कामुकता भरी चुदाई स्टोरी : लव ऐट फर्स्ट साईट

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(Kamukta Bhari Chudai Story : Love At First Sight)

दोस्तो, मैं आपकी प्यारी प्यारी दोस्त प्रीति शर्मा। आज मैं वैसे ही खाली बैठी थी, तो मैं फ्री टाइम पास करने के लिए एक पॉर्न साईट देखने लगी, उसमें मुझे एक पोर्न वीडियो देखने को मिली, मगर उस वीडियो ने मेरे पुराने जख्म हरे कर दिये, मुझे उन दिनों की याद दिला दी जब मैं अपने पति के बिज़नस डूब जाने पर मजबूरी में रंडी भी बनी थी। तब शिप्रा मैडम की मदद से मुझे कुछ ग्राहक भी मिले।
उन्हीं दिनों मुझे एक लड़का मिला था, नाम था सौरभ शर्मा। देखने में लड़का बहुत ही सुंदर था, उम्र होगी कोई 23-24 साल, कद थोड़ा छोटा, 5 फुट 7 इंच, रंग गोरा, सुंदर नयन नक्श, गठीला शरीर, चौड़े कंधे, फूला हुआ सीना सपाट पेट। बिना कोई जिम या कसरत के भी उसका जिस्म देखने लायक था।
जिस दिन मैं उससे मिली और मैंने उसे देखा तो वो कहते हैं न 'लव ऐट फर्स्ट साईट.' मुझे भी वही हुआ।
उसे देखते ही मुझे लगा कि अगर यह लड़का हाँ कर दे तो मैं अपने पति को तलाक दे कर इससे शादी कर लूँ।
3 सेकंड में उस लड़के ने मेरी तीन साल की शादीशुदा ज़िंदगी को भुला दिया।

खैर बात करते हैं, क्या हुआ, कैसे हुआ।
शिप्रा मैडम की वजह से ही मुझे मेरे पहले ग्राहक अरुण जी मिले, बेशक मुझे पहली बार इस तरह पैसे के लिए रंडी बन कर किसी के साथ सेक्स करना बड़ा अजीब लग रहा था। मगर अरुण जी ने मुझे इतने प्यार से डील किया कि मेरा सारा डर ही छू मंतर हो गया। मेरा और उनका मिलन बहुत ही बढ़िया रहा।

उसके बाद अगले दिन जब मैं शिप्रा मैडम के पास पहुंची, तो उन्होंने मुझसे मेरे पहले बिज़नस डील के बारे में पूछा। मैंने उन्हें सारा खुल कर बताया। उसके बाद भी मुझे कुछ और लोगों के साथ हमबिस्तर होना पड़ा। बेशक ज़्यादातर, ठर्की बुड्ढे ही आते थे, जिनके बिजनेस बड़े थे, पेट भी बड़े थे। काले काले गंदे से! कई तो आने से पहले अपना लंड भी धोकर नहीं आते थे, आते ही गंदा सा लंड मेरे मुँह में ठूंस देते। इसी वजह से मैंने ये सिस्टम शुरू किया के सबसे पहले मैं खुद ही उनके लंड को पकड़ कर वाश बेसिन पर धो देती और अपनी चूत और गांड भी धो लेती। अब 55 साल के बुड्ढे को 27 साल की लड़की मिल जाए, वो तो उसे खा ही जाएगा। मुझे भी लोग ऐसे ही चबा डालते थे, चूत में गांड में हर जगह अपनी जीभ से चाट जाते।

दिन में 2-3 ग्राहक ही मैं लेती थी, ज़्यादा बोझ नहीं डाला मैंने खुद पर।
शिप्रा मैडम मेरे एक शॉट के 2500 लेती थी और मुझे 1 हज़ार रुपये देती थी तो रोज़ 2-3 हज़ार रुपये मुझे मिल जाते थे। घर का सिस्टम ठीक होने लगा।

पति को भी एक दिन पता चल गया कि पैसा कहाँ से आ रहा है, पहले तो गुस्से में आकर उन्होंने मुझे चांटा मार दिया, पर अब तो मैं पिछले एक महीने से अपना घर चला रही थी, और इसी तरह से चला रही थी, तो अब इज्ज़त बचाने या लूटने को बचा ही क्या आता। थोड़ा बहुत गुस्सा हो कर वो भी चुप गए कि 'माँ चुदवा अपनी, जो मर्ज़ी कर!'
मगर उसके बाद उन्होंने कभी मेरे साथ सेक्स नहीं किया।
मुझे तो रोज़ 2-3 लंड मिल ही जाते थे तो मुझे तो कोई ज़रूरत थी ही नहीं पति की, मेरे लिए तो मेरा पति सिर्फ एक पट्टा था मेरे गले में, और कुछ नहीं।

