घर में बुलाकर सील तोड़ी

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Hindi sex story, antarvasna मैं अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी और मेरी पढ़ाई खत्म होने वाली थी, एक दिन पापा मुझे कहने लगे बेटा तुमने अब आगे का क्या सोचा है मैंने अपने पापा से कहा पापा मैंने तो नौकरी करने की ही सोची है तो पापा कहने लगे बेटा तुम लखनऊ से बाहर कहां जाओगी यहीं कहीं कोई काम देख लो मैंने उन्हें कहा नहीं पापा कुछ समय के लिए तो मुझे कहीं ना कहीं काम करना ही पड़ेगा तो पापा कहने लगे मेरे पुराने दोस्त हैं वह भी डॉक्टर है यदि मैं उनसे बात करूं तो क्या तुम उनके साथ काम करोगी मैंने कहा ठीक है। उसके बाद उन्होंने मेरे सामने ही अपने पुराने मित्र को फोन कर दिया और वह मुझे कहने लगे कि तुम मुझसे आकर मिल लेना उन्होंने मुझे अपने घर पर मिलने के लिए बुलाया, मैं अपने पापा के साथ वहां गयी और उसके बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम अब आगे क्या करना चाहती हो तो मैंने उन्हें अपने बारे में बता दिया उन्होंने कहा कुछ समय बाद शायद यहां पर एक वैकेंसी खाली हो जाएगी जिसमें कि तुम नौकरी कर सकती हो।

कुछ ही समय बाद मैंने उनके हॉस्पिटल में नौकरी ज्वाइन कर ली क्योंकि वह सरकारी हॉस्पिटल था इसलिए वहां पर काफी भीड़ रहती थी और मुझे मरीजों को देखने में बड़ी दिक्कत आती थी क्योंकि मैंने एक साथ इतना सारा काम कभी किया ही नहीं था यह मेरी नौकरी की पहली शुरुआत थी मैं जब शाम को घर पहुंचती तो बहुत थक जाती थी और उसके बाद तो मुझे बहुत ज्यादा नींद आती लेकिन मैं अपने काम को पूरी मेहनत से किया करती थी मेरे काम में कभी कोई शिकायत नहीं थी, मुझे वहां काम करते हुए तीन महीने हो चुके थे। एक दिन मैं हॉस्पिटल में और मरीजों को देख रही थी तभी दस बारह लड़के मेरे केबिन में आ गए और कहने लगे हमारे दोस्त को चोट लगी है मैंने कहा तुम्हारा दोस्त कहां है तो वह कहने लगे वह बाहर कुर्सी पर बैठा हुआ है, मैंने जब उसे देखा तो मुझे लगा कि मुझे उसका इलाज करना चाहिए उसके सर से काफी ज्यादा खून निकल रहा था और हाथ पैरों में भी बहुत चोट लगी हुई थी इसलिए मैंने उस वक्त उसका इलाज करना ही बेहतर समझा, मैंने उसके सर पर पट्टी लगा दी जिससे की उसका खून का बहाव बंद हो चुका था और उसके हाथ पैरों पर भी टांके लगाए हुए थे वह काफी चोटिल था हालांकि वह पुलिस का मामला था लेकिन मुझे लगा कि मुझे उसकी जान बचानी चाहिए।

