Antarvasna, hindi sex story: मेरी मम्मी ने मुझे कहा कि बेटा छत पर से चावल ले आना मैंने चावल सुखाने के लिए रखे हुए मैंने मम्मी से कहा मम्मी लेकिन आपने चावल छत में क्यों रखें। मम्मी कहने लगी कि बेटा वह थोड़ा खराब होने लगे थे इस वजह से मैंने छत पर सुखाने के लिए रखे। मैं छत में गया और मैंने वह चावल उठा लिए चावल लेकर मैं नीचे आया जब मैं नीचे आया तो मेरी मां मुझे कहने लगी बेटा आजकल तुम कुछ खोए खोए से रहते हो तुम्हारा ध्यान भी पता नहीं कहां रहता है। मैंने अपनी मां से कहा मां ऐसा कुछ भी नहीं है शायद आपको ऐसा लग रहा होगा लेकिन ऐसा तो कुछ भी नहीं है मां कहने लगी बेटा मैं तुम्हारी आंखों में पढ़कर साफ समझ सकती हूं कि तुम कितने परेशान हो। मैंने मां से कहा लेकिन मां मैं परेशान नहीं हूं आपको लग रहा होगा कि मैं परेशान हूं परंतु ऐसा कुछ भी नहीं है।
मां कहने लगी बेटा कुछ दिनों से तुम ना तो अच्छे से खा रहे हो और ना ही तुम अच्छे से किसी से बात करते हो अब तुम ही बताओ मैं क्या समझूँ। मैंने मां से कहा मां बस ऐसे ही कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं थी इसलिए मेरा मन नहीं हो रहा था। मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर के घर पर ही था पड़ोस में रहने वाली सुनीता के साथ मेरा लव अफेयर चल रहा था लेकिन सुनीता के परिवार वालों ने उसकी शादी कहीं और ही करवा दी। सुनीता की शादी तो हो चुकी थी लेकिन अब भी मेरे दिल और दिमाग से उसका ख्याल नहीं निकला था मैं हमेशा उसके बारे में ही सोचता रहता। मैं सोचता कि काश मेरी एक अच्छी नौकरी होती तो अब तक मैं सुनीता को अपना बना चुका होता लेकिन ना तो मेरे पास अच्छी नौकरी थी और ना ही मेरी जेब में पैसे थे। हम लोग एक सामान्य से परिवार के हैं मेरे पिताजी स्कूल में क्लर्क की नौकरी करते हैं और वह जब भी घर आते हैं तो हर दिन उनके पास कोई ना कोई नई समस्या होती है। कभी तो मुझे लगता है कि क्या उन्हीं की तरह का जीवन मुझे भी जीना चाहिए लेकिन कई बार मैं सोचता हूं कि मुझे कुछ हट कर करना चाहिए जिससे कि मेरे परिवार की स्थिति थोड़ा ठीक हो सके। पिताजी ने मेरी दोनो बहनों की शादी तो करवा दी थी लेकिन उनकी शादी में काफी पैसा खर्च हो गया जिस वजह से पिताजी हर रोज परेशान नजर आते हैं और वह घर आकर किसी से भी बात नहीं करते। वह हमेशा ही पैसों को लेकर बात करते रहते हैं और कहते हैं कि पैसे से ही सब कुछ आजकल संभव हो सकता है।
पिताजी को इस बात का अंदेशा कभी भी नहीं था कि सब कुछ इतनी जल्दी बदल जाएगा हमारे रिश्तेदारों ने भी हमसे मुंह मोड़ लिया था। मेरी दोनों बहनों की शादी होने के बाद पिताजी के ऊपर काफी ज्यादा खर्च हो चुका था। उन्होंने हमारे कुछ रिश्तेदारों से पैसे लिए थे लेकिन अभी तक वह कर्ज को नहीं चुका पाए इसलिए हमारे रिश्तेदार हमसे अच्छे से बात भी नहीं किया करते थे और उन्होंने हमसे अपना पूरा ताल्लुक खत्म कर लिया था। मुझे तो कई बार ऐसा लगता है कि जैसे वह हमारे रिश्तेदार है ही नहीं समय के साथ साथ अब सब कुछ ठीक होता जा रहा था। मैंने भी एक अच्छी कंपनी में नौकरी हासिल कर ली वहां पर मेरी तनख्वा काफी अच्छी खासी थी मेरी तनख्वाह इतनी तो थी कि मैं अपने परिवार की हर एक जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता