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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम संदीप हैं और मैं २२ साल का हूँ. मैं चंडीगढ़ से हूँ और मेरी हाईट ५.९ हैं. दिखने में मैं ठीक ठीक ही हूँ. आज मैं आप को अपनी एक हॉट कहानी के बारे में बताने जा रहा हूँ. यह हॉट कहानी मेरी जिन्दगी का एक सच्चा किस्सा हैं. हाँ अपनी प्राइवसी के लिए मैंने नाम वगेरह थोडा इधर उधर किया हैं और सेक्स का मसाला थोडा ज्यादा यूज़ किया हैं ताकि आप लोगों को यह हॉट कहानी पढने में मजा आये. तो चलियें आप को बताऊ आंटी की चूत चुदाई स्टोरी.

तो दोस्तों यह हॉट कहानी उस समय की हैं जब मैं सेकंड इयर में था और हमारे घर के पास एक फेमली रहने के लिए आई. उस फेमली में ५ लोग थे, अंकल आंटी और उनके तिन बच्चे. आंटी करीब ३० की थी और अंकल जी करीब ३६ के थे. उनके बच्चे अभी सब के सब ७-८ साल के करीब के ही थे. आंटी बड़ी मादक लगती थी उसके मोटे कुल्हें साडी को फाड़ के जैसे लंड को खड़ा करने लगते थे. मैं जब भी चांस मिलता आंटी को मन भर के देख लेता था. आंटी ने भी मुझे नोटिस किया और एक दिन वो मुझे देख के हंस भी पड़ी. मैंने सोचा की बेटा हंसी तो फंसी समझ.

हँसी तो फंसी

फिर एक दिन मैंने हिम्मत कर के आंटी को आँख मार दी. आंटी उस दिन भी मुझे कुछ नहीं बोली और होंठो में ही हंस पड़ी, फिर तो मैं और भी खुल गया. मैं अक्सर आंटी को इशारे करता था. पहले तो वो इशारों का जवाब सिर्फ हंस के देती थी. लेकिन फिर वो भी मुझे फ़्लाइंग किस वगेरह देने लगी थी. एक दिन मैंने अपना नम्बर लिख के आंटी की और फेंक दिया. उसी शाम को आंटी ने पहली बार मुझे कॉल किया. क्या मस्त आवाज था साली का. जब अंकल घर नहीं होते थे तो वो मुझ से फोन सेक्स करने लगी थी. आंटी मुझे फोन पर ही वीर्य निकलवा देती थी. उसकी मादक सिसकियाँ किसी पोर्नस्टार से कम नहीं थी. कभी कभी वो रोलप्ले वगेरह भी करवा देती थी. मैं हमेंशा उसे कहता की असल में करते हैं. तो वो कहती की मेरा पति बहुत ख़राब हैं उसे पता चला तो मार देगा. उसने कहा की जब मौका आएगा तो वो मुझे सब कुछ जरुर करने देगी.

आया दिन आंटी की चूत लेने का

पुरे तिन महीने के बाद वो मौका आया. उसका पति एक दिन कई गया हुआ था और देर रात वापस आनेवाला था. आंटी ने मुझे कहा की दोपहर को आँख बचा के उसके घर आ जाऊं.

दोपहरी में मैं चुपके से उसके घर में छत के रस्ते से घुसा. आंटी के बच्चे एक कमरे में सो रहे थे. आंटी मुझे ले के अपने बेडरूम में गई. मैंने उसे बेड में फेंका और खुद उसके ऊपर चढ़ गया. आंटी के पेट पर मेरा लंड टचहोने लगा.

आंटी ने कहा, आज नहीं छोडूंगी तुझे.

मैंने कहा, मैं भी आज आप की चूत खा जाऊँगा. बहुत दिन से सिर्फ फोन पर चाटने को मिलती थी आज असल में चाटूंगा.

यह सुनते ही आंटी ने अपनी साड़ी को ऊपर उठा दिया. अंडर पेटीकोट का भाग था. मैंने सब कपडे हटा दिए तो मुझे आंटी की हलके बाल वाली चूत नजर आई. मैंने अपना मुहं अंडर कर दिया और चूत को जोर जोर से चाटने लगा. आंटी के मुहं से आह आह्ह निकल पड़ा.

