देसी मुखमथुन किया पड़ोसन को पेलने के बाद

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राधिका मेरी पड़ोसन रही थी, मैं उसकी चुदाई और देसी मुखमथुन कराने के लिए आज भी तडप से जूझ रहा हूँ | वो दिखने में लाजवाब माल थी और किसी अभिनेत्री से कम नहीं दिखती थी | उसकी खूबसूरती को लव्जों में ब्यान नहीं किया सकता बस उसका एहसास ही किया जा सकता है | वो अजब तरीके से ही चला करती थी जिसपर उसकी गांड ऐसे मटकती जैसे मुझे चिढा रही हो | मैं हमेशा उसे देखता हूँ कामुकता की प्यास में जला करता था और बस उसके ही सपने देखा करता था | मैं राधिका के बारे में सोचकर दिन - रात हस्थमैथुन किया करता था | अब तो मेरा लंड भी हार मान चूका था और उसे राधिका की असली चुत की चिकनाई चाहिए थी |

वो मेरी पड़ोसन थी इसीलिए कभी - कभार हमारी बात तो ही जाया करती थी | मैंने उसके साथ अब बढे ही प्यार से पेश आता था जिसपर वो भी मुझसे आकर्षित होती जा रही थी | मैं अब धीरे - धीरे राधिका के करीब आने लगा था | एक दिन हम अपनी - अपनी छत पट बैठे हुए दूर से ही बता कर रहे थे जिसपर उसने कुछ देर में मुझे बतियाते हुए बताय की उसके घर पर कीर्तन चल रही है जहाँ मेरी माँ भी गयी हुई थी | मेरे मन में दो पल में ऐसा खराफुति प्लान आया और मैंने उसे प्यार से अपनी छत पर आ जाने को कहा | छत पर आते ही मैंने बहाना बनाया और उसे घर के अंदर लिवा लाया |

हम अब यूँ ही बातें कर रहे थे और अचानक मेरी नज़र उसके टॉप पर उभरे चूचकों पर पड़ गयी और मैं अपने ना रोक ना सका | मैंने बा पहली बाजी खेलते हुए धीरे - धीरे अपनी उँगलियाँ उसकी हथेली पर छुआने लगा जिसपर राधिका मुझे तिरछी नज़रों से देखने के लगी पर उसने मुझे एक शब्द तक नहीं कहा | मैं समझ चूका था की बेटा अब रास्ता पूरा सफा हो चूका है | मैंने अब ना देखा उधर ना इधर बस सीधा राधिका के होठों पर टूट पड़ा और चूमते हुए उसके उसके टॉप के उप्पर से ही उसके चुचे पर को दबाने लगा | वो अपने बदन को मेरे हाथों सौंपने पर मजबूर हो चुकी थी क्यूंकि मेरे मर्दाना स्पर्शों से उसका पूरा बदन खिल चूका था |

उसे अब अपने साथ वो मज़ा आ रहा तह जो कभी वो अकेले नहीं महसूस कर सकती थी | मैंने कुछ ही देर में उसके टॉप को दिया और उसके मोटे चुचों को अपने मुंह में भरकर बस पिने लगा | मैंने राधिका के नीचे पहने हुए पिली सलवार को उतार दिया और टांग को चौड़ाते हुए नीचे से अपनी उँगलियाँ उसकी चुत में देनी शुरू कर दी | उसकी चुत की चिकनाई मेरी उँगलियों पर लगी जिसमें से मुग्ध कर देने वाली खुसबू आ रही थी | राधिका बेकाबू होते हुए अपनी ऊँगली चुत के उप्पर ही रगड़ने लगी | अब मैंने उसे वहीँ बाजू में लिटाते हुए उसकी चुत में लंड को डाल अपने फिसलाने लगा |

मुझसे रुका ना गया तो मैंने अपनी गति को बढ़ा दिया और उसके दोनों चुचों को दबाते पीछे से उसकी चुत मारे जा रहा था | अब तो वो ज्यादा दर्द ना महसूस करती हुई मेरे लंड से चुदने लगी और अपनी गांड को भी पीछे धकेलने लगी | मैंने अपने लंड को बहार निकालते हुए उसके होठों को चूसते कुछ देर उसके उप्पर अपने हाथ से मसलने लगा और सारा मुठ उसकी मुख पर ही गिरा दिया | मेरे मुठ गिरने के बाद राधिका उसे किसी अम्रत के समान अपने मुख में गटक गयी जिसके बाद मैंने उसके मुंह में अपने लंड को देते हुए देसी मुखमथुन कराया | आज तलक राधिका मेरी पड़ोसन है और उसे चुदाई के बाद मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूसना बहुत पसंद है |
 
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