था। मेरे पिताजी मुझे हमेशा ही कहते बेटा यह फिजूलखर्ची करना ठीक नहीं है लेकिन मुझे बिल्कुल भी फिजूलखर्ची नहीं लगता था। मुझे हमेशा से ही लगता था कि पिताजी ना जाने मुझे इतना क्यों समझाते रहते हैं लेकिन उनका समझाना बिल्कुल ही लाजमी था क्योंकि वह इस बात से हमेशा से ही परेशान रहते थे कि वह अपने जीवन में कुछ भी अच्छा न कर सके और उन्हें इस चीज का मलाल हमेशा ही रहता है। मेरे पास भी अब शायद इस बात का कोई जवाब नहीं था मेरी अब अच्छी नौकरी भी लग चुकी थी। सुनीता की छोटी बहन वैशाली जिसकी उम्र 23 वर्ष के आसपास थी वह मुझे हमेशा ही देखा करती थी मुझे नहीं मालूम था कि वह मुझे क्यों देखती है लेकिन मैं हमेशा नजर बचाकर अपने ऑफिस चले जाया करता था।
एक दिन मैंने उसे पूछ ही लिया कि वैशाली तुम मुझे ऐसे क्यों देखती हो वह मुझे कहने लगी क्या मैं आपको देख भी नहीं सकती। मैंने वैशाली से कहा देखो वैशाली तुम्हारे दिल में पता नहीं क्या चल रहा है और तुम मेरे बारे में ना जाने क्या सोचती हो लेकिन मैं तुम्हारी बहन सुनीता से प्यार करता था और अब उसकी शादी हो चुकी है इसलिए तुम मुझसे दूर ही रहो तो ठीक होगा लेकिन वैशाली कहां मानने वाली थी वैशाली का दिल तो मुझ पर आ गया था वह अपने दिल की बात अब तक मुझे कह नहीं पाई थी। मुझे नहीं मालूम था कि वह मुझसे दिल ही दिल प्यार करने लगी है लेकिन जब एक दिन उसने मुझसे यह बात कही तो मैंने उसे कहा देखो वैशाली तुम्हारी उम्र बहुत ही कम है और यदि तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो तो शायद मैं कभी भी तुम्हारे रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाऊंगा। वैशाली मुझे कहने लगी लेकिन क्यों? मैंने वैशाली को बताया देखो वैशाली मैं तुम्हारी बहन सुनीता से प्यार करता था और तुम्हें मालूम है ना कि हम दोनों के बीच कितने सालों तक रिलेशन चला और उसके बाद यदि उसे मेरे और तुम्हारे बारे में जानकारी हो गई तो तुम ही बताओ क्या यह ठीक रहेगा। वैशाली मुझे कहने लगी मुझे मालूम है कि आपकी और मेरी दीदी के बीच में रिलेशन था लेकिन अब वह गुजरा हुआ कल हो चुका है और अब आपको आगे बढ़ना चाहिए। मैंने वैशाली से कहां लेकिन तुम इस बारे में भूल ही जाओ मैं कभी भी तुम्हें स्वीकार नहीं कर सकता। शायद यह बात वैशाली के दिल और दिमाग पर लग चुकी थी इसलिए वह मुझे अब नीचा दिखाने की कोशिश करती।
मुझे नीचा दिखाने की कोशिश में एक दिन उसके साथ ही बुरा होने वाला था क्योंकि वह जिस लड़के के साथ घूमती थी वह उसके साथ मुझे दिखाने के लिए ही घूमती थी लेकिन उस लड़के की नियत बिल्कुल भी ठीक नही थी। मुझे जब इस बारे में पता चला कि वह लड़का एक नंबर का आवारा किस्म का है तो मैंने इस बारे में वैशाली को सचेत करने की कोशिश की लेकिन वह मुझे कहने लगी तुम मुझे एक बात बताओ क्या मैं तुम्हारी कुछ लगती हूं जो तुम मुझे इतना समझा रहे हो। मैंने वैशाली से कहा देखो वैशाली तुम्हें अब इस बारे में सोचना होगा गलत और बुरा क्या है और रही बात कि मैं तुम्हारा क्या लगता हूं वह तो मुझे भी नहीं पता लेकिन मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा जिस प्रकार से तुम कर रही हो तुम मुझे नीचा दिखाने के लिए यह सब कर रही हो। जल्द ही वैशाली को इस बात का पता चल गया कि वह लड़का