नमस्कार दोस्तों,
आज मैं पांडू राह चलती रांड की चुत - चुदाई की मस्तानी कहानी सुनने जा रहा हूँ जिसे मैंने सामने की चलती नहर में ही चोदा था | हुआ यूँ की मैं एक दिन किसी काम से अपने दोस्त के यहाँ जा रहा था और उस भरी दोपहर में अपने दोस्त के घर जल्दी जाने के लिए मैं एक सुनसान सड़क का इस्तेमाल किया | वहाँ से जाते समय मैंने एक मस्त हिलती हुई गांड को जाते हुए देखा मैं उसके आगे बढते हुए सिटी बजायी तो उसने मुझे हाथ दिखा दिया | मैंने सामने से देखा तो मैं पहचान गया की वो वहाँ की चलती फिरती ही रांड होगी | मैं आगे जाकर अपनी गाडी को एक सुनसान नहर के पास रोक दिया और उससे पूछा "कितने लेगी" जिपर उसने जवाब में पुरे २०० रुपल्ली ही मांग लिए |
मैं तभी उसके हाथ में १०० के दो नोट थमा दिए | ज्यादा वक्त बर्बाद ना करना तो पहले से ही मेरा उसूल रहा है तभी मैंने उसे वहीँ अंदर की नहर में ले जाया सही समझा और अंदर जाते ही मैंने उसके ब्लाउज को खोल दिया और उप्पर से उसके होठों को चूसते हुए उसकी पूरी लाली को उतार दिया | वो ज़ल्बाजी में मेरी शर्ट को उतारने लगी और सी चक्कर में मेरी शर्ट को भी फाड दिया | मैंने किसी की भी परवाह ना की और जल्दी से कुछ ही देर में उसके चुचों को अपने सामने ले आया और अपने हाथों से दबाने लगा जिसपर उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए | उसके चुचक अब मेरे होठों के करीब आ चुके थे और मैंने उसके लंबे - लंबे सांवले चूचकों को भी चूसना शुरू कर दिया |
अब हमारी रफ़्तार जैसे बढती ही जा रही थी | मैंने उसे अपनी गौद में उठाया और अंदर की तरफ ले आया वहाँ में उसके पेटीकोट को भी उतार दिया और उसकी फटती हुई फुद्दी में अपनी ऊँगली डालने लगा | दोस्तों वो तो इतनी बड़ी दत्त रांड थी की कुछ ही पल में मेरी पंचों उँगलियाँ उसकी चुत में जा रही थी और उसे कतई भी दर्द नहीं होया रहा था और अगर कुछ हो रहा था तो वो था बहुत सारा मज़ा | मैंने भी अपनी काछी को उतार दिया और मोटे लंड को उसके सामने पेश किया जिसपर उसने सख्ती से मेरे लंड को लेते हुए कुछ देर मसला ही होगा की नीचे झुककर बड़े ही मज़े में अपने मुंह में डालने लगी | दोस्तों मैं मज़े में बिलकुल तर्र हो चूका था और अब उसकी चुत मारने के लिए बड़ा ही उत्सुक होता जा रहा था |
मैंने तभी उसकी चुत पर अपने हाथों को जमाते हुए उसकी चुत में अपने को सटाया और बस सर पर कफ़न बांधते हुए बस एक तरफ से चोदता ही चला गया | मैं मज़े में इतना घुस चूका था की उसके चुचों पर अपने हथेली से थप्पड़ मार रहा था जिसपर वो भी उत्सुक होती हुई अपनी गांड को मेरी तरफ धकेल रही रही थी | इसी तरह चुदाई का वो कारनामा मैंने उस बहुत बड़ी दत्त रंद के साथ नहर में ही खेला और आखिर में अपने वीर्य को उसके मुंह में छोड़ना उपयुक्त समझा | अब जब भी मैं अपने दोस्त के यहाँ जाता हूँ तो उस राह में हर बार किसी - ना किसी दत्त रांड को पक्का चोदता हूँ |
