गांड मे लंड डालकर मजे दिलवाए

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Antarvasna, hindi sex story: मैंने अपने जीवन में हमेशा ही मुश्किलों का सामना किया है मेरे पिताजी की मृत्यु के बाद मेरी मां ने ही घर की सारी जिम्मेदारियों को संभाला है। उन्होंने बखूबी सारी जिम्मेदारियों को संभाला जिससे कि घर भी अच्छे से चलता रहा और हमें भी कभी कोई समस्या उन्होंने आने नहीं दी लेकिन पापा की कमी तो हमेशा हमारे जीवन में खलती ही रही। मेरी शादी को आज 10 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इन 10 वर्षों में मेरे पति का व्यवहार भी मेरे प्रति पूरी तरीके से बदल गया वह मुझसे बिल्कुल भी अच्छे से बात नहीं करते हैं फिर भी मैं अपने शादीशुदा जीवन को अच्छे से चला रही हूँ। गौतम और मेरे बीच अब वह प्यार बिल्कुल भी नहीं है गौतम नौकरी के सिलसिले में मुंबई चले गए गौतम का प्रमोशन हो चुका था इसलिए उन्हें उनकी कंपनी ने मुंबई भेज दिया। मैं घर में बच्चों की देखभाल बड़े ही अच्छे से करती लेकिन मेरे जीवन में कुछ नयापन नहीं था मैं अपनी जिंदगी में बहुत ज्यादा बोर हो चुकी थी मेरे पास ना तो कुछ करने के लिए था और मैंने अपने कई सपनों का गला घोट कर अपनी शादीशुदा जीवन को हमेशा ही महत्व दिया।

मेरी मां का मुझे फोन आया और वह कहने लगी की महिमा बेटा तुम कैसी हो मैंने मां से कहा मां मैं तो ठीक हूं मां ने मुझसे गौतम के बारे में पूछा तो मैंने मां को बताया कि गौतम का ट्रांसफर हो चुका है। मां कहने लगी कि बेटा कुछ दिनों के लिए तुम बच्चों को लेकर घर पर आ जाओ मैंने मां से कहा मां आजकल घर पर आना तो मुश्किल होगा क्योंकि बच्चों की छुट्टियां नहीं है लेकिन मैं कोशिश करूंगी कि एक-दो दिन के लिए मैं घर आ जाऊं। मां कहने लगी कि बेटा यदि तुम कुछ दिनों के लिए बच्चों को घर ले आती तो हमें भी अच्छा लगता मैंने मां को कहा ठीक है मां मैं कोशिश करूंगी। घर पर अब भैया और मां ही हैं भाभी भी कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई हुई थी तो मैंने भी सोचा कि क्यों ना बच्चों के साथ मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके हो आऊं। शाम के वक्त मैं रसोई में काम कर रही थी कि तभी गौतम का मुझे फोन आया और गौतम का फोन मुझे काफी दिनों बाद आया था मैंने गौतम से उनके हालचाल पूछे तो वह मुझे कहने लगे कि मैं ठीक हूं।

