गुरुदक्षिणा में मिली कंवारी चूत [भाग-2]

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दोस्तों कहानी के पहले भाग गुरुदक्षिणा में मिली कंवारी चूत, में बताया मैने कि कैसे लेक्चरर राजेश जिनको हम राजेश गुरु कहते थे, मेरट के एक कालेज में अपनी बीएड की कन्या को समय से पहले बुला कर प्रैक्टिस टीचिंग के दौरान चुदाई का जुगाड़ भिड़ा दिया। मैने बताया था कि सरला को उठा कर अपनी गोद में बिठाने के बाद उसके ब्लाउज को पीछे से खोल दिया और लंड को चूत पर साड़ी के उपर से ही लगातार चुभाते हुए नंगी पीठ पर अपने मूंछों वाले होट से सेक्सी चुम्मा देने लगे। सरला को मजा आना शुरु हो चुका था और जब चिकनी नंगी पीठ पर राजेश गुरु के गीले नरम होटों के पोंछे के साथ मूंछों का झाड़ू लगना शुरु हुआ तो वह उनकी पकड़ में हीं अंगड़ाईयां लेने लग गयी। दोनों पर वासना का भूत सर चढने लगा था अब सरला ने राजेश गुरु के पैंट में तलाश करना शुरु कर दिया था। शायद वह लंड ही तलाश कर रही थी और अपनी गांड उठा कर लगातार चुभ रहे लौड़े को अपने मूठ में भर लिया। राजेश गुरु तो पहले से गरम थे। उन्होंने ब्लाउज जो उतार दिया और सरला के काले काले निप्पल्स को एक हाथ में चुटकी भरते हुए दूसरे हाथ से सरला की गांड दबाते हुए दूसरे निप्पल को अपने होटों से काटने और चूसने लगे। उनकी एक आदत थी, चोदने के बाद पहली मुलाकात में वो अपनी संगिनी को एक निशान जरुर देते थे और आज उन्होंने आज सरला की निप्पल को काट ही तो लिया। सरला तड़प गयी, दांत धंस गये थे निप्पल्स में। आह्ह्ह मम्मी ये क्या सर मेरा चूंचे काट लिया? राजेश सर ने कहा रानी अभी तो दर्द और मजे की शुरु आत है और उसे बेंच पर लिटा कर उसके पेटीकोट को उपर उठा कर उसकी चड्ढी खींच ली।

नंगी झांटदार चूत सामने थी, पकड़ कर उन्होंने अपनी मूंछों वाला मुह उसकी चूत पर लगा दिया। जब वो छेद से उसकी गीली गीली चूत से निकला कामरस चूस रहे थे तो मूंछे भग को सहला कर सरला को चरम उत्तेजना दे रहीं थीं वो इतनी आनंद में थी कि दुनिया को भूल चुकी थी। अब राजेश गुरु ने हल्की जीभ उसकी गांड पर फ़िरा दी वो उनकी दीवानी हो गयी। अब मेज के दूसरे छोर पर जाकर उसके लटके हुए सर में मुह खोलवा कर अपना लंड अंदर डाला। मोटा लंड मुह में नहीं आ रहा था पर धीरे धीरे सरला ने अपने हाथो से पकड़ कर अंदर लिया। पांच मिनट तक चूसने के बाद यह लोहा हो चुका था। अब चूत चोदन की बारी थी। राजेश गुरु ने सरला की टांगे टेबल के किनारे खींचीं और खोल कर उसमें लंड को घुसाना शुरु किया। कहां चूहे के गांड में मूसल वैसे सरला की छोटी चूत और राजेश गुरु का मोटा गदह लंड। फ़ुद्दी के किनारे को खोल कर राजेश गुरु ने सरला के मुह पर हाथ रखा और अपनी आंखें मूंद कर एक झटका जोर दार और हलक से निकली चीख से कालेज गूंज जाता अगर हाथ का ढक्कन मुह पर न रहा होता। लंड के घुसते ही वह एक दम से तड़पी और ढीली पड़ गयी। ऐसा लगा जैसे कि जान चली गयी हो लेकिन दो चार झटकों के बाद जब उसने आंखें खोलीं तो हल्की हल्की उन्माद में उसके मुह से सिस्कारियां आ रहीं थीं। वाह क्या नजारा था, इसके बाद तो उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और राजेश गुरु के होटों के अंदर घुसा दी। दोनों अब पेलम पेल में माहिर हो रहे थे, लंड और चूत का साथ जमने लगा था। वो उछाल उछालके अपनी गांड को लौड़ा अंदर लेने पर तुली थी। राजेश गुरु ने लगभग आध घंटे तक चोदने के बाद अपना वीर्य दही की तरह उसके मुह में पिला दिया और वो इसे सुड़क कर किसी बिल्ली की तरह होटों पर जीभ फेरते हुए बोली। सर अब तो मैं पास हो जाउंगी। राजेश गुरु ने कहा जरुर बेटा अब तुझे मेरे लंड का अभय दान मिल चुका है। दोस्तों कैसी लगी कहानी बताना प्लीज और कैसी कहानियां आपको उत्तेजित करती हैं इस बारे में भी चर्चा जरुर करना। बाय बाय!
 
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