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हेलो फ्रेंड, मेरा नाम अभिनव है और मैं बीएससी ३ इयर का स्टूडेंट हु. ये कहानी उस टाइम की है, जब मैं सिविल की प्रिप्रेशन कर रहा था. तब मेरी उम्र २१ साल की थी. मैं और मेरा दोस्त शेलेन्द्र जो अभी बीटेक फाइनल इयर में है. हम दोनों एक फ्लैट में साथ में रहते थे और घर के लिए हम लोगो ने एक नौकरानी को रखा हुआ था. उसका नाम लीला था. वो लगभग २७ - २८ साल की होगी और थोड़ी सी सांवली थी; लेकिन उसका फिगर लाजवाब था. मैं और शालू तो उसको काम करते वक्त कभी बूब्स, तो कभी उसकी गांड देखा करते थे. उसका एक ७-८ साल का बच्चा भी था. मैं तो उसके नाम की और उसको देख - देख कर कई बार मुठ भी लगा लिया करता था. हम दोनों ने शर्त लगायी थी, कि जो भी इसे पहले चोदेगा; वो पार्टी देगा. उस दिन के बाद तो, हम दोनों ही उसको चोदने का मौका ढूंढने लगे थे. शालू जब भी कॉलेज जाता था, तो मैं लीला को चोदने के प्लान बनाने लगता.

एक दिन, जब शालू फ्लैट पर नहीं था, तब मैंने अपने चड्डी- बनियान कहीं छुपा दिए. ताकि वो लीला को ना मिले और मैं बाथरूम में नहाने गया. मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए. मैं नहा लिया और फिर लीला को आवाज लगायी, कि मेरे कपड़े लेके आ और उसने काफी देर बाद जवाब दिया, साहब मुझे मिल नहीं रहे है. आप ले लेना. ये तो सिर्फ मुझे पता था, कि वो मैंने कहीं छुपा दिए है. मैंने टॉवल लपेटा और वेट करने लगा, कि लीला किचन से कब बाहर आये, पौछा लगाने के लिए. जैसे ही वो बाहर आई, तो मैं बाहर आ गया और जैसे ही मैं उसके पास पंहुचा, मैंने जान- बुझकर अपना टॉवल नीचे गिरा दिया. मैं उसके सामने पूरा नंगा खड़ा था और मेरा लंड लटका हुआ बाहर आ गया था और उसने मेरी तरफ देखा और झट वापस गर्दन नीचे झुका ली. मैं नौटंकी करता हुआ, अन्दर चले गया और चलो तरकीब काम तो आई. उसने अब मुझे नंगा तो देख लिया था.

अब मुझे दूसरा प्लान बनाना था और आज ही उसे चोदना था. मैं अपने बेड पर बैठ गया और पेपर पढने लगा. थोड़ी देर बाद, लीला आई और मुझसे बोली - साहब, आपने अभी तक कपडे नहीं पहने. मैंने कहा - मिले नहीं है, तो पहनुगा क्या? अब जो अभी- अभी धोये है, वो जब सुख जायेंगे. तब पहन लूँगा. फिर मैं अपनी टाँगे और घुटने इस तरह से मोड़कर बैठ गया, कि मेरा टॉवल थोडा सा खुला रहे और मेरा लंड उसको दिखने लगे. किया तो मैंने ये जानबुझकर था. लेकिन, मैं इस बात से अनजान बन रहा था. मैं उसको बराबर देख रहा था, वो थोड़ी- थोड़ी देर में नज़र बचाकर मेरे लौड़े को देख रही थी. शायद उसको भी मज़ा आने लगा था. देखने में तो मैं ठीक ही था. मैंने उसको कहा, जाओ खाना बना लो. मुझे भूख लग रही है. वो किचन में चली गयी और मैं बेड पर लेट गया और सोने की एक्टिंग करने लगा. मैंने अपने टॉवल को अब अपने ऊपर से हटा दिया और मैं अब बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था. १० मिनट बाद, लीला खाना लेकर आई, तो मैं उसको अपनी आधी खुली आँखों से देख रहा था.

उसने मुझे बेड पर नंगा लेटे हुए देखा. तो उसकी आँखे बड़ी हो गयी और उसने चुपचाप थाली टेबल पर रखी, ताकि शोर ना हो और वहीँ खड़े होकर काफी देर तक मेरे लंड को घूरती रही. फिर वो वहीँ कमरे में खड़े- खड़े मेरे लंड को देखते हुए, अपने बूब्स दबाने लगी और साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत की खुजली मिटाने लगी. मेरा लंड अब पूरा तन्न कर खड़ा हो चूका था. उसने मुझे जगाया नहीं. पर उसने गेट बजाया. मैं आँख नहीं खोली. उसने ये मेरी नीद को चेक करने के लिए किया था. अब उसे यकीं हो गया, कि मैं बहुत गहरी नीद में हु. फिर, वो मेरे पास आई और उसने मेरे पुरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और एक दो बार हिलाकर छोड़ दिया. ऐसा करके वो अपनी हवस को शांत कर रही थी. मैं ये सब आधी खुली हुई आँखों से देख रहा था. पर वो फिर किचन में चली गयी और जोर से चिल्लाकर बोली - साहब, आपके कपड़े सुख गये है पहन लो. मैं बेड से उठा और अब मुझे पता लग ही गया था, कि लीला को चोदने में अब कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.