एक दिन शिप्रा मैडम ने कहा- प्रीति, तुम्हें अभी मेरिडियन होटल में जाना होगा, वहाँ रूम नंबर 1730 में हमारा एक खास कस्टमर है, उसको एंटरटेन करना है। गाड़ी भेजी है उसने, तुम अच्छे से तैयार हो कर चली जाओ।
मैंने अपने मेक अप थोड़ा टच अप दिया, अपनी ब्रा और पेंटी बदले क्योंकि घर वाला तो ठीक ठाक सा था, पर कस्टमर के सामने तो बढ़िया महंगे वाला और नया फ्रेश ब्रा पेंटी पहन कर जाना पड़ता है।

मैं तैयार होकर बाहर खड़ी कार में बैठ कर चल पड़ी। होटल की पार्किंग में कार रुकी, ड्राइवर मुझे लिफ्ट से रूम के बाहर तक छोड़ आया।
मैंने बैल बजाई, अंदर से आवाज़ आने पर मैं अंदर गई।

बहुत ही शानदार और बड़ा रूम था। सामने सोफ़े पर दो तीन लोग बैठे थे, एक तो बुजुर्ग से थे, एक नौजवान लड़का था, जो अकेला बड़े सोफ़े पर बैठा था, और दूसरा उसका कोई दोस्त होगा जो साइड सोफा पे बैठा था।
मुझे देख कर साइड वाले दोनों खड़े हो गए मगर वो बीच वाला बैठा रहा। मैं तो एक बार उसको देखती ही रह गई। कितना सुंदर लड़का था वो. एकदम से राजकुमार।

मैं सामने जा कर खड़ी हो गई, मैंने कहा- हैलो सर!
उस लड़के ने आगे हाथ बढ़ा कर मुझसे हैंड शेक किया, बाकी के दोनों लोग 'गुड बाए सर, हैव आ गुड टाइम' कह कर चले गए।

उस लड़के ने मुझे अपने पास बैठने की जगह दी- आइये इधर बैठिए।
मैं बिल्कुल उसके पास बैठी, सफ़ेद कुर्ते पजामे और जाकेट में वो कोई राजनीतिक घराने का वारिस या वैसे ही कोई बहुत अमीर घर का लड़का लग रहा था।

"क्या लेंगी आप?" उसने पूछा।
मैंने उसे मोहक स्माइल दे कर कहा- एनिथिंग, मैं सिर्फ नॉन वेज नहीं खाती, बाकी और किसी चीज़ से मुझे कोई परहेज नहीं है।
वो उठा और साइड की एक अलमारी से कोई जैक डैनियल की बोतल निकाल कर लाया, मुझे दिखा कर बोला- ये चलेगी?
मैंने कहा- बिल्कुल, आप पिलाएँ तो हम कैसे ना कर सकते हैं।

उसने दो गिलासों में पेग बनाए, एक मुझे दिया, एक खुद उठा लिया।
"चीयर्ज" कह कर गिलास टकरा कर हम दोनों ने एक एक सिप ली।
"आपका नाम क्या है?" उसने पूछा, जबकि मैं बार बार उसके सुंदर चेहरे को ही घूरे जा रही थी और शायद इसी वजह से वो कुछ असहज भी महसूस कर रहा था।
मैंने कहा- मेरा नाम प्रीति है, आप मुझे तुम भी कह सकते हो।
वो बोला- तो तुम भी मुझे तुम ही कहो न, फॉरमेलीटी दोनों तरफ से ही खत्म हो।
मैं मुस्कुरा दी- ठीक है, तुम!

