नरम जांघ के बीच चुत से दर्द भरी चींखें

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आज मैं आप लोगों को आपको अपने ऑफिस की सहयोगी की कहने सुनाने जा रहा हूँ जिसकी हसीं चाल और स्कर्ट के नीचे दिखती नरम जांघ को मैं अपना दिल बहलाया करता था और एक उसे ही मैंने अपने ऑफिस में ही नोच खसोटा था | वो दिखने में मस्त थी और उसका हुस्न जैसे किसी भी मर्द को अपने पीछे आवारा बनाने के लिए ही बना था | दोस्तों उसका तन तुझे मुझे खूब भा चूका था और वो मेरे रिश्ते में भी लगती थी जिसके कारण हमारी अच्छी खासी जान - पहचान भी थी | हम ना जाने एक - दूसरे को कब ही पसंद करने लगे और यह पसंद जल्दी ही हवसीपने में भी जल्दी तबदिल हो गयी | हम दोनों एक दूसरे से समय मिलते ही ऑफिस के पीछे किला करते थे जहाँ एकड उसरे का हाथ थामे ही बतिया थे | कुछ दिनों के अंतराल अब तो मैं उससे खूब चुम्मा - चाटी भी किया करता था और हमारी इस काम - क्रीडा के बारे में ऑफिस वालों को ज़रा भनक भी नहीं थी |

असली मज़ा तो मैंने एक दिन लिया जिसदिन हवस का पानी सर के उप्पर चड गया | उस दिन मैंने जोस में आ चूका था और अब वहीँ कुछ देर में उससे लिपटकर उसके बदन को मसलते हुए उसे चूम रहा था | मैंने वहीँ उसकी शर्ट को भी उतार दिया और उसके चुचे को मसलते हुए चूसने लगा | मैंने अब बस उसके चुचों को को भींचते हुए उसी पैंट को भी खोल डाला | मैंने कुछ ही देर मैं उसकी पैंटी को निकाल सूंघने लगा जिसपर उसने मुझे एक कामुक मुस्कान दी फिर मैंने उसकी चुत पर हमला बोल डाला | मैंने उसकी दोनों टांगों को खोलते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर रगड़ने लगा जिसपर वो वो इधर - उधर तडपने लगी और मैंने अपने लंड के झटकों से उसकी चुत को चोदने लग गया |

वो दर्द से तडपती हुई मेरे सामने अब चिल्ला रही थी पर शायद पर मैंने उसके मुंह में अपन मुंह डालते हुए उसकी सारी दर्द भरी चींखों को अपने अंदर समां लिया | मैं उसकी टांगो को खोल चोदने में लगा हुआ था | मैं किसी भी हालत में अब अपने लंड को पूरा उसकी चुत में पहुंचते हुए उसकी चुत को फाड देना चाहता था | मैं अपनी गाडं को मटकाते उसकी चुत पर हमला बोल रहा था | वो कुछ ही पल में दर्द से झूझती हुई खून के सतह रोने लगी थी जिसके बाद मैंने इस चुदाई की लीला को रोक डाला | अचानक उसे क्या हुआ की वो फिर से मुड में आ गयी और मेरे लंड को पुकारने लगी और खुद भी अपनी चुत को मसलते हुए तैयार होने लगी |

इस बार का मेरा अंदाज़ कुछ नया साबित हुआ और मैंने उसी पीछे को मुडाते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को चीरते हुए अपने सामने उसी चुत के छेद ला दिया और अपने लंड के हमले किया जा रह था | हम दोनों अपनी रफ़्तार की सभी हदों को पार करते हुए उतारू हो चले थे | उसका निकला हुआ खून ही जांघ पर ही सुख चूका था और अब उसकी चुत झड़ने को भी तैयार थी | पल में उसकी मलाई टपकती हुई निकलने लगी जिसे मैंने उसकी पैंटी से पोंछते हुए अपने लंड के झड़ने तक चोदता चला गया |
 
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