चूंचे ने जगाया प्यार का पहला नशा

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जब टीना के चूंचे ने कराया मुझे प्यार का पहला एहसास्। मेरा नाम रोहन है और मैं उन दिनो अपने एक दोस्त के घर गया हुआ था। उसकी बहन टीना मेरे उम्र की ही थी और उससे मेरा अफ़ेयर गुपचुप तरीके से बहुत पहले से ही चल रहा था। ग्रीटींग लेना देना और मौका मिलते ही एक दूसरे को छू देना। जब भी हम सुनसान में मिल जाते मैं उसकी चूतड़ो पर हाथ फ़ेरने से नही चूकता था। उसके गूदेदार चूतड़ मुझे काफ़ी सेक्सी लगते थे।

एक रोज मेरे दोस्त पीटर ने मुझे अपने घर बुलाया और मैं शाम को उसके घ्रर चला गया। वहां जाने के बाद हम टेबल टेनिस खेलने लगे। तभी टीना आई और बोली रोहन मुझसे खेलोगे? मैने कहा हा आ जाओ डरता कौन है। पीटर रेफ़री बन गया। हम और टीना खेलने लगे। मैं अक्सर ही हार जाता क्योकि टीना के चूचे हरेक शाट पर हिल जाते। मैं बस उसके चूंचे को ही देख रहा था। उसके इतने बड़े गेंद के आगे यह टेबल टेनिस की छोटी सी गेंद कहा दिख रही थी। मैने एक तगड़ा शाट मारा और अचानक टीना का एक चूंचा बाहर निकल पड़ा। शायद उसके बट्न टूट गए थे और उसने ब्रा नही पहनी थी। मेरे मन मे सनसनी फ़ैल गई संयोग अच्छा था कि पीटर बाहर चला गया था।

मैने रुम का कमरा भेड दिया और टीना को उठाकर टेबल टेनिस के टेबल पर रख दिया। मैने उसकी मिनी स्क्र्ट मे हाथ डाला तो उसकी जालीदार पैंटी हाथ में आ गई मैने उसे नोच दिया उसकी रेशमी पैंटी मेरे हाथो में थी। अब उसके बड़े बड़े चूंचे को आजाद करने का वक्त था। मैने उसके टाप के बटन खोले तो उसके दोनो चूंचे मेरे हाथो में फ़ड़फ़ड़ाते हुए आ गए। मैने उसमें से एक चूंचे को अपने मुह मे ले लिया और चूसने लगा। टीना के हाथ हरकत में आ गए और वह मेरे पैन्ट को खोल रही थी। अब मेरे सामने मेरी जान नंगी थी। मैने उसको टेबल पर बैठा कर टांगे खोल दी, होठ चूसने लगा और टेबल टेनिस का रैकेट का मूठ उसकी चूत में ठेल दिया। वह शिशकारिया मार रही थी। मैने लगभग उसे पांच मिनट तक ऐसे ही चूसा और रैकेट पेला और अंत में उसकी टांगो को अपने कंधे पर रख लिया।

अब मेरा छुरी जैसा लंड उसकी चूत के मुहाने पर था। मैने अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर और बाहरी दीवार पर रगड़ना शुरु किया। टीना मेरे बालो को पकड़ के खीच रही थी। मैने अब आव देखा ना ताव अपना लंड चपाक से उसकी चूत में पेल दिया। वह आहे भरने लगी, मैने धक्के तेज कर दिए वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी। फ़िर मैने उसे टेबल के नीचे उतार कर उसे टेबल पकड़ा घोड़ी बना दी। उसकी गांड में रैकेट ठूंसने लगा और चूत में अपने लंड के धक्के देने शुरु किये। गांड मे रैकेट लेने मे उसे मजा आरहा था क्योकि रैकेट मे रबर का मूठ लगा था और वो बिल्कुल लड के साईज की थी। मै चोदता रहा। जैसे ही रैकेट पूरा गांड मे धसा दिया, मैने रैकेट का चौड़ा सिरा पकड के रैकेट को ऐंठना शुरु कर दिया। रैकेट के गांड में घूमने से और लगातार मेरे तेज होते धक्के से वह जल्द ही फ़चफ़चा के झड़ गई। मैने उसके चूत के पानी को अपनी मूह मे लिया और फ़िर उसके मुह में चुम्मा लेते हुए डाल दिया। अंत में मैने अपना मूठ उसकी मुह मे मार दिया और वह उसे पी गई। थोड़ा वीर्य उसने अपनी गुलाबी गालो पर मला और मुझे चूम लिया
 
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