मैंने कहा तो उसने फिर से मेरे गिलास से अपना गिलास टकराया।
"इतने ध्यान से क्या देख रही हो प्रीति?" उसने पूछा।
मैंने कहा- दरअसल तुम मुझे बहुत स्वीट लगे, इतने स्वीट कि मैं तुमसे शादी भी कर सकती हूँ, अगर तुम चाहो तो।
मैं जानती थी कि इतने अमीर घर का लड़का किसी गश्ती से शादी क्यों करेगा, मगर मेरी बात सुन कर वो हंस पड़ा, बोला- तुम तो खुद भी बहुत सुंदर हो, तुम्हारी शादी हुई नहीं अब तक?
मैंने कहा- हो चुकी है, एक बेबी भी है, 2 साल की!
मेरी बात सुन कर वो बोला- अरे वाह, तुम तो लकी हो, मैं अभी कोई लड़की ढूंढ रहा हूँ, अगर कोई मिली तो शादी भी कर लूँगा। मगर जब तक शादी नहीं होती, तब तक आप से ही पत्नी का सुख पा लेता हूँ.
कह कर उसने मेरे गाल को छूआ।

मैं मुस्कुरा दी- डोंट वरी सर, मैं आपको पूरी तरह से खुश करने की कोशिश करूंगी।
वो हंस पड़ा और अपना पेग खत्म किया, फिर उठ कर उसने अपनी जाकेट उतार दी।

मैं भी खड़ी हुई कि शायद ये मेरे भी कपड़े उतरवाएगा।
वो बोला- अरे तुम बैठो, सारी रात हमारी है। आराम से, कोई जल्दी नहीं है।
मैं बैठ गई। अब तो मुझे उसके ही इशारो पर नाचना था।

उसके बाद उसने खाना मंगवाया, सारा खाना शाकाहारी था, हमने एक साथ खाया, मैंने तो कम ही खाया कि पता नहीं ज़्यादा झटके लगे तो कहीं पेट ही न हिल जाए।
खाने के बाद वो बाथरूम में गया, और फिर अंदर रूम में आकर सिगरेट जला कर पीने लगा।
"तुम भी फ्रेश हो आओ" उसने मुझसे कहा।

मैं बाथरूम में गई, फिर से मेक अप, बालों, कपड़ों को ठीक किया और बाहर आ गई।
वो बेड पे लेटा था, मैं पास जा कर बेड पे बैठ गई।

"अरे प्रीति, फील फ्री यार, सेंडल उतारो और ऊपर आराम से बैठो!" उसने कहा तो मैंने अपने सेंडल उतारे और पाँव बेड पे फैला कर पीठ टिका कर बैठ गई। मैं सोच रही थी कि यह लड़का तो बड़ा ठंडा चल रहा है, नहीं अभी तो मेरे ऊपर से दो मोटे मोटे लाले गुज़र चुके होते और इसने अभी तक मुझे छूआ भी नहीं है।

टीवी देखते देखते उसने मुझे अपना पास बुलाया और मेरा हाथ खींचा तो मैं उसके कंधे पर अपना सर रख कर लेट गई। उसने अपने मुँह से सिगरेट निकाली और मेरे होंटों से लगा दी।
पहले कभी मैंने सिगरेट नहीं पी थी, मगर इस धंधे में आ कर मैंने बहुत बार पी थी, या यूं कह लो कि मुझे पिला दी गई।

मैंने भी एक कश खींचा, अभी धुआं मेरे मुँह में ही था कि उसने अपना चेहरा मेरे चेहरे के सामने कर दिया- अब धुआं छोड़ो!
उसने कहा तो मैंने सारा धुआं उसके मुँह पर मारा, उसने आँखें बंद करके एक लंबी सांस ली, और जब सांस छोड़ी तो उसने भी धुआं छोड़ा।
मैंने पूछा- ये क्या था?
वो बोला- आई लाइक इट, मुझे इस तरह चेहरे पर धुआं लेने अच्छा लगता है.

उसके बाद हमने कई बार एक दूसरे के मुँह पर सिगरेट का धुआं मारा और हँसते रहे। फिर उसने मेरी साड़ी का आँचल थोड़ा सा नीचे को खिसकाया, तो मेरे ब्लाउज़ में से मेरा क्लीवेज दिखने लगा। मैंने उसे और अच्छे से अपना क्लीवेज दिखाने के लिए अपना आँचल हटाना चाहा तो उसने रोक दिया- नहीं, तुम कुछ मत करो, जो भी करूंगा, मैं करूंगा.
मैं आराम से लेट गई कि ले भाई कर ले जो करना है।