बिल्कुल भी अच्छा नहीं है और उसने उसके साथ कुछ बदतमीजी भी की थी इसलिए वह उससे दूर भागने की कोशिश करने लगी और आखिरकार वह मेरी बाहों में आकर गिरी। जब वह मेरी बाहों में आई तो उस दिन मैंने उससे कुछ देर तक बात की हम दोनों एक दूसरे से बात करते रहते। मुझे बहुत अच्छा लगता क्योंकि कम से कम वैशाली को इस बात का आभास तो हो चुका था लेकिन वह मेरी तरफ देखे जा रही थी और कहने लगी मैं आपके लिए तड़प रही हूं। यह कहते हुए उसने जैसे ही मेरे होठों पर अपने होठों को टकराना शुरू किया तो मैं भी अब उत्तेजित होने लगा मैंने वैशाली के होठों को काफी देर तक चूसा जब वह मुझे कहने लगी अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है तो मैंने उसे कहा तुम रुको मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर देता हूं और जैसे ही मैंने वैशाली की योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो वह चिल्ला उठी।
उसकी योनि से लगातार गीला पानी बाहर निकल रहा था और मुझे भी बड़ा मजा आता। उसे मै जिस गति से चोद रहा था वह अपने आपको नहीं रोक पा रही थी और मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैंने वैशाली की योनि के अंदर बाहर लंड को बड़ी तेजी से किया वह मुझे कहने लगी अब मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा। मैंने उसे कहा लेकिन मुझे तो बड़ा अच्छा लग रहा है वह कहती मुझे एहसास हो रहा है कि कितना दर्द होता है। मैंने उसे कहा तुम अपने पैरों को खोल दो उसने अपने दोनों पैरों को खोल लिया। मैंने उसे बड़ी तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए मैं उसे तेज गति से धक्के मार रहा था और उसकी योनि की चिकनाई में बढ़ोतरी होने लगी थी। उसकी योनि से चिकनी हो गई थी मुझे भी बड़ा अच्छा लगता और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। काफी देर तक मैं उसकी योनि के अंदर बाहर अपने लंड को करता रहा जैसे ही मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर समाया तो वह मुझसे गले लग कर कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
मैंने उसे कहा मुझे भी बड़ा मजा आ रहा है जिस प्रकार से मैंने वैशाली की चूत के मजे लिए उससे वह बड़ी खुश थी। वह दोबारा से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करने लगी वह मेरे लंड को अपने मुंह में ले रही थी और उसे बड़ा मजा आ रहा था। मुझे भी बहुत अच्छा लगता जिस प्रकार से मैंने वैशाली की योनि में दोबारा से अपने लंड को लगाया तो वह मुझसे कहने लगी कसम से आज तो मजा ही आ गया। मैंने उसे कहा मजा तो मुझे भी आ रहा है वैशाली ने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और मैंने भी अपने धक्को मे तेजी कर ली। मैंने अपने धक्को में तेजी कर ली थी और जिस प्रकार से मैंने उसे धक्के दिए मुझे बड़ा मजा आने लगा और वैशाली को बहुत अच्छा लग रहा था। मेरा लंड छिलकर बेहाल हो चुका था वह भी पूरी तरीके से मजे में आ चुकी थी मैंने उसकी योनि के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो मैने वैशाली को अपना बना लिया। वैशाली को अपना बनाना मेरे लिए अच्छा रहा उसकी टाइट चूत के ममे अक्सर लिया करता।
