दोस्त और मेरी खुशी की वजह

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Antarvasna, bhabhi sex stories: भैया मुझे कहते हैं कि प्रकाश मुझे तुमसे कोई जरूरी बात करनी है, हम लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं। मैंने भैया से कहा भैया जब मैं अपने काम से लौट आऊंगा तो आपसे बात कर लूंगा। भैया कहने लगे ठीक है प्रकाश जब तुम अपने काम से लौट आओगे तब मैं तुमसे बात करूँगा मैंने भैया से कहा ठीक है भैया। मैं अब अपने दफ्तर के लिए निकल चुका था मैं पोस्ट ऑफिस में नौकरी करता हूं और पिछले 10 वर्षों से मैं पोस्ट ऑफिस में जॉब कर रहा हूं। मेरे पिताजी की मृत्यु को अभी करीब 6 माह ही बीते थे लेकिन घर में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था जिस वजह से अक्सर घर में झगड़े होने लगे थे शायद इसी बारे में भैया को मुझसे कुछ बात करनी थी। अब हम लोग एक साथ नहीं रहना चाहते थे मुझे यह बात अच्छे से पता थी जब मैं शाम को अपने घर लौटा तो उस वक्त भैया भी अपने दफ्तर से घर लौट चुके थे। भैया मुझे कहने लगे कि प्रकाश क्या हम लोग अभी कुछ देर बात कर सकते हैं मैंने भैया से कहा हां भैया।

मैं और भैया हमारी बैठक में बैठे हुए थे मेरी पत्नी हम लोगों के लिए पानी ले आई हम दोनों ने पानी पिया और उसके बाद भैया ने मुझे कहा देखो प्रकाश मैं नहीं चाहता कि अब हम लोगों के बीच और भी झगड़े हो या किसी बात को लेकर आगे किसी भी प्रकार की कोई मुसीबत हो इसलिए हम लोगों का अलग हो जाना ही बेहतर होगा। मैंने भैया से कहा भैया आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं मुझे यह बात मालूम थी और मैं भी चाहता था कि आपसे इस बारे में बात करूं लेकिन मेरी आपसे बात करने की हिम्मत हो नहीं पाई क्योंकि आप घर में बड़े हैं इसलिए आपका मुझसे बात करना ज्यादा ठीक रहता। भैया ने मुझे कहा देखो प्रकाश अब हम लोगों को घर का बटवारा कर देना चाहिए लेकिन घर के बंटवारे में सबसे बड़ी मुसीबत यह थी कि वह घर पिताजी ने बनाया था और उसे मैं ना तो बेचना चाहता था और ना ही उसका बंटवारा करना चाहता था इसलिए मैंने भैया से कहा कि भैया मैं इस घर को ना तो बेचना चाहता हूं और ना ही इसका बंटवारा होना चाहिए क्योंकि इसे पिताजी ने अपनी मेहनत से बनाया था।

