पहले ही दिन सब कुछ कर लिया

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Kamukta, antarvasna मैंने कुछ वर्ष दिल्ली में जॉब की लेकिन अब मैं अपने शहर चंडीगढ़ में आ चुका हूं और चंडीगढ़ में आकर मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मेरे साथ मेरा परिवार भी है और मैं अब अपने परिवार के साथ समय बिता सकता हूं। मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि मैं करीब पांच वर्ष से दिल्ली में रहा था और दिल्ली में मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी लेकिन जब मुझे अपने परिवार की कमी महसूस होने लगी तो मैंने सोचा कि मुझे अब चंडीगढ़ चले जाना चाहिए, मैंने चंडीगढ़ में ही जॉब के लिए काफी ट्राई किया लेकिन कहीं भी मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ और फिर काफी समय बाद एक कंपनी में मेरा सिलेक्शन हो गया उस कंपनी ने मुझे चंडीगढ़ में भेज दिया और चंडीगढ़ का सारा काम मैं संभालने लगा मैं बहुत खुश था क्योंकि मुझे इस बात की खुशी थी कि मैं अब अपने परिवार के साथ समय बिता पाऊंगा और इसी खुशी के चलते मैंने उस रात अपने दोस्तों को पार्टी दी थी और उसके दो दिन बाद मैं भी चंडीगढ़ चला गया।

जब मैं चंडीगढ़ पहुंच गया तो वहां कुछ ही दिनों बाद मैंने अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया और जब मैंने अपना ऑफिस ज्वाइन किया तो मैं अपने काम में बिजी हो गया लेकिन मैं अपने मम्मी पापा को समय देपा ता था, मेरा छोटा भाई भी बहुत खुश था वह कहने लगा भैया आपने बहुत अच्छा किया जो जल्दी से चंडीगढ़ आ गए। एक दिन मैं अपने घर पर ही था उस दिन मैं अपना सामान ठीक कर रहा था तभी मैंने देखा कि घर में शादी का कार्ड है मुझे समझ नहीं आया कि यह किसका कार्ड है, मैंने जब मम्मी से पूछा की मम्मी यह शादी का कार्ड किसका है तो मम्मी कहने लगी अरे बेटा सॉरी मैं तुम्हें बताना ही भूल गई यह कार्ड कुछ दिनों पहले मुझे किसी कोरियर वाले ने दिया था लेकिन मेरे दिमाग से यह बात निकल गई, मैंने जब उस कार्ड में नाम पड़ा तो वह मेरे दोस्त की शादी का कार्ड था मेरे दोस्त का नाम सुमित है मुझे नहीं पता था कि सुमित की शादी होने वाली है सुमित भी अपने काम में बहुत बिजी रहता है और मैंने उसी वक्त सुमित को फोन कर दिया और उसे कहा सुमित तुम्हारी शादी होने वाली है और तुमने मुझे बताया भी नहीं, सुमित कहने लगा यार तुम्हें तो पता ही है कि मैं अपने काम में कितना व्यस्त रहता हूं मेरे पास समय ही नहीं रहता है लेकिन मैंने तुम्हें शादी का कार्ड भिजवा दिया था मैंने सुमित से कहा दोस्त मम्मी को तुम्हारी शादी का कार्ड याद ही नहीं रहा और उन्होंने घर की मेज पर रखा हुआ था वह तो मैं अपना कुछ सामान देख रहा था तो तुम्हारा कार्ड मेरे हाथ लगा तब जाकर मुझे मालूम पड़ा कि तुम्हारी शादी होने वाली है।

