पहले बार सुनसान गाडी में सहयोग

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं प्रियमदा नाम की लड़की की मस्तानी कहानी सुनाने जा रहा हूँ और पुरे तहेदिल से मैं उम्मीद करूँगा की आपको मेरी और प्रियामादा की चुदाई की कथा अवशे की पसंद आयगी | दोस्तों मेरे उससे जिस्मानी तालुकात कब बन पड़े यह तो मुझे नहीं पता पर मैं इतना जानता हूँ की कुछ सालों पहले हम बहुत ही अच्छे दोस्त हुआ करते थे | होता था यूँ की हमारा एक दूसरे के अलावा कोई और दोस्त नहीं था इसीलिए हम एक दूसरे से ही अपनी सारी बातों को आपस में बांटा करते थे | हमारी रिश्ता दिन पर दिन एक दूसरे से गहरा होता चला गया और हम धीरे - धीरे अब एक दूसरे के शारीरिक भाव को महसूस करने लगे |

हम जब भी एक दूसरे को आपस में मस्ती करते हुए छू देते तो पुरे तन - मन में अजब सी तरंगें उछल पड़ती थी | अब जब हमारे इस एहसास का असल का मतलब समझ आने लगा तो एक दिन इस मज़े में डूबता हुए जब एक दूसरे को छू रहे थे तो मैं रुका नहीं | उस दिन हम किसी खास बात के लिए शहर से दूर आये हुए थे जहाँ कोई नहीं था और वहाँ बीच में गाडी रोक उससे शारीरिक आभास ले रहा था | मैंने कुछ ही देर में अंग्रेजी फिल्मों के हीरो की तरह उसके होंठों को अपने होंठों में दबोच लिया और कुछ देर बाद उसकी कुर्ती के उठाते हुए उसकी चूचियों को दबाते हुए पीने लगा जिसपर वो अब इस अनजान से सुख को अपनी आँख बंद कर मज़े लेती चली गयी |

जब मुझे वो वासना की आग में पूरी जाली हुई दिखने लगी तो मैंने उसकी नीचे के पहनी हुई सलवार के नाडे को भी खोल नीचे को उतार दिया | मैंने अपनी उँगलियों को उसकी चुत में अंदर - बहार देनी शुरू कर दिया जिसपर उसकी मस्त वाली आः अह्हहः निकलने लगी थी | कुछ देर बाद ही मैं ज़ोरदार तरीके से उसकी चुत में ऊँगली करने लगा जिससे कुछ ही देर में उसकी मस्त वाली भूरी चुत अपना पानी छोड़ गीली हो चली | जब मैं उसकी चुत को चोदने के लिए बेचैन हुआ तो उसे वहीँ अपनी गाडी की लंबी चौड़ी सीट पर लिटा दिया और अपना लंड का सुपाडा उसकी चूत के द्वार पर टिकाकर उससे बोला की शायद यही अंजाम होना था हमारी इतनी अच्छी दोस्ती का |

अब मैंने अपने लंड के धक्कों को उसकी चुत में मारा तो उसके मुंह से जोरों की चींख निकलने लगी और उसकी आँख से आंसू भी भरकर निकल रहे थे | मैंने अब अपने लंड को उसकी चुत से निकाला क्यूंकि उसे मेरे लंड के प्रहार से कुछ ज्यादा ही दर्द हो रहा था | मैंने देखा की मेरी गाडी की सीट भी खूनम - खान हो चुकी थी जिसे मैंने चुपके से साफ़ किया और जब वो कुछ देर बाद शांत हो चली तो दम लगाकर फिर से उसकी चुत में अपने नए - नवेले लंड को उसकी चुत के भीतर देना शुर कर दिया | हम उस सुनसान रोड पर यूँही अपनी गाडी में शाम तक चुदाई करते रहे जिससे पूरी गाडी ही हिल रही थी और आखिर में मेरे लंड की पिचकारी भी छूट पड़ी |
 
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