निशंका की चुत का बना आशिक

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नमस्कार दोस्तों,

मेरा नाम शिवराज पाण्डेय है और आज मैं आपको अपनी एक रखैल की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसकी चुदाई को मैंने अपनी रोज का धंधा बना लिया था | उसकी चुदाई किये बगैर जैसे मेरा अब दिल ही नहीं मना करता था | दोस्तों उसका निशंक था और वो मेरे ही मौहल्ले की मस्त चुदवाने लड़कियों में से एक थी जिसके गांड हमेशा ही चुदवाती हुई लड़कियों की तरह सूजी हुई रहा करती थी | मैंने ऐसे ही उसकी चुत का शौक नहीं पाल रखा था दरसल बात यूँ हुई थी की मैं अचानक से ही उसकी चुत और उसकी मोटी तगड़ी गांड का दीवाना जो हो चूका था | मैंने पहली बार जब उससे बात की थी तो समझ गया था की मैं उसकी ही चुदाई करने के लिए जन्मा हूँ और उसी के बाद से मैं कभी उसके चुचों को छू लेता तो कभी अपनी उँगलियों को उनकी जाँघों पर फिराने लगता |

एक रोज मैंने निशंक को जब अपने ही घर में समय देखकर बुलाया तो वो मस्त होकर मेरे अपनी केवल ब्रा और पैंटी में ही आ गया जिसपर मेरे भी हाथ उसकी चुत पर रूंधने से ना रुके और मैंने कभी उसकी चुत पर उंगलियां तो कभी उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया | कुछ देर में मैंने अब उसके होठों को अपने होठों में भरके चूसने लगा | मैंने उससे लिपटते हुए उसके चुचों को मसलते हुए उसकी पैंटी को खोलने और उप्पर से ब्रा को उतारते हुए मैंने उसके मोटे चुचों को मसलते हुए अपने मुंह में दबा - दबा के पीने चालू रखा | अब मैंने जल्दी से अपने मुंह को उसकी चुत के भाग पर रख उसकी चुत को अपनी जीभ से सहलाने लगा और फिर अपनी जीभ से उसकी गुदगुदी चुत पर फिराते हुए चाटने लगा |

मैं अब उसके चुद्तों को कसके थप्पड़ देते हुए उसे गांड उभार के लिटा दिया और चाटने लगा | मैं उसमें ऊँगली कर अपने मुंह से साफ़ करने लगा जिसपर वो अपनी हंसी लेती हुई हुई सिकारियां ले रही थी | कुछ देर बाद मैंने टांगों को खोलते हुए अपने लंड को उसकी चुत के उप्पर रगड़ने लगा जिससे मेरे लंड ने भी भी तन्ना शुरू कर दिया और एक झटके से अपने लंड को उनकी चुत डाल आगे - पीछे करने लगा | मैंने उसकी चुत पर थूक गिराते हुए वहाँ लिटाकर जमकर चोदा | मैंने कुछ ही पल में उसे घोड़ी बना दिया और उनके मोटे चूतडों को चुमते हुए मैंने उसकी चुत मारनी शुरू कर दी जिसपर गन्दी तरह से चींखें भर रही थी और मैं साथ ही उसकी गुदगुदी चुत में ऊँगली भी किये जा रहा था |

मैंने अब उसकी चुत में घोड़ी बने हुए ही काफी देर अपने लंड को आगे - पीछे किये और बाद में उसकी चिकनी भरी चुत में अपने लंड को डालने लगा | मैंने पहले ही उसकी चुत में अपने मुठ को छोड़ चूका था और अब उसकी चुत में भी चुदाई के आलम को शुरू कर चूका था | अब बुरी तरह थके होने के बावजूद मैंने उसकी चुदाई को बेरह्मियों की तरह चोदा और फिर मैं उसकी पीठ को चूमता हुआ करीब एक घन्टे पर वहीँ लेट गया और उसकी चुत के पानी को चाटता हुआ उसके मुंह में भी लंड का वीर्य छोड दिया | उस दिन के बाद से ही मैंने उसकी रोज - रोज चुदाई करना चालू कर दिया क्यूंकि मैं पहली चुदाई से उसकी चुत का आशिक बन बैठा था और उसे अपनी रखैल बना बैठा |
 
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