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अब तक आपने पढा, भक्ती के जाने के बाद कैसे रूपा ने अपने हुस्न का जलवा दिखाकर मुझे पिघला दिया था। अब आगे -

मै उसे एक हाथ से पकड़े रखकर दूसरे हाथ से पानी लेकर उसे दिया। वो साबुन का झाग निकालने की कोशिश करने लगी, लेकिन तभी उसका बैलेंस बिगड़ने लगा, तो उसने बोला, "राम, प्लीज तुम ये साफ़ कर दोगे। मुझसे नही होगा।"

और उसने मुझे दोनों हाथों से पकड़ लिया और मै बिना कुछ बोले हाथ में पानी लेकर उसके शरीर से साबुन का झाग साफ़ करने लगा। मेरा हाथ जैसे ही उसके चूची को छू गया उसने मुझे कसके पकड़ लिया और एक हल्की सी आह भरी। मैं सब अनदेखा करते हुए उसका जिस्म साफ करने लगा, तभी उसने अचानक से मुझे हग कर लिया।

मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने उसके गर्म होंठ मेरे होंठो पर रख दिए। अब मेरे लिए भी कंट्रोल कर पाना मुश्किल था, पता नही मुझे भी क्या हो गया था। मैं उसे रोकने की बजाय उसका साथ दे रहा था। मैं ना चाहते हुए भी उसके बदन को अपने हाथों से देखने की कोशिश कर रहा था। उसने मुझे अपने और पास खिंच लिया और अपनी जीभ को मेरे मुंह में घुसाकर इधर उधर घुमाने लगी।

अब तक तो मैं भी पूरी तरह से बहक गया था। मैंने उसे अलग करते हुए उसकी आँखों में देखा तो उसने मुझे फिर से अपने से चिपका लिया और किस करने लगी। किस करने के साथ ही उसका हाथ मेरी शर्ट के अंदर चलने लगा, और थोडी ही देर में उसने मेरी शर्ट भी उतार दी। अब वो मुझे किस किये जा रही थी और अपने हाथ को मेरी छाती पे घुमा रही थी। फिर अचानक वो थोडा पीछे हटी और उसने शावर को चला दिया। ये उसने इतनी तेजी से किया कि, मैं उसे रोक भी नही पाया।

शावर के चलाने से मैं भी पूरी तरह से भीग गया। और वो आकर मुझसे फिर से लिपट गई, अब मैं भी पूरी तरह खुल चूका था, तो मैं भी मजे लेकर उसके होंठों को चूस रहा था। साथ ही मैं अपने हाथों से उसके बदन को सहला रहा था। मेरे हाथ उसकी चूचियों पे जाकर रुक से गये, और अब मैं किस करने के साथ ही उसकी चुचियां भी मसल रहा था। तभी उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर रख दिया और उसे सहलाने लगी।

मुझे लगा नही था रूपा इतने जल्दी लंड को अपने हाथों में ले लेगी। मेरा लंड तो पूरी तरह से तैयार था, तो वो मुझे एक किस करके मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई और मेरी पैंट खोलने लगी। मैं अब बस देखे जा रहा था, रूपा और क्या क्या करती है। जैसे ही उसने पैंट खोली उसी के साथ उसने अंडरवियर को भी नीचे खिंचकर गिरा दिया। उसके ऐसे एक ही झटके में मेरे लौडे को आजाद करने से मेरा लंड भी फुंफकार मारते हुए बाहर आया।

उसने पहले आराम से मेरे कपड़ों को निकालकर एक तरफ रख दिया और फिर मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगी। अब हम दोनों नंगे शावर के नीचे भीग रहे थे।

तभी रूपा झट से उठ खडी हुई, उसके ऐसे उठ जाने से मैंने उसे पूछा, "इसका मतलब तुम यहाँ गिरी नही थी। ये सब मुझे अपने झांसे में लेने के लिए था?"

मेरे से वो इस सवाल की उम्मीद नही कर रही थी, तो वो थोडा चुप हो गई। तो मैंने ही उसे अपने पास खिंचकर किस करने लगा। और नीचे उसकी चुत की गर्मी मैं अपने लंड पे महसूस कर सकता था। मैं बहुत देर से खुद को रोके रखा था, लेकिन अब मेरे लिए मुश्किल था। तो मैंने उससे कहा, "एक राउंड यहीं हो जाये?"