फिर उसने अपने हाथ से मेरे क्लीवेज को छूकर देखा, फिर मेरे आँचल मेरे मम्में से हटा दिया। साटिन के गहरे हरे रंग के ब्लाउज़ में से मेरे मम्में के गोल उभार को उसने अपने हाथ में पकड़ कर देखा।
"लवली!" वो बोला- बहुत सुंदर बूब्स हैं तुम्हारे, बिल्कुल मेरी मिस्ट्रेस की तरह।
मैंने कहा- तो तुम मेरे क्लीवेज में अपनी मिस्ट्रेस का क्लीवेज देख रहे थे।
वो बोला- हाँ, वो मेरे बचपन का प्यार थी, एक एक्सीडेंट में नहीं रही। जब शिप्रा ने अपनी अल्बम दिखाई थी, तो मुझे उसमें तुम पसंद आई क्योंकि तुम्हारी शक्ल काफी कुछ मेरी उस मिस्ट्रेस से मिलती है। बचपन में मैं सोचता था, जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो अपनी मिस्ट्रेस से ही शादी करूंगा, वो नहीं रही पर तुमसे प्यार करके मैं अपना एक अरमान तो पूरा कर ही सकता हूँ।
कहते कहते उसने मुझे नीचे करके खुद मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गया।

मुझे अपने पेट पर उसका बड़ा सारा लंड महसूस हुआ। उसने मेरे माथे से बाल हटा कर मेरे चेहरे अपने हाथों में पकड़ लिया और बोला- अगर मैं तुम्हें किरण मिस कहूँ तो तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं, तुम मुझे किसी भी नाम से पुकार सकते हो।
वो बोला- किरण मिस, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। आ लव यू किरण मिस।

मैं समझ गई कि ये रोल प्ले वाला केस है, ये मुझे अपनी मिस्ट्रेस बना कर चोदेगा, अपने बचपन की कामुक इच्छा को अब पूरा करेगा।
मैंने भी कह दिया- आई लव यू टू, सौरभ।
मेरी बात सुनते ही उसने मेरे होंठ चूम लिए- ओह किरण मिस, तुम कितनी अच्छी हो, मेरा कितना ख्याल रखती हो, मैं हमेशा से ही तुम्हें पाना चाहता था, आज मेरा सपना पूरा हुआ। क्या मैं तुमसे सेक्स कर सकता हूँ किरण मिस?
मैंने मुस्कुरा कर उसके बालों में हाथ फिरा कर कहा- मुझे तुम बचपन से ही बहुत प्यारे लगते हो सौरभ, तुम जो चाहो कर सकते हो, मुझे तुम्हारी किसी बात से कोई इंकार नहीं है।

तो सौरभ ने मुझे कस कर अपनी बाहों में ले लिया और अपनी ताकत लगा जो पलटी खाई तो वो नीचे और मैं ऊपर आ गई। मेरे बाल उसके चेहरे पर थे, मेरा आँचल गिर गया, और अब मेरा बड़ा सा क्लीवेज उसके सीने से लगा था, उसने मेरे क्लीवेज को देखा और बोला- बचपन में जब मैं इस क्लीवेज को देखता था, मेरा बड़ा दिल करता था इसको छूने को, इन बूब्स को दबाने को, इन्हें चूसने को।
मैंने कहा- तो तुम्हें रोका किसने है, सौरभ, अब ये सिर्फ तुम्हारे हैं, जितना चाहे खेलो इनसे।
"सच में मिस?" उसने बड़ा उत्तेजित होते हुये कहा।

मैंने हां में सर हिलाया तो उसने मुझे उठाया और खुद भी उठ बैठा। अब तो मेरा आँचल बिल्कुल नीचे गिरा पड़ा था, उसके सामने मैं ब्लाउज़ में ही बैठी थी।
उसने मेरे दोनों बूब्स को अपने हाथ में पकड़ कर देखा, हल्के से दबाया, और फिर मेरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगा। सभी हुक खोल कर उसने ब्लाउज़ के दोनों पल्ले आजू बाजू खोल दिये और ब्लैक ब्रा में छुपे मेरे गोरे गोरे मम्मो को निहारने लगा।
"तुम आज भी काली ब्रा पहनती हो, तब भी काली ब्रा ही पहनती थी, आई लव इट!" कह कर उसने ब्रा में ही मेरे दोनों मम्में पकड़ कर ऊपर को उठाए और मेरे क्लीवेज पे चूम लिया।

एक बात मैंने देखी थी सौरभ में, उसमें जल्दबाज़ी नहीं थी, बड़े आराम से वो सब काम कर रहा था।

