जीया की चुत पर अब तक जिया

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नमस्कार दोस्तों,

मेरा नाम टिंकू और मैं आज आपको अपनी घर के नीचे वाले माले में रहने वाली जीया नाम की लड़की की चुदाई सुनाने जा रहा हूँ | जीया और मैं वैसे तो एक दूसरे को जानते नहीं थे पर कभी आते - जाते हामरी इधर - उधार के विषयों के उप्पर बात हो ही जाया करती थी | दोस्तों मुझे वो लड़की बहत पसंद आ गयी थी की खुनकी उसकी गांड एक रसगुल्ले के नाप की तरह थी जो उसे पीछे से देखने पर एक अलग ही छवि प्रस्तुत किया करती थी | हुआ यूँ कुछ ही सप्ताह के हमारों इमारतों की लाईट काटनी शुर हो गयी जोकि शाम के वक्त २ - ३ घन्टे के लिए काटी जाती थी |

अब मुझे एक अच्छा - खासा वक्त मिल चूका था जिया से बात करने का और अपने दिल की बात को आगे बढाने का | उसका की खास दोस्त नही था और वो भी पूरा दिन घर में अकेले ही रहा करती थी | मैंने उस कुछ ज्यादा ही घुल - मिलकर बातें करनि शुर कर चुकी थी | अब वो मेरे सामने बैठ जाया करती और मैंने उसके सामने खड़ा रहता | कभी - कभी वो अपने हाथ को फैला लेती जिससे उसके उसकी उँगलियाँ मेरी जाँघों पर लगने लगते और मैं अंदर से गरमाने लगता | मुझे समझ ना आता की वो यह सब जान्भूच कर रही था नहीं |

अब से हमारा रोज का काम हो गया था की जब भी लाईट जाएगी हम रोज नीचे मिला करेंगे और बात किया करेंगे | अब उसी तरह हमरी मुलाकातों बढती चली गयी वोही मेरी जाँघों को छूने वाला किस्सा उसने फिर से दौहरा दिया जिसपर अब मैं भी जीया के सामने बैठकर उसके हाथों को मज़ाक - मजाक में गुदगुदाने लगा | थोड़ी ही देर बाद में हाथ उसके पते तक पहुँच गए और हमें पता ही नहीं चला की कब हम एक दूसरे को वहाँ चुमते हुए कुछ ज्यादा ही बेसबर हो गए और मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल उसकी दुदों को दबाने लगा |

मैं अब्ब जब पूरी तरह से गरमा गया तो उसे सामने की एक दिवार के पीछे ले गया उसकी उप्पर वाले टॉप को उतार दिया और उसके चुचों को पागलों की तरह पीने लगा | मैंने कुछ देर बाद उसकी पैंट को खोलते हुए उसकी पैंटी को भी उतार दिया मस्त में उसकी चुत में ऊँगली करने लगा जिसपर वो बार गरम उठती और झुककर मेरे होठो को अपने होठों के तले दबा लेती | मैंने कुछ देर बाद अपनी पैंट को भी उतार दिया और अपने लंड को उसकी चुत का रास्ता दिखाते हुए हलके - हलके से अपने लंड को उसकी चुत में देने लगा जिससे अब कामुकता का असली मज़ा आ रहा था |

मैंने अब वहीँ खड़े - खड़े उसकी अपने गौद में उठा लिया और नीचे उसकी चुत में झटकों से अपने लंड को देने लगा जिससे हम अब खूब मज़े में तर्र हो चुके थे | मुझसे कुछ समझा नहीं आ रह था की मैं कौन सी दुनिया में पहुँच चूका था . . ! ! मैंने अब कुछ देर बार थकक हारकर उसके नीचे उतारा उसके चुचों को पीते हुए अपने लंड को मसलने लगा जिससे मेरा सारा मुठ निकल पड़ा | उसके कुछ देर बाद ही हमें घर भी जाना पड़ा पर दोस्तों उस दिन के बाद से ही हमारी चुत - चुदाई का असली खेल शुरू हुआ था |
 
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