गौतम ने मुझसे बच्चों के बारे में पूछा तो मैंने गौतम को बताया कि बच्चे भी ठीक हैं मैंने गौतम से कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए अपनी मां के यहां जाना चाहती हूं। गौतम ने मुझे कहा कि ठीक है तुम कुछ दिनों के लिए चली जाओ मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं कुछ दिनों के लिए मां के घर चली जाऊं और फिर मैं मां से मिलने के लिए चली गई। मेरे साथ मेरे दोनों बच्चे थे मां बच्चों से मिलकर बड़ी खुशी हुई मां बच्चों के साथ बड़े अच्छे से खेल रही थी मुझे वह दिन याद आने लगे जब हम लोग साथ में खेला करते थे भैया और मैं आपस में इस बारे में बात कर रहे थे। मैंने भैया से कहा भैया भाभी मायके से कब लौटेंगे तो भैया कहने लगे कि वह अपने मायके से 10 दिन बाद लौट आएगी। भैया और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे कि मां हमारे पास आकर बैठी और मां कहने लगी की महिमा बेटा मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देती हूं मैंने मां से कहा नहीं रहने दीजिए आप बेवजह ही तकलीफ मत कीजिए अभी वैसे भी मुझे भूख नहीं लग रही है। मां ने कहा कि बच्चों को कुछ खिला देते हैं तो मैंने मां से कहा नहीं मां रहने दो हमने नाश्ता कर लिया था और दोपहर के वक्त हम सब लोग साथ में खाना खा लेंगे। मां दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी मैंने भी मां की मदद की मां और मैं रसोई में खाना बना रहे थे और आपस में बात भी कर रहे थे मां ने मुझसे पूछा कि गौतम कैसे हैं। मैंने मां को बताया मां गौतम ठीक हैं मां और मैं एक दूसरे से काफी देर तक बात करते रहे बातों बातों में हम लोगों ने खाना भी बना लिया और समय का बिल्कुल भी पता नहीं चला। काफी समय बाद मैं मां के साथ एक अच्छा समय बिता पा रही थी, अब हम लोगों ने दोपहर के खाने की तैयारी शुरू कर दी हम लोग साथ में बैठे हुए थे बच्चों ने भी खाना खा लिया था और हम लोगों ने भी खाना खा लिया था। कुछ देर तक हम लोग साथ में बैठे रहे और फिर मैं रूम में आराम करने के लिए चली गई मुझे नींद कब आ गई कुछ पता ही नहीं चला। मैं रूम में अकेली ही थी और बच्चे मां के साथ दूसरे कमरे में सो रहे थे जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा उस वक्त घड़ी में 5:00 बज चुके थे मैं हॉल की तरफ गई तो मैंने देखा मां हॉल में बैठी हुई थी वह बच्चों के साथ खेल रही थी। मैंने मां को कहा मां तुम कब उठी तो मां कहने लगी मैं तो काफी देर पहले ही उठ गई थी।

मां ने मुझे कहा महिमा बेटा क्या मैं तुम्हारे लिए चाय बना दूं मैंने मां से कहा हां मां आप मेरे लिए चाय बना दो। मां ने मेरे लिए चाय बनाई और हम लोग साथ में बैठकर चाय पीने लगे थोड़ी ही देर बाद भैया भी आ गए मैंने भैया से कहा भैया मैं आपके लिए चाय बना देती हूं। भैया ने कहा नहीं महिमा तुम रहने दो मैं अभी किसी जरूरी काम से जा रहा हूं मैंने भैया से कहा भैया अभी आप कहां जा रहे हैं आज तो आपकी छुट्टी है। भैया कहने लगे कि मुझे कहीं कुछ जरूरी काम से जाना है बस थोड़ी देर बाद मैं लौट आऊंगा भैया अपने कमरे में चले गए और वह तैयार होकर जा चुके थे। मैं और मां साथ में बैठे हुए थे मां ने मुझे कहा कि चलो बेटा हम लोग पार्क में घूम आते हैं। घर के पास ही एक पार्क है हम लोग वहां पर चले गए हम सब वहां पर बैठे हुए थे बच्चे भी पार्क में खेल रहे थे मैं बच्चों को बाहर के गेट की तरफ जाने से मना कर रही थी क्योंकि पार्क के गेट के बाहर ही रोड है और वहां पर बड़ी तेजी से गाड़ियां आती है इसलिए मुझे यह भी डर सता रहा था।

