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नमस्कार दोस्तों,

मैं शेखर सुमन आपका अपनी चुदम - चुदाई कि कहानी में स्वागत करता हूँ | आज मैं आपको अपनी ही दोस्त की प्रेमिका कि चुदाई की बड़ी ही अतरंगी सी कहानी सुनागे जा रहा हूँ और उम्मीद करूँगा कि आप लोगों को खूब पसंद आयगी | दोस्तों, मैं दिखने में तो इतना बुरा नहीं पर तभी भी मुझसे कोई लड़की नहीं पटती और इसी बात का हल मैं और मेरा अच्छा दोस्त नीरज आज तक ना निकल पाए पर कुछ ही मेहनो पहले उसकी प्रेमिका ने मेरा यह वहम भी दूर कर दिया | दोस्तों क्यूंकि वो मेरा अच्छा यार था तो ज्यादातर चुम्मा - चाटी वो मेरे सामने ही कर लिया करता था अपनी प्रेमिका से और वो मुझे उसके साथ हार बार कि गयी चुदाई से लेकर छोटे - मोटे चुम्मा - चाटी के बारे में बताया करता था | मैं जान चूका था कि उसकी प्रेमिका नंदया बिलकुल ही उसके तन कि आदि हो चुकी थी और एक दिन उसके साथ अपने स्तनों को चुसवाये और चुत में ऊँगली करवाए बिना रह नहीं सकती थी | दोस्तों, आखिर उप्पर वाले ने भी देर से ही सही पर मार्ग भी खोल दिया और कुछ महीनो पहले मेरे दोस्त को अपनी नौकरी के सिलसिले में बहार जाना पड़ा और अब नंदया को करीब २ सप्ताह नीरज के बगैर ही रहना था जोकि वो किसी भी हाल में नहीं रह सकती थी |

मान लो वो उसके बगैर रह भी लेती पर उसे अब लात लग चुकी थी अपने चुचों कि सेवा करवाने और चुत में चक्की चलाने जिसके लिए तो अपनी जान तक देने को तैयार थी | दिन - प्रतिदिन उसकी हालात बिगड़ती ही जा रही थी और वो हर किसी मर्द इस तरह देखती कि बस मौका मिलते ही उसका लंड को जाकर चूस ले यार अपने नंगे चुचे उसके सामने जाकर दिखला दे | मैंने कई लड़कों अब मेरे दोस्त नीरज कि गैर - हाजरी में नंदया को पटाकर उसकी सूजी हुई चुत को चोदने का प्लान बनाते हुए देखा तो मैं भी सतर्क हो गया और जब भी मौका मिलाता तो नंदया को अपना साथ ही रखता और कहीं बहार ले जाता |एक दिन मेरा घर खाली था और उस दिन मैं कॉलेज नहीं गया | मैं जब नंदया से फोन पर बात करते हुए अपनी स्तिथि बताई तो वो बीच में अपने कॉलेज को छोड़ चली आई मेरे घर पर | मेरे पास उसकी इस प्रतिक्रिया का कोई जवाब नहीं था | घर पर आते हमने खूब देर बात कि कुछ देर बाद ही उसने मुझे अपनी सारी समस्या बतानी चालु कर दी वो बिना नीरज के कतई भी नहीं रह पा रही | मैंने जब उसे जवाब में बतलाया कि यह मैं जनता हूँ तो उसने मुझे कोई उपाय दूंधने को कहा जिसपर उसे कहा कि वो खुद हस्तमैथुन कर अपने अंदर कि वासना को शांत कर लिया करे पर उसने इस जवाब का भी तोड़ यह कहकर दे दिया कि उसे किसी और के हाथ से मज़ा आता है | उसके बाद ही वो मुझे देख मुस्कान भरने लगे जिसपर मैंने अपनी तरफ से मनाही जाता दी |

मैं भी भला अपने अच्छे दोस्ती कि प्रेमिका के साथ यौन - सम्बन्ध कैसे जोड़ सकता था पर तभी उसने मुझे उसे हस्तमैथुन करने में मदद मांगी | मैं अब उसकी बता पर मना ना कर पाया और उसनी अपनी सलवार को निकला दिया और पहले कुछ देर अपनी चुत में ऊँगली कर लगी | कुछ देर उन्ग्लिबाजी के बाद उसने बैग में से चाहर मोटे वाले पेन निकालने और मेरे हाथ में थमाते हुए उसकी चुत में डालने को कहा | मैं भी बहुत कोशिश कि की मैं उसकी चुत को ना देखूं पर उसकी कामुक आवें और सिस्कारियां बार मेरे पेनों को उसकी चुत में घुसाते हुए देखने पर मजबूर करने लगी | मैं अब उसकी चुत के छेद को बार - बार खुलते देख उप्परसे उसकी आवाजों को सुन गरम होता चला गया | मुझे क्या हुआ मैं खुद नहीं पहचान पाया और अचनक पेनों को हटाकर मैं उसकी चुत में अपनी उंगलियां धंसाने लगा | नंदया तो पहले से गरमाई हुई थी इसीलिए वो अब मेरा चाहकर भी विरोध नहीं सकती थी | मैंने कई देर उसकी चुत में अपनी ३ - ४ ऊँगली अंदर - बाहर कि जिससे उससे अब और मज़ा आने लगा और कुछ ही देर में उसकी चुत का पानी भी निकल पड़ा | अब मैं उसके उप्पर चदता चला गया और कुछ पल में अपने दोस्त कि प्रेमिका के होंठ मेरे होंठों में समय हुए थे | मैंने उसकी कुर्ती को पूरा उप्पर उठा दिया और उसने नागे चुचों को कस- कस दबाने लगा और पूरी जोर आजमाईश करते हुए उनके अपने होंठों से चूसने लगा |

कुछ देर बाद जब मैं असली आस्स्मन पर चड चूका था और मैं उसके पुप्पर लेट गया और नीचे सपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत के छेद पर टिका दिया | अब सारा मजाक - मस्ती छोड़ मैंने एक सांस में जोर के झटके के लगाये जोकि उसकी फिसलन भरी चुत में फिसलते हुए चले गए | हम दोनों को अब एक होते हुए उस नए मौहोल में बहुत मज़ा रहा था | वो अपनी गांड को उचका - उचका कर मेरे लंड को ले रही थी जिसे कतई एक धार में ही मेरा लंड उसकी चुत में घुसे जा रहा था | आखिर में मैंने एक हाथ के साहरे से उसकी गांड को उभार दिया और पीछे से उसकी चुत को छोड़ना जार रखा और आकिरी के कुछ मिनट में मैं उसी मुद्रा में उसकी चुत के उप्पर झड भी गया | मेरे वीर्य के निकलते ही मैंने अपने लंड को नंदया के मुंह में दे दिया और वो मेरे लंड को चूसते हुए उत्तेजित हो चली और अपनी चुत को अन्धादुन्ध रफ़्तार से रगड़ने लगी और कुछ ही पल में उसने भी अपना पानी या यूँ कहो गाढ़ा रस छोड़ दिया | उस दिन के बाद जब नीरज वापस आया तो हमने अपने गुप्त चले यौन सम्बन्ध के बारे में कुछ ना बताया और अब नंदया मेरे दोस्त और मेरी यानी हम दोनों दोस्तों की माशुका है |
 
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