दूध वाले को मिली नयी ताज़ा भैंस

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नमस्कार दोस्तों,

मैं आज आपको अपने घर की दूद्वाले के साथ की चुदाई के बारे में बताने जा रही हूँ | मैं एक युवा नारी हूँ और मेरा पति कई साल पहले ही एक दुर्घटना में मार चूका है | मैं घर में अकेले ही रहती हूँ और खुद ही जानती हूँ की किस तरह अपने अकेले पण का बोझ संभल रही हूँ | ऐसे तो मैं किसी को अपने अकेलेपन की तन्हाई नहीं बताती और अपनी चुत में कुछ देर ऊँगली करते हुए शांत हो जाया करती हूँ | कभी - कभी जब मुझे उससे भी संवर नहीं होता तो मैं अपने चुत में अपनी की बोतल को डाल लेती हूँ और कुछ देर आगे - पीछे करने लगती हूँ जिससे मुझे काफी राहत मिलती है और इसी बहाने मेरी चुत की मलाई भी निकल जाती है |

मैं कुछ महीने पहले बहुत परशान रहा करती थी जिसकी पहली वजह मेरी बढती चली जा रही वासना थी और दूसरी मेरे दूधवाले का दूध में पानी मिलाना | वो अक्सर ही सुबह - सुबह दूध देकर जाया करता था और मैंने एक दिन उसकी खैर - खबर लेने का फैसला किया | जब वो सुबह - सुबह आया तो मैंने उसे शिकायत जताई जिसपर उसने कहा की वो आज सभी दूध बांटकर मेरी समस्या को हल करने आयगा | मैंने जैसे तैसे उसका इन्तेज़ार किया और आखिरकार वो आधे घन्टे में आ ही गया | उसके आते ही एपेहले मैंने उसे अपने घर में बुलाया और कहा ही वो दूध में पानी बहुत मिलाने लगा और बोलते - बोलते उसकी पहनी हुई लंगोटिया में से मुझे उसके लटकते हुए पकोडे जैसे गोटे धिकायी दिए और मैं बोलते - बोलते रुक आगयी |

उसने मेरे करीब आते हुए कहा की उसकी भैंस ही ऐसा दूध देती है और साथ - साथ उसने यह भी कहा की शायद आज उसे एक ऐसी भैंस मिल गयी है जिसका दूध बहुत ही ताज़ा होगा | इससे पहले उसकी बातो को समझती उसने मेरी जांघ को पकड़ अपनी हथेली को मचलाने लगा | शायद वो भी मेरे अंदर चल रही ज्वाला को पहचान चूका था | मैंने भी उससे कह दिया की इस मौके पर उसने दूध नहीं निकाला तो पैसे नहीं मिलेनेगे तभी उसने मेरी बात पर हामी जताते मेरे चुचे को आगे की तरफ से एक दम से भींच लिया | मैं अब पहली ना समां रही थी और तभी मैंने उसकी लुंगी को उप्पर उठा दिया और उसके पकोडे जैसे गोटों और लंड को मसलते हुए उसके छाती को चूमने लगी |

अब उसने अपने मुंह अब मेरे चुचों के बीच गड़ा लिया था जिससे मुझे अब बड़ी ही मज़दार गुदगुदी हो रही थी | उसने मुझे कुछ पल में नागी का र डाला और जमकर मेरे चुचों को चुने लगा में दूसरे तरफ से उसके लंड को अपने हाथ में मसलती हुई चूस रही थी | वो अब पूरा जोर मेरे चूचकों पर दे रहा था जिससे मेरे दूध निकल जाये पर यह खेल इतना आसान नहीं था | अब मैंने अपनी टांगों को फैला दिया और उसे अपने उप्पर आने का निमंत्रण दिया जिसे उसने अपने लंड को मेरी चुत में टिकाते हुए मेरे उप्पर लेट गया और मेरी गांड पर जोर देते हुए धक्के देता चला गया | मेरी वर्षों की मुराद पुरी हो रही थी और मैं भी जमकर उसके मस्ताने काले लंड को ले रही थी |

उस पूरी सुबह दूध वाले ने मेरी चुत को जमकर चोदा जीसे थक - हारकर मेरी चुत का सफ़ेद पानी निकल पड़ा और वो उसे जीभ से चाटने लगा | मैंने मज़े में चूर हो ही चुकी थी की वो मेरे चुचों पर और हत्कंडे आजमाने लग जिससे मेरे चुचों से भी दूध निकला पड़ा और वो अब मुस्कुराता हुआ अपनी जीत पर अपने लंड को मेरे मुंह के उप्पर ही मसलने लगा और सारा मुठ मेरे मुंह पर ही चोद दिया | अब से हर सुबह दूध वाला ही सुबह - सुबह कार मेरे दूध निकालता है और मुझसे पैसे भी नहीं लेता |
 
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