उसने बस आँखे बंद कर दी और किस के लिए अपने होंठ खोलकर मुंह मेरी तरफ बढा दिया। तो मैंने उसके होठों को अपने होठों से बंद करके लंड को उसकी चुत के द्वार पर रख के एक जोरदार धक्का दे मारा। और एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लंड उसने अपनी चुत में ले लिया। लंड के चुत में घुसते ही उसके मुंह से आह निकल गई। लेकिन वो तो बहुत खेली खाई थी, तो उसे ज्यादा तकलीफ हुई नही। मैंने भी लगातार धक्के लगाना शुरू किया, और उसे खडे खडे ही जोर जोर से चोदने लगा।

मैं बस तेज रफ़्तार से धक्के मार रहा था, और उसकी सिसकारियों से पूरा बाथरूम गूंज रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने उसे वहीं झुकाकर घोडी बनने को कहा, तो वो झट से दीवार के सहारे नीचे झुक के खडी हो गई। मैंने एक बार उसकी गांड को देखा..मस्त माल थी वो, उसकी चुत पीछे से दिख नही रही थी तो मैंने उसकी दोनों टांगों के बीच में हाथ डालकर उसकी गांड को थोडा ऊपर उठा दिया।

अब उसकी चुत पावरोटी की तरह उभर कर सामने आ गई। तो अब मैंने भी देर ना करते हुए, उसकी गांड पर एक जोरदार चांटा दे मारा और चुत पे लंड रखकर एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चुत में घुसा दिया। जिससे वो थोडा सा दर्द से हिलने लगी, लेकिन उसकी कमर पे मैंने अपनी मजबूत पकड़ जमाये रखी थी, सो वो हिल नही पाई। अब मैं पीछे से उसकी चुत में लंड डाल कर उसे छोड़ रहा था, और कभी कभी हाथ आगे ले जाकर उसकी चूची को बेरहमी से मसल देता, तो कभी उसकी गांड पे जोरदार चांटा पड़ता। इतने में उसका शरीर अकडने लगा और वो झड गई।

उसके झड़ने से मेरे लौडे को अंदर एक अजीब ही गर्मी का अहसास हुआ, जो मुझे बहुत अच्छा लगा। तभी मुझे पता नही क्या सुझा, मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पे रखी और उसे गांड में घुसाने लगा। ऊँगली घुस नही रही थी तो मैंने जोर से एक धक्का दिया जिससे उसकी गांड थोड़ी खुल सी गई और तभी मैंने ऊंगली अंदर डाली लेकिन उंगली का सिर्फ अगला भाग ही अंदर गया था। अब मैं अपनी ऊँगली से उसके गांड के छेद को भी कुरेद रहा था।

तभी मुझे लगा, की अब मैं झड जाऊँगा। तो मैंने उसे बोला, "मैं झड़ने वाला हूँ, और मैं तुम्हारे मुंह में झडना चाहता हूँ।"

इतना सुनते ही वो वहां से हटकर मेरे सामने बैठ गई और मेरे लौडे को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। उसके चूसने का अंदाज अलग ही था, वो कभी मेरे लण्ड पर अपनी जीभ फेरती तो कभी पुरे लण्ड को मुंह में भरने की कोशिश करती, जो की उसके गले तक चला जाता था। रूपा से लण्ड चुसवाने में बहुत मजा आया, इसका अंदाज और अदा इतनी कामुक थी। अब मैं अपने चरम आनंद के करीब था तो मैंने उसके सर को पकड़कर उसके मुंह को छोड़ना शुरू किया। उसके मुंह से बस गुँ.. गुँ की आवाज ही आ रही थी, और थोडी ही देर में मैंने अपना सारा वीर्य उसके गले में उतार दिया।

लंड ने पिचकारी छोडना शुरू करते ही, मैंने उसके मुंह में अपना पूरा लौडा घुसा दिया, जिससे मेरा सारा माल उसके गले में उतरा। मेरा माल निकलने के बाद मैंने उसके सर को छोड दिया, लेकिन फिर भी वो मेरे लंड को चूसती रही। उसने लंड को तब तक चूसा जब तक उससे वीर्य की आखरी बून्द तक वो निचोड ना ले। उसके बाद वो उठी, मुझे एक हग किया और शावर चला दिया।

फिर उसने बडे ही प्यार से मुझे साबुन लगाया और नहलाया। मेरे साथ ही वो खुद भी अपने जिस्म को साफ कर रही थी। बिच बिच में मैं उसके चुचियां मसल देता तो कभी चूतड सहला देता या चुत में ऊँगली डाल देता। वो भी ये सब में मजे ले रही थी। फिर नहलाने के बाद हम वैसे ही बाहर आये। उसने एक टॉवल लिया और मेरा बदन साफ करके फिर अपना बदन साफ़ कर दिया। और टॉवल को अपने बालों में बांध लिया। अब हम दोनों ही नंगे सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगे।

तभी अचानक वो उठी जैसे उसे कुछ याद आया हो, मैंने उसे पूछा, "अब कहाँ जा रही हो?"

तो वो बोली, "तुम्हारे भीगे हुए कपड़े सुखाने भी तो पडेंगे, उन्हें सुखाकर बस दो मिनट में आई।"

इतना कहकर वो बाथरूम की तरफ निकल गई। पीछे से उसके चूतड एकदम मस्त हिल रहे थे, जिनको देखके बुढ्ढों का भी लंड खडा हो जाये। खैर मैं टीवी पे ऐसे ही चैनल बदल रहा था, कुछ ढंग का शो चल ही नही रहा था। कुछ देर बाद वो किचन से अपने हाथ में कुछ लेकर आई।

आपको यह कहानी कैसी लगी हमे जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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