मां कहने लगी बेटा कुछ दिनों से तुम ना तो अच्छे से खा रहे हो और ना ही तुम अच्छे से किसी से बात करते हो अब तुम ही बताओ मैं क्या समझूँ। मैंने मां से कहा मां बस ऐसे ही कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं थी इसलिए मेरा मन नहीं हो रहा था। मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर के घर पर ही था पड़ोस में रहने वाली सुनीता के साथ मेरा लव अफेयर चल रहा था लेकिन सुनीता के परिवार वालों ने उसकी शादी कहीं और ही करवा दी। सुनीता की शादी तो हो चुकी थी लेकिन अब भी मेरे दिल और दिमाग से उसका ख्याल नहीं निकला था मैं हमेशा उसके बारे में ही सोचता रहता। मैं सोचता कि काश मेरी एक अच्छी नौकरी होती तो अब तक मैं सुनीता को अपना बना चुका होता लेकिन ना तो मेरे पास अच्छी नौकरी थी और ना ही मेरी जेब में पैसे थे। हम लोग एक सामान्य से परिवार के हैं मेरे पिताजी स्कूल में क्लर्क की नौकरी करते हैं और वह जब भी घर आते हैं तो हर दिन उनके पास कोई ना कोई नई समस्या होती है। कभी तो मुझे लगता है कि क्या उन्हीं की तरह का जीवन मुझे भी जीना चाहिए लेकिन कई बार मैं सोचता हूं कि मुझे कुछ हट कर करना चाहिए जिससे कि मेरे परिवार की स्थिति थोड़ा ठीक हो सके। पिताजी ने मेरी दोनो बहनों की शादी तो करवा दी थी लेकिन उनकी शादी में काफी पैसा खर्च हो गया जिस वजह से पिताजी हर रोज परेशान नजर आते हैं और वह घर आकर किसी से भी बात नहीं करते। वह हमेशा ही पैसों को लेकर बात करते रहते हैं और कहते हैं कि पैसे से ही सब कुछ आजकल संभव हो सकता है।
पिताजी को इस बात का अंदेशा कभी भी नहीं था कि सब कुछ इतनी जल्दी बदल जाएगा हमारे रिश्तेदारों ने भी हमसे मुंह मोड़ लिया था। मेरी दोनों बहनों की शादी होने के बाद पिताजी के ऊपर काफी ज्यादा खर्च हो चुका था। उन्होंने हमारे कुछ रिश्तेदारों से पैसे लिए थे लेकिन अभी तक वह कर्ज को नहीं चुका पाए इसलिए हमारे रिश्तेदार हमसे अच्छे से बात भी नहीं किया करते थे और उन्होंने हमसे अपना पूरा ताल्लुक खत्म कर लिया था। मुझे तो कई बार ऐसा लगता है कि जैसे वह हमारे रिश्तेदार है ही नहीं समय के साथ साथ अब सब कुछ ठीक होता जा रहा था। मैंने भी एक अच्छी कंपनी में नौकरी हासिल कर ली वहां पर मेरी तनख्वा काफी अच्छी खासी थी मेरी तनख्वाह इतनी तो थी कि मैं अपने परिवार की हर एक जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता था। मेरे पिताजी मुझे हमेशा ही कहते बेटा यह फिजूलखर्ची करना ठीक नहीं है लेकिन मुझे बिल्कुल भी फिजूलखर्ची नहीं लगता था। मुझे हमेशा से ही लगता था कि पिताजी ना जाने मुझे इतना क्यों समझाते रहते हैं लेकिन उनका समझाना बिल्कुल ही लाजमी था क्योंकि वह इस बात से हमेशा से ही परेशान रहते थे कि वह अपने जीवन में कुछ भी अच्छा न कर सके और उन्हें इस चीज का मलाल हमेशा ही रहता है। मेरे पास भी अब शायद इस बात का कोई जवाब नहीं था मेरी अब अच्छी नौकरी भी लग चुकी थी। सुनीता की छोटी बहन वैशाली जिसकी उम्र 23 वर्ष के आसपास थी वह मुझे हमेशा ही देखा करती थी मुझे नहीं मालूम था कि वह मुझे क्यों देखती है लेकिन मैं हमेशा नजर बचाकर अपने ऑफिस चले जाया करता था।