मैंने बच्चों को पार्क के अंदर ही खेलने के लिए कहा वह लोग अब खेल रहे थे मैं और मां साथ में बैठे हुए थे तभी मेरी नजर हमारे पड़ोस में रहने वाली सुषमा पर गई सुषमा मुझे काफी वर्षों बाद मिल रही थी। सुषमा से मैंने पूछा तुम काफी समय बाद दिख रही हो तो सुषमा कहने लगी कि महिमा तुम भी तो मुझे काफी वर्षों बाद दिख रही हो मैंने सुषमा को बताया कि मैं मां से मिलने के लिए आई हुई थी। वह भी मुझे कहने लगी कि मैं भी अपनी मां से मिलने के लिए आई हुई थी हम दोनों आपस में बात करने लगे थोड़ी देर बाद अंधेरा होने लगा था मां मुझे कहने लगी कि चलो बेटा अब घर चलते हैं। हम लोग बच्चों को लेकर घर आ गए मैंने सुषमा से कहा कि सुषमा मैं तुम्हें फोन करूंगी मैंने सुषमा का नंबर ले लिया था। जब हम लोग घर लौट रहे थे तो उस वक्त मुझे रजत दिखाई दिया रजत अपनी पत्नी के साथ जा रहा था रजत भी मुझे देखता रहा वह एकटक नजरों से मुझे देखता रहा। मै भी उसकी तरफ देखती वह काफी आगे जा चुका था मैं भी अपने घर पर पहुंच चुकी थी। रजत मेरे पीछे कॉलेज के वक्त में पड़ा हुआ था वह मुझसे शादी करना चाहता था लेकिन किसी कारणवश मैंने उसे हां नहीं कहा था जिस वजह से रजत ने शादी कर ली और मेरी भी शादी हो चुकी थी लेकिन रजत की खुशहाल जिंदगी को देखकर मुझे अच्छा लग रहा था मैं चाहती थी एक बार रजत से बात करूं और आखिरकार अगले दिन रजत से मेरी बात हो ही गई। अगले दिन जब रजत से मेरी बात हुई तो रजत और मैं एक दूसरे से बात कर रहे थे मुझे अपने कॉलेज के दिनों की बात याद आ रही थी। रजत मुझसे कहने लगा उस समय तुम बड़ी सुंदर लगती थी। मैंने रजत को कहा आज मैं सुंदर नहीं दिखती। रजत कहने लगा नहीं आज भी तुम बड़ी सुंदर हो और तुमने अपने आपको आज भी पहले जैसे ही रखा है। मैंने रजत से कहा लेकिन तुम भी तो बिल्कुल नहीं बदली वह मुझे कहने लगा हां तुम ठीक कह रही हो शायद मैं भी बिल्कुल नहीं बदला हूं। उस वक्त रजत की तरफ मे आकर्षित होने लगी थी और मैं चाहती थी किस प्रकार से हम दोनों के बीच में सेक्स हो जाए मैं इस बात के लिए पूरी तरीके से तैयार थी और रजत के प्रति में कुछ ज्यादा ही अकर्षित हो रही थी। मै रजत का पुराना प्यार थी सब कुछ पहले जैसा ही होने वाला था।

एक दिन रजत ने मुझे घर पर बुला लिया जब उसने मुझे घर पर बुलाया तो मैं घर पर चली गई हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे। वह मेरी तरफ देख रहा था उसने मेरे होठों को चूम लिया जिस प्रकार से उसने मेरे होंठों को चूमा उससे मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। रजत बहुत ज्यादा खुश था उसने जब मेरे होंठों को चूमा मैंने अपने बदन से पूरा कपड उतारे और मेरे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। मैं पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी रजत ने मेरे स्तनों को बहुत देर तक चूसा जिस प्रकार से उसने मेरे स्तनों का रसपान किया उस से मै बहुत ज्यादा ही उत्तेजित होने लगी थी मेरे अंदर की गर्मी बढने लगी। मैंने भी रजत के लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया मुझे उसके लंड को मुंह मे लेने बड़ा मज़ा आ रहा था। बहुत देर तक मैंने उसके लंड को मुंह मे लेकर चूसा। मेरे अंदर की गरमाहट कुछ ज्यादा बढ़ चुकी थी मैंने भी उसे कहा तुम अब अपने लंड को अंदर डाल दो।

उसने भी मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया मेरे मुंह से तेज चीख निकली जिस प्रकार से मैं चिल्ला रही थी वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था उसने मुझे कहा मुझे तुम्हें धक्के देने में बड़ा मजा आ रहा है। उसने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा तेज गति से उसने मुझे धक्के देने शुरू कर दिए वह जिस गति से धक्के मार रहा था उससे मुझे बड़ा आनंद आ रहा था मैंने भी रजत का पूरा साथ दिया। रजत ने अपने वीर्य को मेरी चूत के अंदर गिरा दिया उसने अपने लंड को मेरी गांड के अंदर घुसाया तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगा वह मेरी गांड मार रहा था। जिस प्रकार से उसने मेरी गांड के अंदर लंड डाला मै उत्तेजित होने लगी थी वह बड़ी तेज गति से मुझे धक्के मारता उसने मुझे काफी देर तक धक्के मारे। मैंने उसे कहा मैं अब रह नहीं पाऊंगी वह कहने लगा तुम्हारी गांड से खून निकलने लगा है। मैंने उसे कहा तुम अपने वीर्य को मेरी गांड में गिरा दो और मेरी गांड की आग को बुझा दो। उसने अपने वीर्य को मेरी गांड के अंदर डाला मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई थी रजत ने अपने वीर्य को मेरी गांड में गिराकर मेरी आग को बुझा दिया। मैं घर लौट आई थी जब भी मुझे उसकी जरूरत पड़ती तो मैं उसे बुला लिया करती वह भी हमेशा मेरे पास दौड़ा चला था।
 
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