कुंवारी बुआ की सील तोड़कर वीर्य से उसका बुर भर दिया

sexstories

Administrator
Staff member
कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा. फिर एक दिन मेरे मन की मुराद पूरी हो ही गयी. उस रात छत पर टहलते हुए मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया. वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरी मजबूत पकड़ से निकल न सकी. मेरा लंड लोअर में ही खड़ा हो रहा था और खड़ा होकर पीछे से उसकी गांड में चुभ रहा था…

हेलो दोस्तों, मेरा नाम अभय है और मैं पंजाब के संगरूर जिले का रहने वाला हूँ. मेरे लन्ड की लम्बाई 8 इंच और मोटाई 2.5 इंच है. अन्तर्वासना पर मैंने बहुत सी कहानियां पढ़ी हैं. जिनको पढ़ कर मुझे काफी अच्छा लगता है. इसलिए मैंने सोचा कि मैं भी अपनी एक सच्ची घटना आप सब के साथ शेयर करूँ.

मेरे पापा चाचा लोग गांव में रहते थे. उनके एक लड़की थी. मेरे पापा की उस चचेरी बहन का नाम निशा (बदला हुआ नाम) है. इस बार निशा अपने कॉलेज की छुट्टियों में हमारे घर रहने आई थी. दोस्तों मैं आपको बता दूं कि निशा भले ही मेरी बुआ है लेकिन वो मुझसे बस तीन साल ही बड़ी है. इसलिए हम आपस में दोस्तों की तरह रहते हैं.

उसका फिगर 34-26-36 है. देखने में वो बिल्कुल रानी मुखर्जी जैसी लगती है. उसको तो देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था. मैं कई बार उसके बारे में सोच कर मुठ मरता था पर जब वो हमारे यहां आई तो मैंने सोच लिया कि कुछ भी हो जाए इस बार तो उसको चोद कर ही रहूँगा.

आखिर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया. रात को खाना खाने के बाद हम छत पर टहलने चले गए. मैं जान – बूझ कर उसके साथ – साथ टहल रहा था और किसी न किसी बहाने बार – बार निशा को छू भी रहा था. उसे भी शायद इस बात का एहसास हो गया था पर उसने कुछ नहीं कहा.

इससे मेरी हिम्मत थोड़ा और बढ़ गई. फिर मैंने मौका देख कर उसकी गांड पर हाथ फेर दिया. निशा ने मुझे घूर के देखा लेकिन कहा कुछ नहीं. इसलिए मैंने हाथ फेरना चालू रखा. अब उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और पापा को बताने की धमकी दी. उसकी धमकी से मैं डर गया और उसे सॉरी बोल कर नीचे आ गया.

नीचे आने के बाद निशा ने घर पर कोई शिकायत नहीं की. इससे मेरी जान में जान आई. दूसरे दिन फिर जब हम रात को छत पर घूम रहे थे तो अचानक उसका पैर कहीं अटक गया और वो गिरने लगी तो मेने उसे संभाल लिया. इस दौरान मेरा हाथ उसके मम्मों पर आ गया तो मैंने मौका देख कर थोड़ा सा दबा दिया. उसे भी इस बात का एहसास हो गया इसलिए उसने पूछा – यह क्या कर रहे हो?

मैं तुरन्त ही उससे बोला – तुम गिर रही थी तो संभाल रहा था.

जिससे निशा को भी लगा कि यह शायद गलती से ही हुआ है तो उसने संभालने के लिए मुझे थैंक्स कहा और फिर उस दिन की बात भी रफा – दफा हो गई.

कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा. फिर एक दिन मेरे मन की मुराद पूरी हो ही गयी. उस रात छत पर टहलते हुए मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया. वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरी मजबूत पकड़ से निकल न सकी. मेरा लंड लोअर में ही खड़ा हो रहा था और खड़ा होकर पीछे से उसकी गांड में चुभ रहा था.

मैंने उसको कस के पकड़ रखा था. फिर मैं कपड़ों के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाने लगा और निशा से कहा – निशा, आई लव यू. मैं कब से तुमसे ये कहना चाह रहा था पर मौका ही नहीं मिल रहा था.