एक दिन मैंने उसे पूछ ही लिया कि वैशाली तुम मुझे ऐसे क्यों देखती हो वह मुझे कहने लगी क्या मैं आपको देख भी नहीं सकती। मैंने वैशाली से कहा देखो वैशाली तुम्हारे दिल में पता नहीं क्या चल रहा है और तुम मेरे बारे में ना जाने क्या सोचती हो लेकिन मैं तुम्हारी बहन सुनीता से प्यार करता था और अब उसकी शादी हो चुकी है इसलिए तुम मुझसे दूर ही रहो तो ठीक होगा लेकिन वैशाली कहां मानने वाली थी वैशाली का दिल तो मुझ पर आ गया था वह अपने दिल की बात अब तक मुझे कह नहीं पाई थी। मुझे नहीं मालूम था कि वह मुझसे दिल ही दिल प्यार करने लगी है लेकिन जब एक दिन उसने मुझसे यह बात कही तो मैंने उसे कहा देखो वैशाली तुम्हारी उम्र बहुत ही कम है और यदि तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो तो शायद मैं कभी भी तुम्हारे रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाऊंगा। वैशाली मुझे कहने लगी लेकिन क्यों? मैंने वैशाली को बताया देखो वैशाली मैं तुम्हारी बहन सुनीता से प्यार करता था और तुम्हें मालूम है ना कि हम दोनों के बीच कितने सालों तक रिलेशन चला और उसके बाद यदि उसे मेरे और तुम्हारे बारे में जानकारी हो गई तो तुम ही बताओ क्या यह ठीक रहेगा। वैशाली मुझे कहने लगी मुझे मालूम है कि आपकी और मेरी दीदी के बीच में रिलेशन था लेकिन अब वह गुजरा हुआ कल हो चुका है और अब आपको आगे बढ़ना चाहिए। मैंने वैशाली से कहां लेकिन तुम इस बारे में भूल ही जाओ मैं कभी भी तुम्हें स्वीकार नहीं कर सकता। शायद यह बात वैशाली के दिल और दिमाग पर लग चुकी थी इसलिए वह मुझे अब नीचा दिखाने की कोशिश करती।
मुझे नीचा दिखाने की कोशिश में एक दिन उसके साथ ही बुरा होने वाला था क्योंकि वह जिस लड़के के साथ घूमती थी वह उसके साथ मुझे दिखाने के लिए ही घूमती थी लेकिन उस लड़के की नियत बिल्कुल भी ठीक नही थी। मुझे जब इस बारे में पता चला कि वह लड़का एक नंबर का आवारा किस्म का है तो मैंने इस बारे में वैशाली को सचेत करने की कोशिश की लेकिन वह मुझे कहने लगी तुम मुझे एक बात बताओ क्या मैं तुम्हारी कुछ लगती हूं जो तुम मुझे इतना समझा रहे हो। मैंने वैशाली से कहा देखो वैशाली तुम्हें अब इस बारे में सोचना होगा गलत और बुरा क्या है और रही बात कि मैं तुम्हारा क्या लगता हूं वह तो मुझे भी नहीं पता लेकिन मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा जिस प्रकार से तुम कर रही हो तुम मुझे नीचा दिखाने के लिए यह सब कर रही हो। जल्द ही वैशाली को इस बात का पता चल गया कि वह लड़का बिल्कुल भी अच्छा नहीं है और उसने उसके साथ कुछ बदतमीजी भी की थी इसलिए वह उससे दूर भागने की कोशिश करने लगी और आखिरकार वह मेरी बाहों में आकर गिरी। जब वह मेरी बाहों में आई तो उस दिन मैंने उससे कुछ देर तक बात की हम दोनों एक दूसरे से बात करते रहते। मुझे बहुत अच्छा लगता क्योंकि कम से कम वैशाली को इस बात का आभास तो हो चुका था लेकिन वह मेरी तरफ देखे जा रही थी और कहने लगी मैं आपके लिए तड़प रही हूं। यह कहते हुए उसने जैसे ही मेरे होठों पर अपने होठों को टकराना शुरू किया तो मैं भी अब उत्तेजित होने लगा मैंने वैशाली के होठों को काफी देर तक चूसा जब वह मुझे कहने लगी अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है तो मैंने उसे कहा तुम रुको मैं तुम्हारी इच्छा पूरी कर देता हूं और जैसे ही मैंने वैशाली की योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो वह चिल्ला उठी।
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