आज मैं पांडू राह चलती रांड की चुत - चुदाई की मस्तानी कहानी सुनने जा रहा हूँ जिसे मैंने सामने की चलती नहर में ही चोदा था | हुआ यूँ की मैं एक दिन किसी काम से अपने दोस्त के यहाँ जा रहा था और उस भरी दोपहर में अपने दोस्त के घर जल्दी जाने के लिए मैं एक सुनसान सड़क का इस्तेमाल किया | वहाँ से जाते समय मैंने एक मस्त हिलती हुई गांड को जाते हुए देखा मैं उसके आगे बढते हुए सिटी बजायी तो उसने मुझे हाथ दिखा दिया | मैंने सामने से देखा तो मैं पहचान गया की वो वहाँ की चलती फिरती ही रांड होगी | मैं आगे जाकर अपनी गाडी को एक सुनसान नहर के पास रोक दिया और उससे पूछा "कितने लेगी" जिपर उसने जवाब में पुरे २०० रुपल्ली ही मांग लिए |
मैं तभी उसके हाथ में १०० के दो नोट थमा दिए | ज्यादा वक्त बर्बाद ना करना तो पहले से ही मेरा उसूल रहा है तभी मैंने उसे वहीँ अंदर की नहर में ले जाया सही समझा और अंदर जाते ही मैंने उसके ब्लाउज को खोल दिया और उप्पर से उसके होठों को चूसते हुए उसकी पूरी लाली को उतार दिया | वो ज़ल्बाजी में मेरी शर्ट को उतारने लगी और सी चक्कर में मेरी शर्ट को भी फाड दिया | मैंने किसी की भी परवाह ना की और जल्दी से कुछ ही देर में उसके चुचों को अपने सामने ले आया और अपने हाथों से दबाने लगा जिसपर उसने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए | उसके चुचक अब मेरे होठों के करीब आ चुके थे और मैंने उसके लंबे - लंबे सांवले चूचकों को भी चूसना शुरू कर दिया |
अब हमारी रफ़्तार जैसे बढती ही जा रही थी | मैंने उसे अपनी गौद में उठाया और अंदर की तरफ ले आया वहाँ में उसके पेटीकोट को भी उतार दिया और उसकी फटती हुई फुद्दी में अपनी ऊँगली डालने लगा | दोस्तों वो तो इतनी बड़ी दत्त रांड थी की कुछ ही पल में मेरी पंचों उँगलियाँ उसकी चुत में जा रही थी और उसे कतई भी दर्द नहीं होया रहा था और अगर कुछ हो रहा था तो वो था बहुत सारा मज़ा | मैंने भी अपनी काछी को उतार दिया और मोटे लंड को उसके सामने पेश किया जिसपर उसने सख्ती से मेरे लंड को लेते हुए कुछ देर मसला ही होगा की नीचे झुककर बड़े ही मज़े में अपने मुंह में डालने लगी | दोस्तों मैं मज़े में बिलकुल तर्र हो चूका था और अब उसकी चुत मारने के लिए बड़ा ही उत्सुक होता जा रहा था |
मैंने तभी उसकी चुत पर अपने हाथों को जमाते हुए उसकी चुत में अपने को सटाया और बस सर पर कफ़न बांधते हुए बस एक तरफ से चोदता ही चला गया | मैं मज़े में इतना घुस चूका था की उसके चुचों पर अपने हथेली से थप्पड़ मार रहा था जिसपर वो भी उत्सुक होती हुई अपनी गांड को मेरी तरफ धकेल रही रही थी | इसी तरह चुदाई का वो कारनामा मैंने उस बहुत बड़ी दत्त रंद के साथ नहर में ही खेला और आखिर में अपने वीर्य को उसके मुंह में छोड़ना उपयुक्त समझा | अब जब भी मैं अपने दोस्त के यहाँ जाता हूँ तो उस राह में हर बार किसी - ना किसी दत्त रांड को पक्का चोदता हूँ |