उससे इतना बोल कर मैं उसके गले को चूमने लगा. अब उसको भी थोड़ा – थोड़ा मज़ा आने लगा था. जब मुझे लगा कि अब निशा काबू में है तो मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी और फिर उसको अपनी ओर घुमा कर उसके होठों को चूमने लगा. पहले तो वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन बाद मैं मेरा साथ देने लगी.

फिर मैं निशा को उठा कर कमरे में ले गया और उसे बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर से ही उसे बेतहाशा चूमने लगा. वो भी अब पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी इसलिए अब वो मेरा साथ देने लगी और आहें भरने लगी थी.

फिर धीरे – धीरे करके मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी पूरा नंगा हो गया. जब निशा की नज़र मेरे लंड पर पड़ी तो वो घबरा गयी और घबरा कर बोली – हाय राम इतना बड़ा!

अब पकड़ कर मैंने लंड पर उसके हाथ को रख दिया और उसे चूसने को कहा. पहले तो उसने मना कर दिया लेकिन बाद में मेरे कहने पर लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
कसम से ऐसा फील हो रहा था मानो मैं जन्नत में पहुंच गया हूँ.

फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए और जब भी मैं उसकी चूत में जीभ डालता तो वो “आ आह ऊह ऊह ईई” करने लगती. कुछ ही देर की चूत चुसाई में वो झड़ गयी. उसकी चूत से निकला उसका सारा माल मैं पी गया. उसके मुँह से अभी भी मस्ती भरी आहें निकल रही थीं.

इसके बाद मैं उठा और उसकी टांगों के बीच में आ गया. फिर मैंने अपने लंड को चूत के मुँह पर रखा और एक हल्का सा धक्का लगाया पर लंड फिसल गया. मैंने फिर से लंड को उसकी चूत के मुँह पर लगाया और एक हल्का दबाव बनाया. जिससे लंड हल्का सा अन्दर घुस गया.

इधर हल्का सा लन्ड अंदर उसकी चूत में घुसा और उधर उसके मुंह से चीख निकल गयी और वो बोली – आआह, निकालो प्लीज इसको निकालो, बहुत दर्द हो रहा है.

लेकिन मैंने लंड वैसे ही रखा और उसके होंठ को चूसने लगा. कुछ देर बाद अब वो भी थोड़ा नार्मल हो गई. फिर मैंने ज़ोर का एक झटका लगाया और लंड उसकी सील को तोड़ता हुआ अंदर घुस गया. निशा दर्द से मचलने लगी पर मुंह बंद होने की वजह से उसकी चीख न निकल सकी. लेकिन मैंने देखा कि उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे हैं और उसके मुंह से बस “गूँ गूँ” की आवाज़ आ रही थी.

इसलिए मैं थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा और उसकी चूंचियों को मसलता रहा. थोड़ी देर बाद जब वह कुछ नॉर्मल हुई तो मैंने धक्के लगाने स्टार्ट कर दिए. अब निशा को भी मज़ा आने लगा था और वह भी उछल – उछल कर लन्ड अंदर लेने लगी.

अब मेरा निकलने वाला था तो कुछ धक्कों के बाद मैं निशा की चूत में ही झड़ गया और थक कर उसके ऊपर ही लेट गया. अब तक वो भी झड़ चुकी थी और उसकी चूत से खून निकल रहा था. अब हम दोनों कुछ टाइम ऐसे ही लेटे रहे और एक – दूसरे को चूमते रहे.

फिर हमने अपने – अपने कपड़े पहने और नीचे आ गए. सुबह निशा से चला नहीं जा रहा था. जब घर में निशा से इस बावत पूछा गया तो उसने बहाना बना दिया कि रात में छत पर घूमते हुए पैर में मोच आ गयी है.

उसी दिन बाद में मैंने उसे दर्द की गोली के साथ – साथ एक गर्भ – निरोधक गोली भी ला कर दी. इससे उसका दर्द कम हो गया और जो रात में मैंने अपने वीर्य से उसकी बुर को भर दिया था उससे होने वाली प्रेग्नेंसी का खतरा भी टल गया.

उसके बाद अब हमें जब भी मौका मिलता है हम चुदाई का खेल खेलते रहते हैं. निशा हमारे घर पर करीब एक महीना रही. इस बीच कैसे मैंने उसकी अलग – अलग पोज में चुदाई की और गांड भी मारी ये मैं आप लोगों को अगली कहानी में बताऊंगा.
 
Back
Top