतने में ही मेरे लंड ने अपनी जोर की पिचकारी छोड़ दी सो सीधा उसके मुंह पर जाकर ही गिरी | उस दिन से आज अलक सोफिया मेरे लंड को इसी तरह अपनी चुत में पिलवाती है | अब तो काम - क्रीडा की कहानी में मुझे अपने से ज्यादा सोफिया की दिलचस्पी नज़र आती है |
     
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