मैंनेटॉवल को साइड में रखा और नंगा ही किचन में चले गया और उसके पीछे से बोला - क्या बनाया है आज खाने में? उसने पीछे मुड़कर मुझे देखा, तो मैं नंगा ही खड़ा था. उसने अपने दोनों हाथो से अपनी आँखे बंद कर ली. तो मैंने उसे पकड़ के अपने दोनों हाथो से उसके चुतड दबा दिए. वो बोली - साहब, आप ये क्या कर रहे हो? तो मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपना काम करता रहा. वो ये सब चुपचाप देखती रही. मैंने स्टोव बंद कर दिया और कहा - तुझे कुछ करना है, तो कर ले. अभी टाइम है. पर वो चुपचाप ही खड़ी रही. मैं किचन से बाहर आकर सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगा, अभी तक मैं नंगा ही था. मैंने लीला को कहा - खाना यहीं ले आ. वो खाना लेकर आ गयी. मैं नंगा ही बैठकर खाने लगा.

अब मैंने सोच लिया था, कि जब तक लीला को चोद नहीं लूँगा. तब तक कपड़े नहीं पहनुगा. मैंने लीला को बुलाया और कहा - आज टीवी देख ले, अगर काम ख़तम हो गया हो तो. वो आ गयी और मैंने उसे अपने पास ही सोफे पर बैठा लिया. मैंने उससे कहा - अब हिला दो मेरा और वो हस्ते हुए बोली - साहब, आप मानोगे नहीं और फिर उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी. मैंने उससे कहा - आज तू मेरा दूसरी बार हिला रही है, तो वो बोली साहब कैसे? मैंने कहा - जब मैं सो रहा था, तब भी तूने ही हिलाया था. उसने कोई सवाल नहीं किया और बस मुस्कुरा दी और मैंने कहा कुछ और भी तो कर ना. वो समझ गयी और उसने मेरा लंड उसके मुह में ले लिया और बढ़िया तरीके से चूसने लग गयी. जब वो घोड़ी बनी हुई थी, तब मैंने उसके घाघरे को ऊपर कर दिया और उसकी चूत और गांड में ऊँगली डालने लगा. अब उसकी चूत गीली हो चुकी थी और टपक रही थी. मैंने उसको जमीन पर लिटा दिया और साड़ी को साइड में करके उसके ब्लाउज को खोलने लगा. उसके बूब्स बहुत बड़े थे और उसके निप्पल भूरे रंग के थे.

बूब्स मोटे, चिकने गोरे भरे हुए, एकदम शेप में थे. फिर मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया. अब हम दोनों जमीन पर नंगे लेटे हुए थे और मैंने अपने लंड को देर ना करते हुए, उसकी फूली चूत में घुसा दिया. उसकी चूत अभी भी थोड़ी टाइट थी. शायद उसका पति उसे चोदता नहीं था. मैंने उसको चोद- चोदकर अपना वीर्य उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया. मैंने उस से कहा - चल अब घोड़ी बन जा. अब तेरी गांड मारनी है. पर उसने कहा - साहब नहीं. मैंने आज तक ऐसा नहीं किया. मैंने कहा - तो आज कर ले. उसने कहा - ठीक है. मैं अन्दर जाकर बॉडी लोशन लेकर आया और डाल दिया, उसकी गांड के अन्दर. फिर मैं अपने लंड को उसकी गांड में जबरदस्ती घुसेड़ने लगा. वैसे तो मेरा लंड एक ही झटके ने जाता नहीं था, लेकिन उसकी गांड में मेरा लंड एक ही बार में चले गया. वो जोर से चिल्लाई, आआहहहह . मार डाला आज तो.

मैंने कहा - गांड ऐसे ही मरती है लीला जानू और उसकी गांड का गोरेगांव बना दिया और वीर्य उसकी मुह में डाल दिया. लीला की चुदाई करके मैं नहाने चले गया. उसने भी स्नान किया और १/२ घंटे बाद शालू भी रूम पर आ गया. उसे शाम को पार्टी देनी थी. उसी शाम को शालू ने भी लीला को चोद लिया. उसके बाद हम दोनों ने लीला को बहुत चोदा, लेकिन जब लीला की मर्ज़ी होती थी तब ही.
 
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