भैया कहने लगे कि प्रकाश तुम ही बताओ कि अब हमें क्या करना चाहिए तो मैंने भैया से कहा भैया मैं अपने लिए दूसरा घर ले लूंगा तो भैया ने कहा ठीक है। भैया ने मुझे कुछ पैसे देने की बात कही और मैंने भैया से कहां ठीक है भैया क्योंकि उस मकान पर मेरी भी हिस्सेदारी रहने वाली थी। भैया ने कहा कि मैं यहीं रहना चाहता हूं मैं चाहता था कि मैं अपनी पत्नी और बच्चों को अपने साथ रखूं क्योंकि मेरी भाभी और मेरी पत्नी के बीच बिल्कुल भी अच्छे संबंध नहीं थे जिस वजह से हम लोगों को घर का बटवारा करना पड़ रहा था। पिताजी ने और भी संपत्ति जोड़ी थी उसे हम लोगों ने दो हिस्सों में बांट दिया और अब मैंने भी अपने लिए घर तलाशना शुरू कर दिया था। थोड़े समय बाद मेरे दोस्त की मदद से मुझे एक अच्छा घर मिल गया और मैंने वहां पर रहना शुरू कर दिया मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ वहां रहने लगा था। शुरुआती दिनों में तो मुझे वहां पर रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा मुझे लगा कि शायद मुझे अपने घर को छोड़ना नहीं चाहिए था लेकिन अब मैं नए घर में रहने लगा था और धीरे-धीरे मुझे वहां पर रहने की आदत हो गई थी। भैया से भी कभी कबार मैं मिल जाया करता था जब तक माता-पिताजी जीवित थे तब तक हमारे परिवार के बीच कभी झगड़े नहीं होते थे लेकिन जब पिताजी की मृत्यु हुई तो उसके बाद मेरी पत्नी और भाभी के बीच में झगड़े बढ़ गए थे जिस वजह से भैया और मैंने यह फैसला लिया। मुझे मेरे भैया से कभी कोई शिकायत नहीं रही क्योंकि उन्होंने ही हमेशा से मुझे समझाया है और हमेशा उन्होंने मेरी मदद की है। मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अब अलग रह रहा था और सब कुछ ठीक चल रहा था हमारे पड़ोस में ही मेरी दोस्ती सुनील से हुई सुनील बैंक में जॉब करते हैं और सुनील से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी इसलिए हम लोग अक्सर ही दूसरे को मिला करते थे। सुनील का अंदाज पूरी कॉलोनी में अलग है जब भी सुनील मुझसे मिलते हैं तो हमेशा वह किसी ना किसी बात से मुझे हंसा ही देते हैं। मैं और सुनील एक दिन कॉलोनी के बाहर बैठे हुए थे तो सुनील ने मुझे कहा प्रकाश आज हम लोग अपने परिवार को लेकर कहीं चलते हैं। मैंने सुनील को कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो वैसे भी आज हमारी छुट्टी है। मैंने अपनी पत्नी से कहा कि तुम जल्दी से तैयार हो जाओ और सुनील ने भी अपनी पत्नी से कह दिया था हम लोग भी तैयार होने के लिए चले गए और दो घंटे बाद हम लोग मिले।

जब हम लोग मिले तो हम लोग सुनील की कार से ही साथ में घूमने के लिए जाना चाहते थे सुनील मुझे कहने लगा कि प्रकाश हमें कहां चलना चाहिए। मैंने उसे कहा मेरी पत्नी सुधा को शॉपिंग करनी है तो क्या हम लोग शॉपिंग मॉल चल सकते हैं सुनील ने कहा ठीक है। हम लोग शॉपिंग मॉल चले गए वहां पर मेरी पत्नी और सुनील की पत्नी शॉपिंग करने लगे थे सुनील और मैं फूड कोर्ट में बैठे हुए थे हम लोगों के साथ बच्चे भी थे। सुनील मुझसे बात कर रहे थे और कहने लगे कि मैं सोच रहा हूं क्यों ना बच्चों को हम लोग गेम खिला आते हैं। हम लोग फूड कोर्ट के पास गए थे वहां पर गेमिंग जोन था और वहां पर हम लोगों ने बच्चों को जेम खिलवाना शुरू किया। हम दोनों खड़े होकर वहां आपस में बात कर रहे थे तभी मेरी पत्नी सुधा का फोन आया और वह कहने लगी कि तुम कहां हो मैंने उसे कहा कि तुम गेमिंग जोन में आ जाओ और फिर वह लोग भी गेमिंग जोन में आ गए। मैंने उन्हें कहा बच्चे अभी गेम खेलने में मस्त हैं हम लोग फूड कोर्ट में बैठ गए क्योंकि फूड कोर्ट से गेमिंग जोन दिखाई देता था इसलिए बच्चे हमारी नजर में ही थे और थोड़ी ही देर बाद बच्चे भी फूड कोर्ट में आ गए।

