दूकान के भीतर चला गोरख धंधा

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हाई दोस्तों,

आज मैं आपको मीना की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिससे मैं लखनऊ मैं मिला था और वो मेरे किसी जान - पहचान वाले की ही बेटी थी | उसके अब्बा कपड़ों की दूकान में काम किया करते थे और जब दोपहर को भोजन करने घर जाया करते थे तो मैं तभी उसके दूकान पर पहुँच जाता था जिस वक्त मीना बिलकुल अकेली हुआ करती थी और वहीँ उसके साथ बैठ मगजमारी मारा करता था | मैं किसी और वजह से नहीं बल्कि मेरे असली वजह थी उसकी चुत जीके लिए तो दोस्तों मैं अपनी जान छिडकता था | वो हमेशा कुर्ती और सलवार ही पहना करती थी पर मैं जब भी उसके ४० माप के चुचों को देखता तो ऐसा लगता जैसे उसने आगे दो मोटे - मोटे पपीता लटकाएं रखें हो |

मेरा अब सपना बन चूका था की उसके उन् चुचों को जमकर मस्त - मौला तरीके से चूसना | मैं भी कोई धीमी रफ़्तार से अपनी गाडी आगे नहीं बढ़ा रहा था बल्कि मैं उससे बात करता हुआ उसकी चुन्नी को छुने के बहाने कभी कभार उसके हाथ पर भी अपनी उँगलियाँ फेर लिया करता था जिस्सपर वो एक दम चुप्पी साध लिया करती पर उसने मेरा कभी विरोध नहीं किया | मैं भी अब अपने हत्कंडे मजबूत करने चालू कर दिए और धीरे - धीर अपनी उंगलियों को उसकी उँगलियों पर लहराने लगा | मैं इससे पहले आगे बढ़ता उसे अब्बा का फोन आया जिसपर उसके अब्बा ने वापस दूकान पर आने से मना कर दिया |

मीना के अब्बा को कोई ज़रुरी काम याद आ गया था और अब मुझे भी अपना रास्ता साफ़ नज़र धिकायी दे रहा था | मेरी उंगलियां अब उसकी जाँघों तक पहुचन चुकी थी और तभी मैं उसे लिपट गया जैसे एक सांप दूसरे से लिपट जाता है | मैं अब उसकी गर्दन को चुमते हुए उसके होठों को चूस रहा था और वो भी बस गरमा - गर्म सांसें अपनी आँखों हलके - हलके बंद करते हुए ले रही थी | मैंने अब धीरे - धीरे उसके सारे कपड़े खोलने लगा | मैं कुछ ही पल में मीना को अपने सामने पूरी नागी कर दिया और उसे ज़मीं पर लेटते हुए उसके अंगों को मसलने लगा |

मैंने अब अपना लंड को निकला और उसके बाजु में केटे हुए उसकी जाँघों के बीच लहराने लगा | वो कामुक गुदगुदी भी उस वक्त हम दोनों को बहुत आनंद दे रही थी पर मैं असली मज़े तक पहुंचना चाहता था | मैंने अब उसकी चुत पर लंड के सुपाडे को टिकाते हुए बस उससे अपने से अची तरीके से मिला लिया और उसकी चुत में अपने लंड के झटकों की बरसात करने लगा | अब हम दोनों ही मज़े में बिलकुल तर्र हो चुके थे और हाँफते हुए चुदाई का आनंद ले रहे थे | कुछ देर बाद ही वहीँ लेते - लेते मेरा मुठ निकला पड़ा और मेरी कुछ देर की ऊँगली उसकी चुत में करने के कारण उसकी चुत से सफ़ेद गाढ़ा पानी निकल पड़ा | हम दों वहीँ फिर से एक - दूसरे से लिपटते हुए चुम्मा - चाटी कर रहे थे |
 
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