प्यास भुजायी काले सीमेंट के मजदूर से

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नमस्कार दोस्तों,

मैं रीना माथुर आज आपको एक मजदूर से चुदवाए जाने वाली अपनी अन्कोही कहानी सुनाने जा रहा हूँ | मैं यूँ तो इतनी लंड की भूकी भी नहीं हूँ की मुझे जगह - जगह जाकर किसी अपनी चुत को चुदवाने के लिए भीक मंगनी पड़े | बस दोस्तों कभी हमारे हालत ही हमारा साथ नहीं देते | मैंने यूँ अपनी पूरी जिंदगी में कभी किसी लडको अपने आप को छूने नहीं दिया पर अंदर जब मेरे अंदर यौवन काल के कारण चुदाई के अंगारे उठने लगे तो मैं भी अपने आप रोक ना पाती पर जैसे तैसे अपना सब्र बंधाती थी जोकि एक दिन किसी मजदूर के हाथों टूट गया | मेरा मन जब भी चुदाई का करता था तो मैं अक्सर ही अपनी पैंटी को निकालकर अपनी चुत की उपरी खाल को रगड़ने लगती थी |

ऐसा करने से मुझे राहत की सांस मिलती परा जब ज्यादा ही हो जाता तो मैं अपनी चुत में कुछ उँगलियाँ भी डाल लेती और सिसकियाँ लेती हुई तब अंदर - बहार करती जब तक मेरी चुत का पानी नहीं निकल जाया करता | मैं कई बार बाथरूम में नहाते समय अपनी चुत में कई नकली लंडों को भी डाला और अपनी प्यास को भुजा लिया करती | मेरी असली प्यास तो अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही थी और दिन - प्रति दिन मुझे सभी सेक्स के खिलोने जैसे तुच्छ लगने लगे | मुझे अब ज़रूरत थी तो एक हट्टे - कट्टे लंड की जोकि मेरी चुत का तबादला ही निकाल दे और मुझे समझ नहीं आ रह था की मैं ऐसा मर्द कहाँ से दूंध के लाऊं | एक रोज रात को जब मेरी बेचैनी ने सारी हदें तोड़ दी मैं पागल सी होने लगी | मैंने अपनी चुत हर चीज़ डाल ली पर मेरी प्यास अभी भी नहीं भुजी |

अचानक से मेरी नज़र सामने के घर पर काम चल रहे मजदूरों की पड़ी जिनके नीचे वो आराम किया करते थे | अब मैंने भी अपनी चुत का बलात्कार करवाने की ठान ही ली थी | मैं रात को चुप से गयी और मस्त में और मैंने उप्पर बस हल्का सा कुरता - पजाम फन रखा था | वहन पहुंचकर मैंने देखा कि एक मजदूर ही वहाँ आराम कर रहा था और मुझे देख हैरान रह गया | उसकी जीभ से अब जैसे लाव टपक रही थी और वो फ़ौरन उठा और मुझे अपनी गौद में उठाकर अंदर के एक कमरे में गया | वहाँ ले जाते ही वो मेरे बाजु में बैठ गया और मेरी सलवार को उतार कर मेरी जाँघों पर अपनी उँगलियों को लहराने लगा | मैं भी उत्तेजित हो रही थी और उसकी सभी हरकतों पर अनजान पगली बनकर लेटी रही |

वो अब आगे बढ़ता हुआ झुककर मेरी गांड सूंघने लगा और मेरी पैंटी को उतार अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को दबाने लगा | मेरी मज़े में अब केवल सिसकियाँ ही निकल रही थी और अचानक उसने मेरी कुर्ती को उतार दिया और मेरे गोरे मोटे चुचों के साथ खिलवाड़ करने लगा | वो मेरे दोनों निप्पल को बारी - बारी चूस रहा था और मेरे होठों पर अपनी उँगलियों की तेज धार चला रहा थी | मैंने भी अब सब कुछ भूल उठकर उसके लंड को निकला और सीमेंट जैसे मजबूत मोटे काले लंड को अपने हाथ में लेकर मसलने लगी जिसपर उसने मुझे लंड को मुंह में लेने के लिए कहा | मैंने अब लंड को मुंह में ले ही रही थी कि उसका लंड मेरे मुंह में आ ही नहीं रहा था और वो ज़बरदस्ती लंड को मेरे मुंह में अंदर - बहार किये जा रहा था | कुछ देर बाद उसने मेरी गुलबी चुत को देख मुस्कराहट दी और मुझे उल्टा फ़र्ज़ पर चुचों के बल लिटा दिया |

उसने मेरी जांघ को अलग ही उठा दिया और पीछे से मेरी चुत पर उस डरावने लंड को टिका दिया और दे मारा गन्दा सा धक्का | हायययी दैय्य्या. .अहहहहा अह्हह्हह करके मेरी सिसकियाँ निकले जा रही थी और वो बेरहम मेरी चुत को चोदे जा रहा था | कुछ देर के दर्द के बाद मैं भी अपनी चुत को चुदवाने के लिए अपनी गांड को उसके लंड पर कुद्काती रही और उसने भी सुबह तक कभी कुतिया बनाकर तो कभी अपनी बाहों में लेकर मेरी चुत को चोद - चोद के सुजा दिया और करीब मेरे बदन का आधा खून मेरी चुत को फाडकर ही निकाल दिया | उस दिन के बाद से मुझे अपनी प्यास भुजाने का तालाब मिल चूका है | अब मैं कभी भी चुपके रात को वहीँ चली जाती हूँ और अब उनमें से कोई भी एक बारी - बारी मुझे चोदता है
 
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