फिर उसने मेरा ब्लाउज़ उतरवा दिया और मुझे बाल बांधने को कहा। मैंने अपने बालों की एक चोटी बना ली। उसने अपना कुर्ता उतारा, नीचे बालों से भरा सीना और पेट। गले में मोटी सारी सोने की चेन। उसने अपनी चेन, कड़ा, ब्रेसलेट सब उतार कर रख दिये। पजामे में से उसका लंड सर उठाए साफ दिख रहा था। मेरी साड़ी भी उतरवा दी, अब मैं ब्रा और पेटीकोट में थी और वो भी अपना पजामा उतार के सिर्फ चड्डी में आ गया।
चड्डी देख कर पता चला के अंदर कम से कम 8-9 इंच का औज़ार है। मेरे मन को बड़ी खुशी हुई कि न सिर्फ लड़का सुंदर है, तगड़ा है, इसका औज़ार भी सुंदर और तगड़ा है।

मुझे अपनी बाहों में लेकर वो फिर से लेट गया और मेरे होंठों को चूमने लगा। मैंने भी उसके होंठों को चूमा, एक दूसरे के बदन को सहलाते, एक दूसरे की पीठ पर हाथ फेरते हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे.
और पता नहीं कब होंठों का साथ ज़ुबान भी देने लगी, कभी मेरी जीभ उसके मुँह में तो कभी उसकी जीभ मेरे मुँह में। दोनों ने एक दूसरे को खूब चूसा।
क्योंकि मुझे भी सौरभ पहली नज़र में बहुत प्यारा लगा था, तो मैं अपना मजा ले रही थी और उसे अपनी पुरानी मिस्ट्रेस का मजा मिल रहा था, दोनों की ठर्क पूरी हो रही थी।

हाथ फेरते फेरते मैंने उसके चूतड़ और फिर लंड भी सहला दिया। हाथ लगाने से मुझे ऐसे लगा कि यार क्या माल मिला है आज! जब मैंने उसके लंड को सहलाया तो उसने भी मेरा पेटीकोट ऊपर उठा दिया, मेरी जांघों को सहलाया और फिर उठ कर मेरी जांघों को चूमने और चाटने लगा।
मेरी अपनी हालत खराब होने लगी थी, मुझ पर भी कामुकता सवार हो रही थी। मैंने अपनी टाँगें पूरी खोल दी तो वो मेरी टाँगों के बीच में आ गया और मेरी चड्डी के ऊपर से ही उसने मेरी चूत को छूआ, मैंने एक ठंडी सांस छोड़ी, उसने मेरी सारी चड्डी के ऊपर अपना हाथ फिरा कर फीलिंग ली और फिर अपने अंगूठे से उस जगह को मसला जहां मेरी चूत का दाना था।

मैंने आनन्द में डूब कर एक हल्की सी सिसकी ली।
"मजा आया किरण मिस?" उसने पूछा।
मैंने कहा- हाँ, जब तुम छूते हो तो बहुत मजा आता है।

उसने फिर से कई बार मेरी चूत के दाने को चड्डी के ऊपर से ही मसला और हर बार मैंने एक सिसकी के साथ उसका जवाब दिया।
"क्या क्या कर लेती हो किरण?" उसने पूछा।
मैंने कहा- तुम्हारे लिए मैं सब कुछ करूंगी, जो मेरा बाबा कहेगा, मैं वो सब कर लूँगी।
उसने पूछा- मेरा लंड चूस लोगी?
मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं!
उसने फिर पूछा- अपनी चूत भी चटवा लोगी?
मैंने कहा- हाँ, अगर तुम चाटना चाहो तो!
"और गांड?" उसने पूछा।
मैंने कहा- बिल्कुल, अगर तुम चाटना चाहो!

मेरा इतना कहते ही उसने मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भींच लिया, मुझे हल्का दर्द हुआ, मगर उसके और मेरे दोनों के मुँह से एक सिसकारी सी निकली। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोला और उतार दिया।
अब हम दोनों सिर्फ अंडरवियर्ज में ही थे, वो मेरे साथ मेरी बगल में लेटा मेरी आँखों में देखने लगा- तुम बहुत प्यारी हो, मैं अगर तुम्हें फिर से बुलाना चाहूँ, तो आओगी?
उसने पूछा।
मैंने कहा- क्यों नहीं आऊँगी, आप जब भी कहोगे मैं हर बार आऊँगी!

