जान बचाने के लिए जिस्म की गर्मी दी

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Jaan Bachane Ke Liye Jism Ki Garmi Di

दोस्तों मुझे आज अप से एक बात कहना है जो की बहुत बड़ी चीज़ है और मुझे हर वो बात आज आपसे करनी है जो हर शख्स कहने से डरता है | मुझे तो पता ही नहीं था कि ऐसा भी कोई माध्यम होगा जिससे हम अपनी सच्ची घटना लोगों तक पहुंचा सकते हैं | पर आज जब इससे रूबरू हुए हैं तो मज़ा आ रहा है और मुझे लग रहा है कि मैं बिलकुल सही कर रहा हूँ | Jaan Bachane Ke Liye Jism Ki Garmi Di.

मेरा नाम हा धम्मु और मैं गुजरात से हूँ और मुझे तो कबसे इस चीज़ का इंतज़ार था की कोई मुझे मिले और मैं उसे अपनी चुदाई की कहानी सुनाऊ | पर मुझे ऐसा कुछ मिला नहीं और अब दखिये सब लोग एक साथ मेरी कहानी पढेंगे | मेरे साथ वैसे तो कई किस्से हुए हैं पर जो किस्सा मेरे दिल के करीब है वो हेयर मेरी दोस्त शुमोना का |

मैं भी आप लोगो की तरह ही एक सीधा सा इंसान हूँ और मुझे भी साधारण सी चीज़े पसंद है और मुझे बहुत अच्छा लगता है जब कोई मुझे गौर से सुनता है जैसे की आप लोग सुन रहे हो | मेरे पास कोई ज्यादा धन दौलत तो थी नहीं हाँ पर एक चीज़ थी वो थे दोस्त और उनमे सब से ज्यादा ख़ास शुमोना थी | थी से मेरा मतलब यह है की अब उसकी शादी हो गयी और वो मुंबई में रहने लगी है पर हमारी बात होती रहती है |

तो ये बात है दो साल पहले की जब हम दोनों एक साथ नौकरी तलाश करने गये थे | हमे गांवों में घूमना बहुत पसंद था और उमने सोचा था हम इन लोगों के लिए कुछ करेंगे | तो हमलोगों ने बहुत मेहनत की और आखिकार वो नौकरी हमे मिल ही गयी | हमारा काम था की गाँव में साफी से जुडी जानकारी फैलाना और हमे कई गाँवों में घूमना था | हम दोनों थे और साथ में दस लोगो का ग्रुप भी था जो साड़ी चीज़ों को व्यवस्थित करता था तो हमे किसी भी चीज़ का डर नही था |

रहने के लिए हमे कभी झोपडी कभी कच्चे घर पर एक बात है वो जो शुद्ध हवा और वातावरण गाँव में है वो शहर में देखने को नहीं मिलता | ये हमे खूब भा रहा था और पैसे भी अच्छे मिलते थे |

मेरा काम जम चुका था और शुमोना तो पागल ही थी | एक साल लगातार काम करने के बाद भी उसने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली थी और मैं तो बस उसी के चक्कर में आ जाता था | पागल थी वो न खुद कुछ करती थी न मुझे करने देती थी | जहाँ भी हम जाते थे वहां के लोग हमारे मुरीद हो जाते थे | शुमोना और मैं थे ही ऐसे क्यूंकि हमारे बोल चाल में अजीब सा जादू था | मुझे तो खुद पता ही नहीं चला कि कब में उसके जादू में आ गया और वो मेरे |

मैंने उसे कहा सुन न शादी करले मुझसे कसम से दोनों साथ में काम करेंगे | वो मजाक में इस बात को ताल देती थी और मैं भी क्यूंकि हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हम दोनों एक दुसरे को सब बताते थे | मुझे तो ये भी पता था कि उसको कब पीरियड आएगा और मैं भी उसे बता देता था कि यार आज मुझे न रात में नंगे सपने आये और मेरा माल गिर गया | तो वो हस दिया करती थी और बोलती थी की मेरे साथ करले और गर्मी निकाल ले | "Jism Ki Garmi"

मैं भी कह दिया करता था हाँ आ आजा कर लू तो वो भाग जाती थी | मुझे बड़ा मज़ा आता था इस चीज़ में क्यूंकि ये चीज़ें आम बात नहीं है | किसी भी लड़की के साथ ऐसी बात करना मतलब खतरा ही है | पर वो अलग थी सबसे आज भी कहता हूँ कि उससे ज्यादा सही लड़की कोई नहीं थी | उसकी बात करने की स्टाइल और उसका जो नेचर था वो मुझे बहुत भा गया था | वो मेरा ऐसा ख्याल रखती थी जैसे मेरी बीवी हो और कभी कभी में उसकी गोद में ही सर रखके सो जाता था |

मुझे उसपे इतना विश्वास था की वो कभी मेरे साथ कुछ गलत नहीं करेगी क्यूंकि वो हमेशा मेरे लिए तैत्यार रहती थी और उसके घरवाले उतने अच्छे नहीं थे | वो हमेशा मुझसे कहती काश मैं तेरे घर पैदा होती और तू मेरे | तो मैंने कहा उसमे कोई दिक्कत नही है मेरे घरवाले तुझे बड़ा पसंद करते जब बोल तब शादी कर लूँगा तुझसे | उसने कहा यार मेरा बस चले तो मैं आज करलूं यार पर मेरे घर वाले कभी नहीं तैयार होंगे इस चीज़ के लिए | "Jism Ki Garmi"

