कार्यालय की शौचालय में काम आगे बढ़ा

sexstories

Administrator
Staff member
नमस्कार दोस्तों,

आज मैं रमेश आपको एक खूबसूरत चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ और मुझा पता ही इससे सुन आपके लंड कभी नहीं बैठ पाएगा और लड़कियां अपनी चुत को मसले बैगेर नहीं रोक पाएगी | मैंने दोस्तों अपने कार्यालय में पानी एक सहयोगी को चोदा था और यह बात कुछ ५ महीने पुरानी है | हुआ यूँ की मैं कुछ एक साल पहले ही अपने नए कार्यालय में नौकरी की शुरुआत की जहाँ मेरी एक खास सहयोगी से मुलाकात हुई जिसका नाम प्रेरणा था और दिखने बहुत हुई खूसूरत मोटी गांड वाली लौंडिया थी जिसकी गांड को देखकर मैं हमेशा घर में अपने लंड को मसला करता था | धीरे - धीरे समय के साथ - साथ हमरी दोस्ती बढती चली गयी और हम एक दूसरे के और अक्रीब आते चले गए जिससे अब चुअदायी का सावन ज्यादा दूर ना रह गया था |

अब मैं काम के दौरान कभी - कभार अपने हाथ को उसके हाथ पर फिसला लेता जिसपर वो मुझे मुस्कराहट देती और मेरे अंदर से चिंगारियां उमड़ पड़ती | मुझे समझा नहीं आ रहा था की उसके साथ गाडी को आगे कासी बड़ाउन् इतने में ही प्रेरणा दोबारा मरे पास आकार बैठ गयी | वो मुझे काम के बारे में कुछ बता रही थी पर मेरा पूरा ध्यान बस उसकी जाँघों परा था मैं उसके एक दम करीब आता हुआ उसे जाँघों पर अपना हाथ फेरने लगा और उसके हाथ को अपने हाथ से दबोच लिया | प्रेरणा की जैसे बत्ती गुल हो चुकी थी, वो बिलकुल सहम गयी थी | मैं जानता था इंतनी दोपहर को उप्पर वाले शौचालय में कोई भी नहीं आएगा | अब मैंने उसे उप्पर आने का इशारा किया और वहाँ चुपके से हम शौचालय में घुस गए और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया |

मैंने अंदर आते हुए उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया और उसकी शर्ट को उतार उसके चुचों को बेसब्री से मसलते हुए मुंह में भरके दबाने लगा | मैंने उसके दोनों चुचों के बीच अपनी मुंडी को घुसाये हुए था और वो दूसरी और से दोनों चुचों मेरे चेहरे से दबा रही थी | मैंने अब उसे वहीँ खड़े - खड़े उसकी स्कर्ट को भी उतार दिया और नीचे झुककर उसकी चुत में ऊँगली करता हुआ चाटने लगा | मुझे उसकी गुदगुदी चुत में ऊँगली डालते ही एक अजब - सी राहत मिली और वो तो जैसे किसी नागिन की तरह तड़प रही थी | मैंने अब अपनी जीभ से उसकी गुलाबी चुत को चाटना शुर कर दिया और जब मैं भी अपने आप रो रोक ना पाया तो अपनी भी पैंट खोल उससे लिपट कर खड़ा हो गया |

मैं उससे वैसे नंगा लिपटा हुआ उसके होठों को चूस रहा था और मेरा लंड सही उसके चुत के द्वार पर टकरा रहा था | मैंने अब कुछ देर ऐसे ही उसकी चुत मसलते हुए उसे अपनी गौड़ में उठा लिया और उसनी अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के अआजू - बाजु लपेट ली | उसकी चुत के सही नीचे मेरा लंड तैनात जिसपर मैंने अब उसे छोड़ उसे चोदना शुर कर दिया | मैं अब उसे जोर-जोर से अपने लंड पर उप्पर उठाकर फिसला रहा था जिससे वो जोर - जोर से चिल्ला भी रही थी पर उसकी चींखें वहाँ बहार नहीं जा सकती थी | उस दिन के बाद से मैं प्रेरणा को कई जगह अलग - अलग तरह से चोदा |
 
Back
Top