मेरी बात सुनते ही उसने मुझे अपनी बांहों में फिर से भर लिया और हम दोनों फिर एक दूसरे के होंठ चूमने लगे और वो अपना लंड मेरे पेट पर रगड़ रहा था।
थोड़ा चूसने के बाद वो रुका और बोला- अगर मैं तुमसे बिना कोंडोम के सेक्स करना चाहूँ तो?
मैंने कहा- आप कर सकते हैं, पर अपनी और आपकी सुरक्षा के लिए कोंडोम ज़रूरी है।
वो बोला- पता है, पर मैं तुमसे ऐसे ही सेक्स करना चाहता हूँ, कोंडोम से न मजा नहीं आता।
मैंने कहा- हाँ ये तो सच है, पर कोई बात नहीं, बिना कोंडोम के भी कर सकते हो।

वो उठ कर खड़ा हो गया और उसने अपनी चड्डी उतार दी, नीचे से 8 इंच के करीब लंबा और मोटा, गोरा लंड बाहर निकला।
इतना सुंदर लंड. मैं तो उठ कर ही बैठ गई।
अपने हाथ में उसका गोरा लंड पकड़ कर देखा- अरे वाह, तुम्हारा लंड तो तुम्हारी तरह सुंदर और तगड़ा है।
वो बोला- पसंद आया तुमको?
मैंने हाँ कहा तो वो बोला- तो चूसो इसे, अपने मुँह में लेकर चूस रंडी!
वो ज़ोर से और डांट कर बोला।

फिर धीरे से बोला- तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा अगर मैं तुम्हें गाली भी दे दूँ?
मैंने कहा- नहीं कोई दिक्कत नहीं, बल्कि जोश में आकर तो मैं भी गाली दे देती हूँ।
वो बोला- तो ठीक जितनी गाली दे सकती हो देना, कोई परवाह मत करना।

मैंने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ा और जैसे उसकी चमड़ी पीछे को हटाई, अंदर से सुर्ख लाल रंग का टोपा बाहर आया। लाल चमकदार मोटा टोपा!
मैंने उस टोपे को अपने मुँह में लिया और आँखें बंद कर ली, क्योंकि लंड चूसने का असली मजा आँखें बंद करके ही आता है।

उसने भी मर सर पकड़ा और हल्की सी "आह" कही। मैंने अपने पूरे मन से उस लंड को चूसा क्योंकि मैं उसे नहीं खुद को मजा दे रही थी। मैं चाहती इस गोरे गुलाबी लंड को चूसने का मैं भी पूरा मजा लूँ। सख्त, मजबूत लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर आ जा रहा था और मैं उसे अपनी जीभ से हर तरहा से चूस और चाट रही थी।

फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मेरा मुँह अपने आँड से लगा दिया। मैंने उसके दोनों आँड अपनी जीभ से चाटे और अपने मुँह में लेकर चूसे भी। सिर्फ यहीं तक बस नहीं उसने मुझे और आगे तक चाटने को कहा, तो मैं उसके आँड से आगे उसकी गांड तक चाट गई। वो भी अपनी आँखें बंद करके न जाने क्या क्या फीलिंग ले रहा था।

फिर उसने मुझे कंधों से पकड़ कर खड़ा किया, मैं उसके सामने खड़ी हो गई, उसने मेरे होंठों को फिर से चूसा- मारा डाला तूने कमीनी, इतना प्यार क्यों कर रही है मुझसे कि मैं तो तेरा दीवाना हो गया, अब सब्र नहीं होता अब मुझे तुम्हें चोदना है जानेमन, अपनी चूत निकाल!

मैंने अपनी चड्डी उतारी तो मेरी चूत देख कर वो नीचे ही बैठ गया- उफ़्फ़, क्या ज़ालिम चूत है तेरी!
कह कर उसने अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया, पूरी चूत को अपने मुँह में ले गया और अपनी जीभ से मेरी चूत के अंदर तक चाट गया।
मैंने अपनी टांग उठा कर बेड की पुश्त पर रख ली जिससे मेरी चूत खुल गई और उसको चाटने में और आसानी हो गई। गीली तो मेरी चूत पहले से ही थी, मगर उसकी मज़ेदार चटाई ने मुझे और भी कामुक कर दिया, मेरे अंदर सेक्स की भूख और बढ़ा दी।

मैंने उसके माथे पर हाथ फेर कर कहा- क्या खाते ही रहोगे, ये भी भूखी है इसका भी मुँह बंद करो।
वो उठ खड़ा हुआ और मेरी ब्रा के हुक खोल कर मेरी ब्रा उतार दी, मेरे दोनों मम्में पकड़े और मुझे बेड पे घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आ गया, मैंने अपनी दोनों टाँगों के बीच में से अपना हाथ निकाल कर उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर रखा और उसने बिना को ज़्यादा ज़ोर लगाए उसे अंदर डाल दिया।

