पेड़ की डाली पर नंगी खड़ी पद्दो

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नमस्कार दोस्तों,

मैं अक्षय कुमार आपको सलाम ठोकता हूँ आज आपको पद्दो को की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ और यह भी जानता हूँ आपकी इस गौण की छोरी की कहनी बहुत ही पसंद आयगी | मैं उसकी चुत को पूरी तरह अपने लंड का गुलाम बना ही लिया | मैं जब से अपने गॉंव में पल - बढ़ रहा हूँ तब से उसके लड़की को सब पद्दो ही बुलाते हैं क्यूंकि वो हमेशा ही पाद बहुत मारा करती थी और शायद इसी वजह से वो मोटी - मोटी गांड की हक़दार भी थी | जो भी हो मेरा तो बस यह ही एक आखिरी मकसद था किसी भी तरह में उसकी गांड पर अपना हक जमा सकूँ जो मैंने आखिर तक कर ही डाला | हम बचपन से ही अपने मौहल्ले नहीं तो कभी खेतों या बाघों में खेला करते और उसी वक्त के दौरान मुझे उसकी गांड के उभारों और कभी अधनंगे चुचों को देखने का मौका भी मिल जाया करता था |मैं सच कहूँ तो मैं सभी के साथ पद्दो के तन को देखने के लिएय खेला करता था |

एक दिन हम अपने बाघ में यूँ भाग - भाग कर लुक्का - छुपी खेल रहे थे और एक पारी में पद्दो और मैं एक साथ अपनी बिजली के पीछे ही जाकर छिप गए | मैंने चुप - छुपा कर सभी को देखा की वो थक - हारकर वापस जा रहे थे पर मैंने इस बारे में उसे कुछ ना बताया की क्यूंकि मैं भी पद्दो के साथ अकेले में वक्त चाहता था | अचानक कुछ देर बाद जब हम वहाँ से बहार नीकले थे तो देखा की वहाँ कोई ना था तभी मैंने जानबुझा कर उनके वापस आने का इन्तेज़ार करने का बहन बनाया और हम वहीँ एक आरामदए पेड़ पर चढ़कर करीब - करीब बैठ गए | वहीँ मैं पद्दो को डरावनी कहानी सुनाने लगा जिसपर वो डरकर मुझे चिपकने लगी और मैंने भी मौका मारते हुए उसके बिलकुल छूटे हुए अपनी तन की गर्मी का एहसास दिला दिया | ब तो उसे भी कुछ - कुछ होने लगा और वो भी अपने हाथों को मेरे उप्पर रख बैठ गयी | मैं दूसरी तरफ से उसकी जाँघों को सहला रहा था तभी उसने मेरी तरफ मुड़ते हुए कहा "जो भी करना है बब्बा . . जल्दी करो वरना वो लोग आ जाएँगे " |

वो पल मेरे लिए सबसे हसीन था और मैंने उसी वक्त उसकी जाँघों पर अपनी हथेली को जड़ते हुए उसकी होठों को चूसने लगा | वो शर्मा जाये रही थी और मैंने उसकी कुर्ती को उठाकर कुछ देर उसके चुचों को चूसा और फिर उसकी सलवार का नाडा भी खोल डाला और वहीँ पेड़ पर कुछ आराम से अपनी जाँघों पर हल्का सा लिटा लिया | मैने उसकी पैंटी को उघाड़ते हुए उसकी चुत में अपनी जीभ रखकर काफी देर घुमाई और फिर जब मैं बिलकुल तन गया तो मैंने उसे वहीँ पेड़ एक - दो डाली को पकडाते हुए खड़ा किया और पीछे से उसकी गांड की तरफ से उसकी चुत में अपने को डालना शुरू कर दिया | अब कुछ ही देर में मेरी रफ़्तार आसमान चुने लगी और मैं पागलों की तरह डाली पर खड़े - खड़े उसकी चुत को छोड रहा था | मेरे इतने खतरनाक प्रहारों से पूरा पेड़ हिल रहा था और आखिर मैं मैं जब झाडें को हुआ तो मैंने वहीं से अपने लंड को निकाल पूरा मुठ नीचे को गिरा दिया |
 
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