दोस्ती की शादी से अपनी शादी तक

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको निर्मला की कहानी सुनने जा रहा हूँ जिससे मेरी मुलाकात अपने दोस्त की शादी में हुई थी और वहीँ से हमने बात - चित लगभग एक - दूसरे को हलक - फुल्का पसंद कर आपस में नो. बदल लिए थे | उसके बाद से हमारी अक्सर फोन पर बात होती रहती थी क्यूंकि वो और मैं एक- दूसरे से काफी दूर रहा करते थे | अब कई तक चल रही लगातार फोन पर बात करते हुए हम प्यार के बंधन में बांध चुके थे और हमने फोन पर ही अपने मिलन के लगभग सारे सपने को संजो लिया था | जिसमें से वासना में दडूबने का भी एक सपना था और उसी पर मेरा सबसे ज्यादा ध्यान था | हमारी बात होने के बाद अब हम २ साल बाद पहली बार मिलने वाले थे |

हमारी भावनाएं एक - दूसरे के प्रति देखते ही बन रही थी | उसे पहली बार मिलते ही मैंने उसे अपने गले से लगा लिया | उस उर दिन मैं उसके साथ ही घुमा और मैंने बहुत अच्छी - अच्छी जगह जाकर कही अच्छा समय बीते पर असली वक्त इन सब के बाद आने वाला था | अब थक - हारकर हम एक होटल में रुके जहाँ मैं एकाछा सा कमरा ले लिया | वहाँ जैसे ही हम ताज़ा होकर आये तो अंदर से जैसे दोनों अजब - अजब तरंगें उठ रही थी जैसे कोई डोर मुझे उसके करीब खींच रही थी | अब हम वहीँ बिस्तर पर बैठकर बातें करने लगे और बीच में मैंने शर्माते हुए सुके हाथ को पकड़ लिया और फिर धीरे - धीर अपनी उँगलियाँ उसकी हाथ पर सहलाने लगा |

अब मुझे मेरा असली कदम याद आने लगा और अब तो निर्मला बिलकुल गरमा चुकी थी | कुछ देर में हम दोनों एक दूसरे को चुमते हुए होठों को चूस रहे थे | धीरे - धीरे मैं उसकी चुचियों को हलके - हलके दबाते हुए मज़े ले रहा था जिसपर उसकी भी सिस्कारियां निकल रही थी | अब कौन रुकने वाला था कुछ देर में हम बड़ी बेताबी से एक - दूसरे को चुमते - चूसते हुए एक दूसरे के कपड़े खोलने लगे और मैंने कुछ ही देर में निरमला को अपने सामने बिलकुल वस्त्रहीन कर डाला | मैं उसकी चुत पर थूक लगाकर उसपर अपने लंड को मसलने लगा जिससे अब वो किसी कुतिया की तरह तड़प रही थी और मैंने तभी अपने लंड को उसकी चुत के अंदर दे मारा जिससे उसकी सिस्कारियां बढती ही जा रही थी |

मैंने उसकी टांगों को पकड़ते हुए अपनी उसे चोदने लगा और अब हम दोनों को खूब मज़ा आ रहा था | मैंने धीर - धीरे अपनी रफ़्तार को बढ़ाना शुरू कर दिया जिसपर उसकी अकभी चींखें निकलती तो कभी सिस्कारियां पर तभी भी वो मुझे किसी भी प्रकार से रोकना नहीं चाहती थी | मैं भी किसी भी तरह उसकी चुत को बस फाड देना चाहता था ओरर आखिर में अचानक अच्छी - खासी रफ़्तार में मेरे लंड का मुठ झटके मारते हुए निकल पड़ा और वहीँ निढाल बैठकर अब उसके चुचों को चाटते हुए वहीँ लेट गया | उस दिन के बाद से आज तक हम चुदाई करते हुए आ रहे हैं और कुक ही महीनो में हमारी शादी भी होने वाली है |
 
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