आंटी ने अब मेरे लौड़े को मुठ्ठी में दबाया और वो ६९ पोजीशन में आ गई. ज़िप खोल के उसने लौड़े को बहार निकाल लिया और उसे चूसने लगी. पुरे लौड़े को उसने मुहं में भर रखा था और निचे के टट्टे वो हिला रही थी. मुझे यह सब बहुत ही मादक लग रहा था. मैं मजे लेते हुए आंटी की खारी चूत चाटता रहा. आंटी ने लौड़े को अब जोर जोर से चाटना चालु कर दिया. आंटी बहुत ही चुदासी हो गई थी और वो लंड को बड़े मजे से चाटती जा रही थी. मेरा तो इतना टाईट हो गया था की पूछे ही मत. अगर मैं लंड आंटी के मुहं से नहीं निकालता तो वीर्य निकल पड़ता.

आंटी उठी और उसने अपने सारे कपड़े खोल दिए.

मैंने कहा, आंटी पीछे घुमोना आप की गांड देखनी हैं.

धत, पागल गांड भी देखने की चीज हैं क्या.

आंटी, गांड हैं तो जहान हैं.

आंटी पीछे घूमी और मेरे हाथ उसकी गांड पर घुमने लगी. यह वही गांड थी जो मेरा लंड खड़ा कर देती थी. मेरा लंड बेताब था उसके लिए.

आंटी, आप कहो तो मैं अपना लंड गांड पर घिस दूँ.

नहीं रे पागल.

लेकिन मैं कहा मानने वाला था. खड़े हो के मैंने आंटी के कुल्हे खोले और लंड को गांड के छेद पर घिसा. आंटी की आँखे बंध हो गई और वो आई आह्ह्हह्ह करने लगी. अब मेरा हाथ उसकी चूत के छेद पर था. मैं चूत में ऊँगली करने लगा. आंटी की सिसकियाँ अब और भी बढ़ने लगी थी. वो मुझे गले से लगा रही थी.

अब बर्दास्त नहीं होता, चलो डाल दो मेरे अंडर.

मैंने उसे बेड में ही लिटा के टाँगे खोली. आंटी की चूत के छेद पर लंड रख के मैंने एक ही झटके में पूरा लंड अंडर कर दिया. आंटी की चूत ढीली थी और लंड बिना रोकटोक अंडर हो गया. आंटी ने एक लम्बी आह भर ली और वो अपनी गांड को हिलाने लगी. मेरा लंड उसकी चूत में फच फच की आवाज से अंडर बहार होने लगा. आंटी के बूब्स पर मुहं रख के मैं उसे चूसने लगा. बूब्स को चूसते हुए मैं अपने लौड़े को चूत के अंडर बहार कर रहा था.

आंटी ने कहा, तेरा लंड तो बहुत मोटा हैं. तेरे अंकल का लंबा हैं तेरे से लेकिन इतना मोटा नहीं हैं.

मैंने कहा, आंटी मोटा मिला हैं तो फिर ले लो मजे से.!

आंटी हंस पड़ी और और भी झटके दे दे के अपनी गांड को उठा के हिलाने लगी. मैंने भी कस कस के आंटी की चूत में लंड के झटके दिए. आंटी और मैं दोनों ही पसीने में लथपथ हो चुके थे. लेकिन चुदाई का नशा उसकी चरमसीमा पर था. आंटी आह आह कर के लौड़े को भोग रही थी. मैं उसके बूब्स पकड के चूत को ठोकता जा रहा था.!

तभी मेरे बदन में झटका लगा और मुझे लगा की मैं निढाल हो जाऊँगा.

आंटी, मेरा निकलने वाला हैं, अंदर ही निकालूं.

नहीं नहीं अंदर नहीं. अंकल चोदते नहीं इसलिए खतरा हैं. मेरे चुन्चो पर निकालेंग?

इतना कह के वो लंड चूत से निकाल के बैठ गई. मैं हाथ से लंड को हिलाने लगा. आंटी के बूब्स पर सारा वीर्य निकाल के मैं बेड में पड़ गया. आंटी ने लंड पकड के बाकी के वीर्य को भी उसके निपल्स पर घिस दिया. बहुत मजेदार सेक्स हुआ था एक अरसे के बाद. बिलकुल वैसा जैसे हम लोग फोनसेक्स में करते थे. अब मेरा मन आंटी की गांड में देने को कर रहा था.!
 
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