सुमित मुझे कहने लगा देखो अंकित मुझे कोई बहाना नहीं सुनना और तुम्हें मेरी शादी में आना ही पड़ेगा मैंने सुमित से कहा ठीक है दोस्त मैं तुम्हारी शादी में आ जाऊंगा, सुमित कहने लगा मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा और जब तुम घर आ जाओगे तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी मैंने सुमित से कहा ठीक है मुझे अब अपने ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ेगी वह कहने लगा तुम अपने ऑफिस से छुट्टी ले लेना लेकिन मैं बहाना नहीं सुनना चाहता और यह कहकर मैंने फोन रख दिया। मैंने अपने ऑफिस में छुट्टी के लिए अप्लाई कर दिया और उसके बाद मुझे ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी मिल गई मैं सुमित की शादी में दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गया और जैसे ही मैं दिल्ली पहुंचा तो दिल्ली पहुंचते ही मैं सुमित के घर चला गया फिर मुझे मालूम पड़ा सुमित कहीं गया हुआ था लेकिन उसकी मम्मी मुझे पहचानती थी क्योंकि एक आद बार मैं सुमित के घर पर गया था इसलिए उन्होंने मुझे कहा बेटा तुम बैठ जाओ। मैं सुमित के घर पर ही बैठ गया मैं जब वहां बैठा हुआ था तो वहां पर काफी लोग आ जा रहे थे उसी बीच मेरी नजर एक सुंदर सी लड़की पर पड़ी उसको देख कर मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं उसे देखता ही रहूं मेरे नजरे उससे हटने का नाम ही नहीं ले रही थी तभी पीछे से एक और लड़की आई उसने उस लड़की को आवाज देते हुए कहा सिमरन तुम कहां तेजी से दौड़ रही हो? मैं मुस्कुराने लगा सिमरन की नजर मुझ पर पड़ी तो वह भी मुझे देखने लगी मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं सिमरन को काफी पहले से जानता हूं उसकी बड़ी बड़ी झील सी आंखें और उसका मुस्कुराना जैसे मेरे दिल पर पूरी तरीके से वार कर गया और मैं सिर्फ उसे ही देखता रहा, सिमरन तो चली गई लेकिन मेरे दिमाग में सिमरन की तस्वीर छप चुकी थी और तब तक सुमित भी आ गया सुमित जैसे ही आया तो वह मुझे कहने लगा कि तुम आ गए।

मैंने सुमित को गले लगा लिया और काफी समय बाद हम दोनों एक दूसरे को मिले थे तो सुमित कहने लगा मैं तुम्हारा इंतजार बेसब्री से कर रहा था मैंने सुमित से कहा तुम कहां चले गए थे, सुमित कहने लगा मुझे कुछ काम से जाना था तो मैं चला गया। सुमित मुझे कहने लगा क्या तुमने कुछ नाश्ता वास्ता किया, मैंने सुमित से कहा नहीं मेरी इच्छा नहीं हो रही है सुमित मुझे कहने लगा तुम कुछ खा लो सुमित ने सिमरन को आवाज देते हुए कहा दो प्लेट बाहर से खाना ले आना क्योंकि उस दिन घर में काफी भीड़ थी और हलवाई आए हुए थे, सिमरन कहने लगी जी भैया मैं अभी ले आती हूं जैसे ही सिमरन घर से बाहर नाश्ता लेने के लिए गयी तो मैंने उससे पूछा यह लड़की कौन है तो सुमित मुझे कहने लगा यह मेरी बुआ की लड़की है और इसका नाम सिमरन है। मैं तो चाहता था कि मैं सिमरन से ही बात करूं लेकिन सिमरन से मेरी बात करने की हिम्मत ही नहीं हो पाई और जब वह नाश्ता ले आई तो वह मुझे कहने लगी क्या आप भैया के दोस्त हैं?

