थकावट का असली तोड़ रंडी बाज़ार

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नमस्कार दोस्तों,

मैं पांडू आज फिर आपका स्वागत करता हूँ और आज आपको मेरी यह नहीं कहानी उम्मीद है खूब पसंद आयगी जैसे की क्पिछ्ली वाली आई थी | यह कहानी मेरे रंडी बाज़र के अश्लील सफर की है जहाँ मैंने दिल्ली के रेड अलर्ट नगर में एक रंडी खूब पागलों की पेला था | दरसल बात यूँ हुई की मैं अपने कार्यालय के काम के कारण बहुत थका - हारा रहा करता था | वैसे भी मेरा शादी कोई इतना ज़ल्दी प्लान नहीं है तो मेरे सहयोगी ने मुझे अपनी थकावट दूर करने का यह कामुक बहरा रास्ता सुझाया जिसने सच में अंदर एक नयी चूसती - फुर्ती ला दी है | दोस्तों, उसके अगले दिन मेरे दोस्त ने मुझे वहाँ लेजाकर छोड़ दिया और अंदर जाकर एक रंडी का बंदोबस्त भी करा दिया |

मैं जब कमरे में गया तो पहले से ही एक मस्त जवान लौंडिया बैठी हुई थी जोकि कहीं से भी रंडी नहीं लग रही थी | उसने मुझे देखते ही एक कामुक भरी मुस्कान दी और बस देखते ही देखते अपने सारे कपड़े उतार फेंके | मुझे मुस्के लटकते हुए और नंगी चिकनी चुत को देख रुका ना गया और मैंने भी भी फट से अपनी शर्ट को पैंट को उतार बिस्तर पर चड गया | मैंने गर्म होकर पहले उसके उप्पर चडा और उसके होठों के रस को पीते हुए उसके चुचों को मसलता हुआ पीने लगा | कुछ देर बाद मैं अपनी ऊँगली से उसकी चुत में खुजली करने लगा और जब एक दम तन गया तो नीचे की औरजाते हुए उसकी चुत को अपनी से चाटने लगा | अब उसने भी मेरे लंड को अपने हाथ में मसलते हुए खूब देर मसला और मस्त में अपने मुंह भरते हुए चुस्कियां लेने लगी |

मैं पूरा गरम हो चूका था और बस अपने लंड को उसकी नरम चुत में देना चाहता था | अब मैंने उसकी टांगों को को खोल चुत में कुछ देर ऊँगली डाली ही की उसने मेरे हाथ में कंडोम थमा दिया | मेरी हंसी छूट पड़ी पर तभी मैंने अब अपने लंड पर कंडोम चढाते हुए उसके चुत पर लंड को टिका दिया | मैं अब उसके उप्पर चड जोर के झटकों के साथ उसकी चुत को चोदे जा रहा था जिसपर वो अपना मुंह फाड़े हल्की जिस्कारियां भर रही थी | उसके कुछ देर बाद उसने मुझे वहीँ पर चित्त लेटा दिया और और मेरे उप्पर चड गयी | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था इतने में वो मेरे लंड को नीचे अपनी चुत में डालने लगी |

मैंने उसे सहारा देते हुए अपने लंड को उसकी चुत का रास्ता धिकाया जिसपर जैसे ही मेरा लंड अब उसकी चुत में घुसा अब वो जोर - जोर से मेरे लंड के उप्पर कूदने लगी | मैं मज़े में चूर हो गया था और वो भी आःहहः हहहह्हा करती हुई बस कूदे जा रही थी | आखिर में कुछ ४० मिनट की चली इस चुदाई के बाद मैं झड गया और वो भी कंडोम उतार मेरे मुठ को चाटने लगी | उस दिन के बाद से मैंने बस रंडी बाज़ार को ही अपना घर बना लिया |
 
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