ठंडी में गर्मी का एहसास

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नमस्कार दोस्तों,

यह कहानी आज मैं आपको बड़े ही मन से सुनाने जा रहा हूँ और मुझे भरोसा है की यह आपके लंड को भी मस्त वाला उत्तेजित कर देगी | मैं जिस लड़की के बारे में आपको बता रहा हूँ उसका नाम सिमर था और वो मेरे ही गॉंव की मस्त गद्देदार उठे हे बदन वाली जवान लौंडिया थी | हम की बातों में पट्टी भी बहुत थी और मैं तो हमेशा दोस्तों उसे बात करते हुए बस उसके दुदों और गांड को छोड़ने की ही टाक में रहा करता था | अरे ऐसा भी नहीं था की उसे कुछ पता नहीं था वो भी साली बकती हुई मेरी नियत को पहचान जाती और जब भी मैं उसके करीब आता आता मुझे दूर झटक देती पर मैं भी उसे कुछ दूर जाता और फिर शुरू हो जाया करता |

हमारी इस तरह की चलती मस्ती में काफी समय गुजर चूका था और मेरा मन भी दोस्तों अब अंदर से मचलने लगा था | मैंने अब एक दिन रात के सिमर को अपने घर की दालान में बुला लिया और जब सो रहे थे तो उसे एक रात अपने साथ ही वहाँ बिताने को कहने लगा | वो मेरी अंदर चल रहे शैतानी दिमाक को अच्छी तरह पहचान चुकी थी और अब तो वो भी मुझे अपने से दूर करती हुई तंग आ चुकी थी इसीलिए उसने मुझसे ज्यादा ना सवाल करते हुए वहीँ मेरा साथ रुकना ठीक समझा | अपने वहीँ दालान में खात लगायी और उसे उसके साथ पर लेटते हुए उप्पर से हमने ठण्ड भरे मौसम में रजाई औद ली | मैंने अब उससे बात करते हुए अपनी एक तंग को उसकी जांघ परा रख लिया और कुछ ही देर में अपने होठों को उसके गुलाबी होठों से मिला लिया |

मैं वही उससे अच्छी तरह कसके लिपटते हुए उसके होठों का रस पीता रहा | मैं प्रजा में उत्तेजित होकर उसकी कुर्ती को उतारने लगा और उसके उसको दुदों को भींचते हुए पीने लगा | मैंने उसकी सलवार को खोल उसकी चुत में अपनी उँगलियाँ अंदर - बहार देने लगा | जब उसकी चुत भी गीली हो गयी तो मैं अब रजाई के नादर ही उसके उप्पर चढते हुए उसकी चुत में हलके - हलके झटकों से देने लगा जिससे उसकी दर्द भरी सिकारियां निकलने लगीं | मैंने भी उसके होठों को फिर से अपने मुंह दबाते हुए अपने लंड के झटकों की तेज़ी बढ़ाते हुए जा रहा था | जैसे ही अब मेरे लंड की प्रहारों पर उसका दर्द काम हुआ तो वो भी मज़े लेने लगी | उसने अपनी गांड को उछाल कर मेरे लंड को लेने लगी |

हमें उस ठण्ड के मौसम में कोई भी रोकने वाला नहीं था और मैंने दोतों उसी तरह उसके उप्पर चढ़े हू पूरा रात भर उसकी चुत को चोदा | बीच - बीच में हम रुक जाते और एक दूसरे की चुत और लंड को मुंह में लेटे हुए चाटने और चूसने लगते | करीब तेज सुबह मेरे की काम - क्रीडा के दौरान मेरा मुठ भी छूट गया और मैंने फटाफट उसे कपड़े पहनाते हुए उसे घर भेज दिया और अब तो हम रोज के दूसरे के साथ ऐसी घिनोने हरकत करने के आदि हो चुके थे |
 
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