हम लोगों को पता ही नहीं चला कब शाम होने वाली थी और जब शाम के 7:00 बज चुके थे तो हम लोगों ने लौटने का फैसला किया और हम लोग अब घर लौट चुके थे। हम लोग जब घर लौटे तो मुझे मेरी पत्नी सुधा कहने लगी कि आज इतने समय बाद मुझे काफी अच्छा लगा। सुनील और उनकी पत्नी भी बहुत अच्छे हैं उन लोगों का हमारे परिवार के साथ बहुत अच्छा संबंध बन चुका था। एक दिन मैं अपने ऑफिस से घर लौट रहा था उस दिन सुनील का मुझे फोन आया और सुनील मुझे कहने लगा क्या तुम ऑफिस से लौट चुके हो? मैंने सुनील को कहा हां मैं ऑफिस से लौट चुका हूं सुनील और में हमारी कॉलोनी के बाहर ही एक दुकान है वहां पर हम लोग चले गए हम लोग वहां पर कोल्ड ड्रिंक पी रहे थे कि तभी वहां से एक भाभी गुजर रही थी। सुनील ने उन्हें देखते ही अपनी मुस्कुराहट से जैसे अपने बस में कर लिया था। उसके बाद वह भाभी अक्सर हम दोनों को ही देखा करती लेकिन जब एक दिन सुनील ने मुझे बताया कि भाभी ने मुझे घर पर बुलाया था। मैंने सुनील को कहा लगता है मुझे भी वहां जाना पड़ेगा सुनील भी मुझे कहने लगा हां तुम भी भाभी के पास चले जाओ तुम्हें वह पूरे मजे दे देंगी और मैं भी एक दिन भाभी के पास चला गया। भाभी हमारी कॉलोनी में ही रहती हैं उनका नाम कविता है कविता भाभी को देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और उस दिन भाभी के घर पर गया तो उनके पति अपने दफ्तर जा चुके थे। मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी और कविता भाभी के साथ में बैठा हुआ था हम दोनों आपस में बात कर रहे थे। कविता भाभी कहने लगी क्या तुम मुझसे बात करने आए हो या फिर मेरी गर्मी को बुझाने आए हो। मैंने कविता भाभी को कहा मैं तो आपकी गर्मी को बुझाने के लिए यहां आया हूं कविता भाभी भी खुश हो गई और वह मुझे कहने लगी तो फिर तुम मेरी गर्मी को क्यों नहीं बुझाते।

मैंने उन्हें कहा भाभीजी आप अपने कपड़े उतार दीजिए उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिए। जब उन्होंने अपने कपड़े उतारे और मेरे सामने वह नंगी खड़ी थी तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा मैंने भी उन्हें अपनी गोद में बैठा लिया और उनके होठों को मैं जिस प्रकार से चूस रहा था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। जब मैंने उनके स्तनों को दबाया तो वह मुझे कहने लगी मुझे तुम्हारे लंड को अपनी चूत के अंदर लेना है। मैंने उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया और उनके कोमल और मुलायम योनि को चाटना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गई।

वह मुझे कहने लगी मैं अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पाऊंगी मैंने भी उनकी चूत के अंदर लंड को धीरे धीरे डालना शुरू किया और उनकी चूत के अंदर लंड घुसा दिया तो वह मुझे कहने लगी आज तो मुझे मजा ही आ गया। मेरे अंदर भी एक अलग ही गर्मी पैदा होने लगी थी मैंने भी उन्हें तेज गति से चोदना शुरू कर दिया था वह अपने पैरों को खोलने लगी वह मुझे कहनी लगी तुम और भी तेजी से मुझे धक्के मारते रहो। मैंने भी उनको बड़ी तेज गति से चोदना शुरू कर दिया था फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी आज तो मुझे मजा ही आ रहा है। मैं भी बड़ा खुश था मैं उन्हें जिस प्रकार से चोद रहा था उस से मेरे अंदर की गर्मी पूरे तरह से बढ चुकी थी और मेरा वीर्य गिर गया। मैं जब भी कविता भाभी से मिलने जाता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और उनकी गर्मी को मै मिटा दिया करता। सुनील और मैं इस बात से बहुत ही ज्यादा खुश है कि कविता भाभी के साथ हम दोनों सेक्स कर पा रहा है।
 
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