सुमित और मैं साथ में बैठे हुए थे सुमित उससे कहने लगा इसका नाम अंकित है और यह मेरा ही दोस्त है सिमरन कहने लगी भैया लेकिन आपने अपने दोस्त से मुझे मिलाया नहीं। सिमरन का इस प्रकार से पूछना मुझे थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन मुझे पूरा यकीन हो चुका था कि सिमरन के दिल में भी मेरे लिए कुछ है और मैं उसे देख कर मुस्कुराने लगा उसने भी मुझे एक प्यारी सी स्माइल दी और उसके बाद वह वहां से चली गई। सुमित मुझे कहने लगा आराम करना है तो तुम आराम कर लो, मैंने सुमित से कहा मैं कोई आराम करने नहीं आया हूं तुम मुझे बताओ घर में क्या काम है मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं सुमित कहने लगा तुम टेंशन मत लो मैं सारा काम संभाल लूंगा लेकिन मुझे तो मेहमान बनकर नहीं रहना था इसलिए मैं घर का काम देखने लगा जब भी सिमरन मेरे पास से गुजरती तो वह मुझे देख कर मुस्कुरा देती उसके चेहरे पर एक बड़ी ही प्यारी सी मुस्कान होती मैं उसे देख कर बहुत खुश हो जाता और आखिरकार मैंने सिमरन से बात कर ही ली, जब सिमरन से मेरी बात हुई तो वह शर्मा रही थी लेकिन उसने भी मुझे अपने बारे में सब कुछ बता दिया और कहा इससे पहले उसका एक बॉयफ्रेंड था लेकिन अब उसका ब्रेकअप हो चुका है उसकी इस बात से मैं उस पर पूरी तरीके से फिदा हो चुका था और बहुत ज्यादा उससे प्रभावित भी था क्योंकि उसने मुझे सब कुछ सच बता दिया था और शायद यही कारण था कि मैं सिमरन से दिल ही दिल प्यार करने लगा था, सिमरन भी मुझसे प्यार करने लगी थी और यह पहली नजर का ही प्यार था हम दोनों को मिले हुए सिर्फ एक दिन हुआ था लेकिन एक दिन में हम दोनों के बीच काफी बात चीत हो गई। मैं जब भी सिमरन को देखता तो उसे देखकर मुझे ऐसा लगता है जैसे वह मेरे सपनों की राजकुमारी है, उसके फिगर को देखकर मैं उस पर पूरी तरीके से फिदा हो गया था।

पहले ही दिन हम दोनों की बात इतनी ज्यादा हो चुकी थी कि वह भी शायद मेरे बिना नहीं रह पा रही थी वह भी मुझसे मिलने का बहाना देख रही थी। उस दिन हम दोनों ने मिलने का फैसला कर लिया और हम दोनों चोरी छुपे सुमित के कमरे में चले गए। जब हम दोनों बैठे हुए थे तो हम दोनों बड़े अच्छे से बात कर रहे थे लेकिन मेरी नजर उसकी पतली कमर पर थी। मैंने जब उसकी पतली कमर पर हाथ फेरा तो वह मुझे कहने लगी मुझे गुदगुदी हो रही है लेकिन उसे बहुत मजा भी आ रहा था, मैं उसकी गोरी कमर को अपने हाथों से सहलाता उसके साथ मैंने काफी देर तक ऐसा ही किया। जब मैंने उसके बड़े स्तनों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया तो उसे भी बहुत मजा आने लगा मुझे भी बहुत मजा आता मैं काफी देर तक उसके बड़े स्तनों को दबाता रहा। जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो वह पूरी तरह नंगी थी उसके नंगे बदन को मैंने बड़े अच्छे से चाटा मैं काफी देर तक उसके होठों का रसपान करता रहा मैंने उसके होठों से भी खून निकाल दिया था। उसके स्तनों से मैंने खून निकाल लिया मैं जब उसके निप्पल को अपने मुंह में लेकर चुसता तो उसे बढा ही मजा आता।

वह मुझे कहती मुझे बहुत मजा आ रहा है मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी योनि पर रगडना शुरू किया तो उसकी योनि से पानी निकलने लगा वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई उसने मुझे कसकर पकड़ लिया। मैंने जब उसके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो उसकी योनि में जैसे ही मेरा लंड प्रवेश हुआ तो उसे बहुत ज्यादा दर्द महसूस होने लगा वह चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी वह जोर से चिल्ला रही थी। मैंने उसके मुंह पर हाथ रखा और उसे कहा तुम चिल्लाओ मत लेकिन वह बड़ी तेजी से चिल्ला रही थी, मैंने उसकी योनि इतनी देर तक मारी उसके बुरे हाल हो चुके थे जैसे ही मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह कहने लगी तुमने मेरी हालत खराब कर दी। मैंने उसे कहा क्या तुम्हें अच्छा लगा, वह कहने लगी ना जाने मेरे दिल में तुम्हें देखकर ऐसा क्या हुआ जो पहली ही मुलाकात में मैंने तुम्हारे साथ यह सब कर लिया और उसके बाद मैंने सुमित की शादी को बहुत ही अच्छे से इंजॉय किया, सिमरन से मेरी बात होती रहती है।
 
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