एक दो तीन चार. आराम आराम से वो अपना लंड अंदर बाहर करते हुये मेरे और अंदर, और अंदर तक अपने लंड को डालता जा रहा था। फिर एक जगह लगा कि उसका लंड मेरी चूत के सिरे तक जा लगा है, मगर उसने और ज़ोर लगाया और उसका बाकी का लंड भी मेरे अंदर घुस ही गया, कहाँ तक और कैसे घुस गया, पता नहीं।
पूरा अंदर डाल कर वो रुक गया, उसकी कमर मेरी गांड से लगी थी।

उसने मेरी पीठ सहलाई- बहुत चिकनी हो तुम!
वो बोला।
मैंने कहा- और तुम भी बहुत जवां मर्द हो, आगे बढ़ो!
मैंने कहा तो उसने अपनी कमर हिलानी शुरू की, एक शानदार लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगा। प्यासी धरती को जैसे पानी मिल गया हो। मैं संभोग के आनन्द में सरोबार हुई जा रही थी, बिना कोई तेज़ी या जल्दबाज़ी के वो बड़े आराम से मुझे चोदता जा रहा था। सख्त, खुरदुरा, मर्दाना लंड मेरी नर्म, मुलायम और गीली चूत को अंदर तक रगड़ता जा रहा था।
आराम से होने वाला सेक्स अब मेरे लिए असहनीय होता जा रहा था क्योंकि उसकी लगातार एक ही स्पीड की चुदाई से मेरा पानी गिरने को था, मैं झड़ने वाली थी।

मैंने उससे कहा- मेरा होने वाला है सौरभ, तेज़ तेज़ करो।
मगर उसने अपनी स्पीड नहीं बढ़ाई, मैं खुद ही अपने कमर आगे पीछे करने लगी, मगर उसने मेरी कमर को भी पकड़ रखा था और इसी धीमी रफ्तार से जब मेरा स्खलन हुआ, मैं तो तड़प उठी, चीख उठी, अपना सर मारने लगी।
इतना आनन्द, इतना ज़बरदस्त मजा. मैं तो निहाल हो गई, मगर वो फिर भी वैसे ही लगा रहा।

जब मैं निढाल सी हो गई तो उसने अपना लंड निकाला और मुझे सीधा करके लेटा दिया। मैंने अपनी टाँगें खोली, वो मेरी टाँगों के बीचे में आया, अपना लंड मेरी चूत पे रखा और अंदर डाल कर फिर से चोदने लगा।
वही धीमी स्पीड. मैं लेटी उसके झड़ने का इंतज़ार करने लगी। मगर वो तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।

2-3 मिनट की रगड़ाई के बाद मेरा फिर से मूड बनने लगा, मैं फिर से गरम हो उठी, जो चूत मेरी झड़ कर खुश्क हो गई थी, अब फिर से पानी छोड़ कर चिकनी हो गई।
मैं फिर से कराहने लगी, सिसकारियाँ भरने लगी, उसको अपने साथ चिपका कर उसके होंठ चूसने लगी, उसकी जीभ चूसने लगी।

मैंने सुना था कि जीभ चूसने में मर्द जल्दी झड़ जाते हैं मगर इस सब के बाद भी वो लगा रहा. लगातार. लड़के में दम था, सब्र था।
पहले मुझे लगा था कि मैं इसको हरा दूँगी, मगर मैं तो दूसरी बार झड़ने जा रही थी, और ये अभी तक नॉट आऊट खेल रहा था।

5 मिनट की चुदाई के बाद मैं फिर से तड़प उठी, मचल गई, जोश में मैंने उसके कंधे पे काट खाया, जब मेरा पानी गिरा, मगर वो माई का लाल फिर भी चल रहा था, बेशक उसके बदन पर पसीना आ गया था, उसकी सांस भी तेज़ थी, दिल बहुत तेज़ धडक रहा था मगर वो आऊट होने को तैयार नहीं था।

फिर मैंने कहा- अगर थक गए तो मैं ऊपर आ जाऊँ?
उसने कहा- हाँ, अब तुम अपना ज़ोर लगाओ।
मैं उसे नीचे लेटा कर उसके ऊपर बैठ गई, उसका लंड पकड़ा अपनी चूत पे रखा और अंदर ले लिया।
फिर मैंने ज़ोर लगाया, अपनी तरफ से पूरी ताकत लगा कर चुदाई की। वो नीचे लेटा मेरे मम्में दबाता, उन्हें चूसता और उनसे खेलता रहा। मगर झड़ा नहीं!