जब मैंने उस लड़के से उसका नाम पूछा तो वह कहने लगा मेरा नाम सतीश है और मैं कॉलेज के चुनाव में उठा था लेकिन ना जाने कहां से कुछ लड़के आ गए और उन्होंने कॉलेज में गुंडागर्दी करना शुरू कर दिया और उसके बाद हमारी उनके साथ हाथापाई भी हुई, मैंने उसे कहा तुम कुछ दिन आराम करो और घर पर ही रहना कहीं तुम्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं है नहीं तो दोबारा से तुम्हें दिक्कत हो जाएगी। मैंने सतीश से कहा कि तुम कुछ दिनों बाद मेरे पास दवाई लेने के लिए आना वह कहने लगा ठीक है मैडम मैं कुछ दिनों बाद आपके पास आ जाऊंगा और फिर वह चला गया, उसके कुछ दिन बाद वह दोबारा मेरे पास आया तो उस वक्त वह ठीक था। वह मुझे कहने लगा मैडम मुझे क्या करना चाहिए मैंने उसे कहा तुम बस दवाई लेते रहो और कुछ दिन घर पर रेस्ट करो वह कहने लगा लेकिन मैडम कॉलेज में चुनाव भी सर पर है और यदि इस बार कोई नया चेहरा नहीं जीता तो कॉलेज में हमेशा की तरह ही गुंडागर्दी चलती रहेगी। मैंने उस वक्त सतीश से बात की तो मुझे लगा वह काफी समझदार व्यक्ति है और उसे काफी कुछ चीजों की जानकारी थी इसलिए मैं शायद उससे प्रभावित हो गई और उसके बाद सतीश मुझसे अक्सर मिलने के लिए क्लीनिक आ जाया करता और कुछ समय बाद जब सतीश कॉलेज के चुनाव में जीत गया तो वह एक दिन मेरे लिए मिठाई का डब्बा लेकर आया और कहने लगा मैडम आपके लिए मैं मिठाई लाया हूं, मैंने सतीश से कहा तुम मेरे लिए यह क्यों लेकर आए तो वह कहने लगा मैडम आप बहुत अच्छी हैं और आपने उस वक्त मेरी बहुत मदद की थी यदि आप की जगह कोई और होता तो शायद वह मुझे देखने से मना कर देता लेकिन आपकी वजह से ही मैं ठीक हो पाया हूं।

सतीश बहुत ज्यादा खुश था उसके साथ काफी लड़के आए हुए थे सतीश अपने कॉलेज के चुनाव में जीता था और उसके बाद कॉलेज में ही व्यस्त हो गया वह पूरी तरीके से कॉलेज में व्यस्त हो चुका था इसलिए वह कॉलेज में ही रहता था कभी कभार सतीश मुझे फोन कर दिया करता था इसलिए मैं भी उससे बात कर लेती थी हालांकि एक दिन मैं अपने परिवार के साथ गयी हुई थी उस दिन मुझे मालूम नही था कि सतीश मुझे मिल जाएगा, मैं अपने परिवार के साथ गई थी तो पापा गाड़ी ड्राइव कर रहे थे और पाप गाड़ी ड्राइव कर रहे थे तो गलती से एक व्यक्ति को चोट लग गई और वह रोड पर गिर गया पापा ने उसे उठाया लेकिन वह बेहोश हो गया था और जब मैंने उसके मुंह पर पानी की कुछ बूंदें मारी तो वह होश में आ गया लेकिन वहां आसपास के लोगों ने बहुत भीड़ जमा कर ली और वह पापा के साथ बदतमीजी करने लगे, पापा ने उन्हें समझाया भी लेकिन उनका गुस्सा तो जैसे सातवें आसमान पर था और वह कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थे जब एक व्यक्ति ने पापा को जोर से धक्का मारा तो पापा जमीन पर गिर गए मुझे बहुत डर लग गया था क्योंकि वह लोग अब अपना आपा खो चुके थे मैं बहुत ज्यादा गुस्से में हो गई और मैंने एक दो लोगों को धक्का दे दिया लेकिन वह लोग कुछ सुनने को तैयार नहीं थे उस दिन तो अच्छा रहा कि वहां से सतीश गुजर रहा था और जब सतीश वहां से गुजर रहा था तो उसके साथ में और भी लड़के थे जब उन्होंने वहां देखा की इतनी भीड़ क्यों है तो उनकी नजर मुझ पर भी पड़ गयी की मैं भी वहां पर हूं तब उन्होंने वहां से भीड़ को खदेड़ दिया।

