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नमस्कार दोस्तों,

मैं आज आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ और मैं आपको यह कुमक मसालेदार चुत - चमेली की खानी सुनाने जा रहा हूँ | मैं आज जिस लड़की की कहानी सुनाने जा रहा हूँ उसका नाम दीप्ती था और कई सालों की पुरानी दोस्ती हमारी चलती हुई आ रही थी पर जिसने एक दिन बुरा मोड ले लिया | दीप्ती और मैं एक दूसरे के बहुत करीब होने के कारण एक दूसरे हर विषय में पूरी तरह से खुले हुए थे पर हमने कभी एक दूसरे को उस कामुकता की नज़रों से कभी ना देखा था | मैंने वैसे तो दीप्ती की गोरे नशीले बदन की तरफ कभी ना देखता अगर उस दिन उसे घर चोढ़ते वक्त रास्ते में बारिश ना हो जाती और उसके भीगे तन पर मैं फिसल ना जाता तो | हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वो सारा बस यूँ समझ लो उप्पर वाले करा - धरा था |

मैं उस दिन दीप्ती को उसके घर छोड़ने जा रहा था और उस समय काफी रात भी हो चुकी थी | आसमान में भीगे - भीगे काले बादल थे और अचानक उस्न्होने अपना रंग दिखाना शुरू भी कर दिया | हम अब दीप्ती के घर पहुँचने वाले थे ही के एक दम से तेज बारिश शुरू हो गयी और हम वहीँ एक छोटे से गेरेज में जा छुपे | हमने काफी देर इन्तेज़ार किया पर बारिश थमने का नाम ही नहीं ले रही थी और अब हमने वहीँ आजू बाजु बैठकर बारिश में रोमांटिक बातें करने लगे | उन उमडती हुई बातों में झूमकर मैंने उसकी बाहों को सहलाने लगा जिससे वो अबगरम होने लगी | हमें समझा ना आ रहा था की आखिर हमें इस तरह एक दूसरे को सहलाने से कसी शारीरिक शान्ति मिल रही थी | अब जब मेरे अंदर की आग और बढ़ी तो मैंने अब उसकी कमीज़ को खोल उसके चुचों को बाहर निकाल लिया और उन्हें हाथ से मसलते हुए चूसने लगा |

यह सब पलक झपकते ही होने वो वही अपने साथ को मेरे सीने पर मसलने लगी थी | मैंने अब उसे चुमते हुए उसके होठों को को भी अपने होठों तले रगड़ना शुरू कर दिया | कुछ ही देर मैंने अब मैंने अपनी और उसकी पैंट को खोल दिया और मेरा हाथ उसकी गीली पैंटी के उप्पर था ही के मैंने उसकी गीली पैंटी को उप्पर ऊँगली को मसलते हुए उसे पूरी नंगी कर दिया और अपनी उँगलियों से उसी चुत में आगे - पीछे करने लगा वो भी मेरी चड्डी में से मेरे लंड को निकलकर अपने हाथ में मसल रही थी और मैंने अब कुछ ज्यादा ही मूड में आते हुए अपने लंड को वहीँ उसे झुकाते हुए उसकी चूत पर रगड़ने लगा और कुछ ही देर में एक अच्छी मुद्रा में उसे जकड़ते हुए धक्के लगाने लगा |

पहले तो दीप्ती को मेरी इस क्रिया से काफी दर्द हुआ पर कुछ ही देर में जब उसे मेरे लंड की अदात सी लग पड़ी तो मैंने अपना लंड तेज़ी से अपना लंड अन्दर - बाहर करने लगा और वो भी जवाब में बड़े मस्त में "अआहह्हा हह्हहह्ह मेरे राजा" कहकर चिल्ला रही थी | हमने उस भरी बारिश में करीब एक घाटे तक इसीस तरह चुदम - चुदाई की और आखिर में मैंने उसी की चुत के के उप्पर झड भी किया | मेरे झाड़ते ही बारिश भी थम गयी और हमने एक दूसरे को आखिरी बार चुमते हुए घर चल पड़े | अब से हमारी दोस्ती रंडवे - रंडी की दोस्ती में बदल चुकी थी |
 
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