मैंने उससे पूछा- तुम झड़ते नहीं क्या?
वो बोला- झड़ता हूँ, बस थोड़ी देर और, बस मेरा काम भी होने वाला है।

मैंने अपना मजा भूल के उसको झाड़ने के लिए पूरा ज़ोर लगा दिया, पूरे ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर उसकी कमर पर मारी तब कहीं जा कर वो झड़ा।

ऐ सी चल रहा था मगर मेरा पूरा बदन पसीने से नहा गया। जब उसका पानी निकला तो मैं भी टूट कर बिस्तर पर लुढ़क गई।
"तुम तो कमाल हो यार, क्या ज़बरदस्त मर्द हो!" मैंने कहा उसे।
वो हंस कर बोला- चिंता मत करो, अभी दूसरी पारी में देखना!
मैंने कहा- दूसरी पारी? मेरी तो इसी पारी में माँ चुद गई, और क्या करेगा यार?

वो हंस पड़ा।

थोड़ी देर लेटे रहने के बाद उसने सिगरेट सुलगाई और होटल की बड़ी सारी खिड़की के सामने जा कर खड़ा हो गया। मैं भी उसके पास जा कर खड़ी हो गई।
बाहर सड़क पर गाडियाँ आ जा रही थी।
मैंने उसके हाथ से सिगरेट ले कर दो कश लगाए।
"मुझे खरीद लिया तुमने सौरभ!" मैंने कहा।
वो बोला- और तुमने मुझे।

कितनी देर हम खिड़की के पास नंगे खड़े सिगरेट पीते रहे, उसके बाद उसने मुझे रात में दो बार और चोदा, मगर मैं उसकी चुदाई के आगे अपनी हार मान गई।
एक बार जब वो चढ़ता था तो 40-50 मिनट से पहले तो उतरता ही नहीं था। मेरी चुदाई कर कर के कमर दुखने लगी, चूत के अंदर तक दर्द होने लगा।

सुबह मैं 11 बजे सो कर उठी और फिर से तैयार हो कर जब वापिस आने लगी तो उसने पूछा- अब कब मिलोगी?
मैंने कहा- जब तुम कहो, ये मेरा पर्सनल नंबर है, जब दिल करे बुला लो!
मैं उसे अपना मोबाइल नंबर दे कर आ गई।

उसके बाद भी उसने मुझे कई बार बुलाया और सारी सारी रात चोदा।

बेशक अरुण जी भी बहुत अच्छा सेक्स करते थे, मगर सौरभ तो अनमोल मर्द था, एक ऐसा मर्द जिसे हर औरत पाना चाहे, मुझे मिला, मेरी किस्मत। मैंने उसके साथ बहुत सेक्स किया। मगर मुझे अपने पति का बिजनेस भी खड़ा करना था तो मैंने अरुण जी को ही चुना क्योंकि सौरभ मेरी बिजनेस में कोई मदद नहीं कर सकता था।
पहले तो मैं बड़ी परेशानी में थी क्योंकि मुझे सौरभ और अरुण जी दोनों ही बहुत पसंद थे, मगर मैं किसी एक को ही चुन सकती थी जिसके साथ मैंने अपनी आगे की ज़िंदगी बितानी थी।
एक बहुत ही शानदार चोदू यार, और दूसरी तरफ, चोदू भी और मददगार भी।
तो धीरे धीरे मैं सौरभ की जगह अरुण जी की तरफ आकर्षित होती गई और फिर एक दिन मैंने शिप्रा मैडम से कह दिया- मैं अब ये काम नहीं करूंगी।

मगर मैंने काम बंद नहीं किया, आज भी मैं अरुण जी की गुलाम हूँ, उनके हर इशारे पर मैं वो सब कुछ करती हूँ, जो वो कहते हैं।
कभी कभी सौरभ भी याद आता है, हो सकता है, उसको और भी रंडियाँ मिल गई हो, इसी लिए अब बहुत समय से उसका फोन नहीं आया, मैंने भी नहीं किया।
ज़रूरत भी क्या अब मैं फिर से शरीफज़ादी जो बन गई हूँ।
मेरी पोर्न स्टोरी कैसी लगी?
 
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