आपको जानवी की चूत चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ जोकि मेरे गॉंव की लड़की थी | दोस्तों मैं अक्सर कुछ सालों पहले ताज आम तौर अपने गॉंव जाया करता था जानवी के साथ खुलकर बातें किया करता था पर च्यूंकि मैं २३ वर्ष का बड़ा मर्द हो गया था तो गॉंव में हमारा आना जाना पापा के काम के सिलसिले में और मेरी पढाई की वजह से बिलकुल थम से गया था | इस बार मैं अपने गॉंव करीब २ साल बाद जा रहा था | मैं जब गॉंव पहुंचा तो मेरी नज़रें सबसे मिलने के बाद अब जानवी को ही दूंध रही थी | मैंने तभी देखा की वो अपने घर की छत पर से मुझे देख रही थी |
वो हमारे बीच तो इतने बरसों से चल रहा था कुछ प्यार था के नहीं यह मैं नहीं जानता बस फिलहाल इतना ही जानता था की उस वक्त में जानवी की चूत का प्यासा हुआ जा रहा था वैसे भी शहर में कोई लड़की भी नहीं मेरे चोदने लायक | हमने दो दिनों तक चुपके चुपके खेतों में ही बता की क्यूंकि अब हम बड़े हो चुके थे और गॉंव वाले हमेशा गलत ही समझते हैं ख़ैर हम भी कुछ गलत ही जो करने वाले थे | अगले दिन मैंने उसे शाम को अपने पुराने मकान में आने कहा जहाँ मेरे घर वालों में से कोई मुश्किल से जाता था | उस अँधेरे कमरे में बस दिया ही जल रहा था और हम दोनों जैसे के पल के लिए एक दूसरे की आँखों में ही खो गए थे |
मैंने तभी जानवी को बाहों में उसे लिए हुए उसके होठो चूम लिया जिसपर वो शरमा गयी तभी मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए अपने तरफ खींचा और होठों को चूसना ज़ारी कर दिया | मैंने अब उसके चुचों को अपने हाथों में भर लिया और होठों को चूसते हुए मैंने उसकी कुर्ती और सलवार को भी उतार दिया | अब मेरा सामने जानवी नंगी हो गयी और मैं अब उसके चुचों को पीता हुआ उसकी पैंटी को भी नीचे उतार दिया | अब मैंनेखाट पर लिटाते हुए उसकी चूत में ऊँगली अंदर - बाहर करना चालू कर दिया जिससे कुछ देर बाद ही उसकी चूत गीली हो गयी | मेरे लंड की उतावला बढ़ता ही जा रहा था |
अब मैंने जानवी को थामते हुए अपने लंड को चूत पर टिकाया और धक्का मारने शुरू कर दिया साथ उसके चुचों की कस - कस के चूस्कियां लेने लगा | उसकी चूत में कसक दर्द हो रहा था और वहाँ उसका खून भी निकला जो उसे दिखायी नहीं दिया | मैंने जानवी के दर्द को शांत करने के लिए उसकी चूत में ऊँगली करने लगाऔर बीतते समय के साथ वो भी शांत ही पड़ गयी | मेरी वासना मुझपर ही हावी हुई जा रही थी और अब मैं अपने आप को उसकी चूत में तेज़ी के धक्के देने नहीं रोक पाया और जमकर उसकी चूत में लंड को अपरम्पार धकेलने लगा | जानवी भी पूरी लाल पड़ चुकी थी और मेरा लंड का सुपाडा भी बिलकुल लाल होता हुआ झड गया | हम दोनों निढाल फिरसे एक दूसरे की आँखों में खोते यूँही लेट गए |
वो हमारे बीच तो इतने बरसों से चल रहा था कुछ प्यार था के नहीं यह मैं नहीं जानता बस फिलहाल इतना ही जानता था की उस वक्त में जानवी की चूत का प्यासा हुआ जा रहा था वैसे भी शहर में कोई लड़की भी नहीं मेरे चोदने लायक | हमने दो दिनों तक चुपके चुपके खेतों में ही बता की क्यूंकि अब हम बड़े हो चुके थे और गॉंव वाले हमेशा गलत ही समझते हैं ख़ैर हम भी कुछ गलत ही जो करने वाले थे | अगले दिन मैंने उसे शाम को अपने पुराने मकान में आने कहा जहाँ मेरे घर वालों में से कोई मुश्किल से जाता था | उस अँधेरे कमरे में बस दिया ही जल रहा था और हम दोनों जैसे के पल के लिए एक दूसरे की आँखों में ही खो गए थे |
मैंने तभी जानवी को बाहों में उसे लिए हुए उसके होठो चूम लिया जिसपर वो शरमा गयी तभी मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए अपने तरफ खींचा और होठों को चूसना ज़ारी कर दिया | मैंने अब उसके चुचों को अपने हाथों में भर लिया और होठों को चूसते हुए मैंने उसकी कुर्ती और सलवार को भी उतार दिया | अब मेरा सामने जानवी नंगी हो गयी और मैं अब उसके चुचों को पीता हुआ उसकी पैंटी को भी नीचे उतार दिया | अब मैंनेखाट पर लिटाते हुए उसकी चूत में ऊँगली अंदर - बाहर करना चालू कर दिया जिससे कुछ देर बाद ही उसकी चूत गीली हो गयी | मेरे लंड की उतावला बढ़ता ही जा रहा था |
अब मैंने जानवी को थामते हुए अपने लंड को चूत पर टिकाया और धक्का मारने शुरू कर दिया साथ उसके चुचों की कस - कस के चूस्कियां लेने लगा | उसकी चूत में कसक दर्द हो रहा था और वहाँ उसका खून भी निकला जो उसे दिखायी नहीं दिया | मैंने जानवी के दर्द को शांत करने के लिए उसकी चूत में ऊँगली करने लगाऔर बीतते समय के साथ वो भी शांत ही पड़ गयी | मेरी वासना मुझपर ही हावी हुई जा रही थी और अब मैं अपने आप को उसकी चूत में तेज़ी के धक्के देने नहीं रोक पाया और जमकर उसकी चूत में लंड को अपरम्पार धकेलने लगा | जानवी भी पूरी लाल पड़ चुकी थी और मेरा लंड का सुपाडा भी बिलकुल लाल होता हुआ झड गया | हम दोनों निढाल फिरसे एक दूसरे की आँखों में खोते यूँही लेट गए |