जैसे ही उसने ये कहा मैं एकदम से चोंक गया और बोला तू मुझसे शादी करने के लिए तैयार है | उसने कहा हाँ जान पहचान वाले कमीने से शादी करना बेहतर है न की किसी अनजान कुत्ते से | मैंने कहा धन्य हो तुम शुमोना !!!!! कहाँ है आपके चरण लाओ उन्हें छू लूँ | वो बोली मेरे चरण नीचे है बेटा आओ छू लो तथास्तु !!!! फिर बोली देखना चरण छूते छूते कुछ और मत छू लेना | फिर मैंने कहा तू इधर आ और उसे गले लगा कर कहा बहुत प्यारी है तू हमेहा ऐसी ही रहना |

उसने कहा तू है न मेरे साथ तो मैं ऐसी ही रहूंगी | फिर उसके बाद एक गाँव में हमे भेजा गया जिसका नाम था मोहनिया | इस गाँव के बारे में क्या कहना हर तरफ हरियाली बहता हुआ झरना और और उसी के पास हमारे लिए एक लकड़ी का घर बना हुआ था | वाह मज़ा ही आ गया था और वह लोग भी कम ही थे | मतलब पूरे गाँव में केवल १५० लोग होंगे और हमे यहाँ पूरा एक महिना रहना था | "Jism Ki Garmi"

ठण्ड का समय था और ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं थी | मुझे लगा चलो इस बार मेरा सपना पूरा हुआ है और मुझे एक बहुत ही बढ़िया जगह पर भेजा गया है | शुमोना भी बहुत खुश थी और कह रही थी सुन न मुझे ठंड लग रही है तुझसे चिपक के गरम हो जाऊं | मैंने कहा नहीं पहले मुझे इस जन्नत का मज़ा लेने दे तो वो बोली कि अकेले नहीं ले सकता तू मैं भी चलूंगी | तो मैंने कहा चल अब शाम का समय था और सूरज डूब ही रहा था तो मैंने मस्ती में झरने के पास ले जाकर उसे पानी में गिरा दिया और पानी बहुत ठंडा था |

वो कांपने लगी और मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ | झरना ज्यादा गहरा नहीं था और पानी बिलकुल साफ़ था इसलिए वो कड़ी हुयी और एकदम से गिर गयी | मैंने उसे उठाया और रुकने की जगह पर ले गया | सारे लोग दोस्सरे घर में थे तो मैंने तुरंत ही आग जलाई और उसे गर्मी देने लगा | आधे घंटे तक उसे होश नहीं आया क दादा थे जो हमारे नौकर थे उन्होंने कहा गरम पानी में पैर रखो तो भी कुछ नहीं हुआ | "Jism Ki Garmi"

फिर वो बाबु मेरे पास और कहा बेटा इसे अब शारीरिक गर्मी की ज़रूरत है | मैंने कहा बाबूजी मैं कुछ समझा नहीं आप क्या कहना चाह रहे हैं | उन्होंने कहा इसके कपडे उतारो और अपने शरीर की गर्मी इसको दो | मैंने कहा क्या इससे ये ठीक हो जाएगी तो उन्होंने कहा पता नहीं पर हो सकता है हो जाये | पर ये भी हो सकता है कि तुम्हरी जान पे बन आये | मैंने कहा में तैयार हूँ और इतना बोलके उन्होंने और आग जला डी और कम्बल दे दिया और गद्दा भी बिछा दिया |

फिर वो चले गये | मैंने शुमोना के कपडे उतारे और देखा क्या बड़े बड़े दूध थे उसके और फिर उसके बदन को देखा उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मैंने सोचा क्या किस्मत है | फिर मैंने उसकी चूत की तरफ नज़र घुमाई तो देखा एक दम छोटी और गुलाबी सी थी बिलकुल प्यारी सी | उसपे एक भी बाल नहीं था | शुमोना के ऊपर बड़ा प्यार आया मुझे और दुःख भी हुआ की ये मेरी वजह से इस मुसीबत में है | "Jism Ki Garmi"

फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और ढांक लिया खुद को | दो घंटे तक मैं उससे चिपका रहा फिर उसे होश आया और वो कहने लगी क्या कर रहा है तू | तब मैंने उसे साड़ी बात समझाई और उसने कहा तूने मेरे लिए अपनी जान क्यों खतरे में डाली ? तो मैंने कहा मैं तुझे कुछ होते हुए नहीं देख सकता | तो वो मुझसे चिपकी और कहा काश तुझसे ऐसे ही चिपकी रहती | फिर उसने कहा सुन मुझे न और ठण्ड लग रही है मेरे दूध पी न ज़रा |

मैंने कहा जी और पीने लगा और वो थकी हुयी थी | तो उसने कुछ आवाज़ नहीं की | फिर उसने कहा सुन मेरी चूत में भी ठण्ड लग रही है उसे चाट न तो मैंने सोचा होगा यार और मैं उसकी चूत चाटने लगा | उसने कम्बल को कस के पकड़ लिया और अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्मम्म्म्मम्म्म्म आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊओह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्मम्म्म्मम्म्म्म आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊओह्हह्ह करने लगी | फिर मैंने सोचा क्यूँ न इसकी चूत में लंड डाल दूँ तो मैंने उसे चोद दिया और लगातार एक महीने तक चोदा | तो दोस्तों ये थी मेरे दिल के करीब वाली कहानी | अपनी राय देना मत भूलियेगा दोस्तों | "Jism Ki Garmi"
 
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