मैंने सतीश से कहा तुम समय पर नहीं आते तो शायद यह लोग ना जाने आज पापा के साथ क्या बदतमीजी करते, मैंने सतीश का धन्यवाद दिया सतीश कहने लगा इसमें धन्यवाद वाली कोई बात है ही नहीं आपने भी मेरी मदद की थी और वैसे भी आप दिल की बहुत अच्छी है आपके साथ कभी कोई बुरा हो ऐसा मैं होने ही नहीं दूंगा। मुझे उसकी बात सुनकर एक अजीब सा एहसास हुआ लेकिन उस वक्त तो हम लोग बहुत ज्यादा डर गए थे पापा ने भी जल्दी से कार स्टार्ट की और वहां से हम लोग चले गए हमें जिस जगह जाना था हम लोग वहां पर पहुंच गए और उसके बाद पापा का मूड भी थोड़ा ठीक हो चुका था मैं भी इस बात से खुश थी कि कम से कम पापा का मूड अब ठीक हो चुका है नहीं तो वह बहुत ज्यादा डर चुके थे, जबकि उन्होने उन लोगों से माफी भी मांग ली थी उसके बावजूद भी वह लोग पापा के साथ बदतमीजी करने लगे थे हम लोग जब वहां से वापस लौट गए तो पापा घर में मुझे कहने लगे बेटा तुमने देखा जमाना कितना ज्यादा खराब है आज मेरी छोटी सी गलती की वजह से तुम लोगों को भी चोट आने वाली थी, मैंने पापा से कहा बस पापा अब आप इस बात को भूल ही जाओ आप अपने दिमाग से यह बात निकाल दो। पापा मुझे कहने लगे लेकिन उस लड़के ने समय पर आकर हमारी बहुत मदद की तुम उसे कहां से जानती हो तो मैंने पापा को सारी बात बताई पापा कहने लगे लेकिन सतीश वाकई में एक अच्छा लड़का है यदि वह समय पर वहां नहीं पहुंचता तो वह लोग तो बेकाबू होकर मुझ पर टूट पड़ते हैं। मैंने पापा को सतीश के बारे में बताया और कहा वह मुझे काफी पहले मिला था इसलिए वह मुझे जानता है।

आप बिल्कुल सही कह रहे हैं यदि वह सही समय पर नहीं मिलता तो शायद वह लोग आपके साथ कुछ गलत भी कर सकते थे। मै एक दिन सतीश से मिली मैंने उसका धन्यवाद कहा लेकिन मेरे दिल में सतीश के लिए एक अलग ही फीलिंग थी मैं सतीश को हमेशा फोन करने लगी और उससे घंटों तक मैं फोन पर बात किया करती। उसे भी मेरे साथ बात करना अच्छा लगता मैं सतीश से मिलना चाहती थी और एक दिन उससे मिलने के लिए मैं उसके घर चली गई। मैं पहली बार उसके घर पर गई थी वह भी बड़ा तेज किस्म का निकला उसने अपने घर में उस दिन किसी को भी यह बात नहीं बताई थी और उसके परिवार का कोई भी सदस्य उस दिन घर पर नहीं था शायद यह पहला मौका था जब मैं अपनी सील सतीश से तुडवा बैठी क्योंकि इससे पहले मैंने कभी भी किसी लड़के के बारे में सोचा नहीं था। जब मैं और सतीश साथ बैठे थे तो सतीश ने कुछ देर तो मेरे साथ बात की और उसके बाद वह मेरे हाथों को सहलाने लगा और धीरे-धीरे उसने मेरे होठों को चूसना शुरू किया, उसने मेरे होठों को अपने होठों में लिया तो मुझे बड़ा अच्छा लगने लगा। मैं काफी देर तक उसके होठों को चूसती रही जैसे ही मैंने सतीश के लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा वह कहने लगा तुम ऐसे ही चूसती रहो।

उसने मेरी योनि को भी बहुत देर तक चाटा मुझे बहुत मजा आया, जैसे ही उसने अपने मोटे लंड को मेरी योनि पर लगाया तो मेरी सील टूट गई। मुझे नहीं पता था कि मेरी सील टूटते ही इतना खून निकल आएगा लेकिन मेरी योनि से बड़ी तेजी से खून निकल रहा था मुझे बहुत दर्द हो रहा था, वह मुझे पूरी तेजी से धक्के मारता। उसके धक्को से मेरे मुंह से एक अलग ही आवाज निकल आती और उस आवाज से उत्तेजित होकर वह और भी तेज गती से धक्के देता। मैं अपने पैरों को चौड़ा कर लेती उसका लंड मेरी योनि के पूरा अंदर तक प्रवेश हो रहा था, उसका लंड मेरी योनि के अंदर बाहर बड़ी तेजी से होता जिससे कि मेरी चूत की गर्मी में बढोतरी होने लगी। जब सतीश का वीर्य मेरी योनि में गिरा तो मुझे बहुत तकलीफ हुई लेकिन मुझे बहुत मजा भी आया, उसके बाद हम दोनों ने बैठकर काफी देर तक बात कि, मुझे सतीश ने मेरे घर तक छोड़ा। उस दिन मैंने उसे फोन पर बहुत देर तक बात की और उसे बात कर के मुझे बहुत अच्छा लगा।
 
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