बड़े चुचों वाली अपना नाम तो बता

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नमस्कार दोस्तों,

आप चाहें तो मुझे पाण्डेय कहकर बुला सकतें हैं और आज मैं आपको एक रेस्तौरांट में काम करने वाली लड़की कहानी सुनाने जा रहा हूँ | दोस्तों मैं अक्सर ही अपने यारो के साथ अपने कॉलेज के करीब वाले रेस्तौरांट में खाने - खाने जाया करता था जहाँ एक मस्त बड़े चुचों वाली लड़की पैसे लेने का काम किया करती थी | वो मुझे बहुत पसंद आ चुकी थी और मैंने उसे अपने चुदाई के जाल में पसान भी शुरू कर चूका था | अक्सर जब मेरे सारे दोस्त आपस में बातें किया करते थे तो मेरी निगाहें उसी पर टिकी रहती थी और वो भी मुझे मुस्कान देती हुई काम करती थी | मैं उसके इशारों को पकड़ता हुआ उससे अभी - कभार बातें भी करने लगा और अब कुछ ही दिनों में उसने मुझे पैसे लेना भी बंद कर दिया |

मैंने अब बात को और आगे बढाते हुए उससे बाते करने उसका फोन नो. ले लिया और बसे हम रोज फोन पर बात करने लगे | मुझे अब बस उससे पहली मुलाकात में ही उसकी चुत को अपना बना लेना था | मैंने एक रविवार के दिन उसे अपने साथ गुमाने के बुला लिया | जिसपर वो राज़ी भी हो गयी और हम पूरा दिन मेरी गाडी में घुमे और आखिर में मैं उसे एक होटल में ले गया | मैं वहाँ जाकर उससे बात करता हुआ आप उसे हाथ को सहलाते हुए उसे गर्म करने लगा | और कुछ ही देर मैं मैंने उसकी शर्ट को भी खोल दिया और उसके पीछे से ब्रा को खोलते हुए चुचों को पीते हुए जमकर दबाने लगा | मैंने उसकी छोटी सीस्कर्ट को भी तेज़ी से उतार दिया और चुत पर अपनी मस्तानी उंगलियां मसलने लगा |

मैंने अब उसे सगेद बिस्तर पर उसे लिटा दिए और अपने भी कपड़े खोल डाले | वो अब मुझे मकुक मुस्कान देती हुई जैसे चोदने को कहने लगी | मैंने भी आगे बढते हुए उसकी चुत में ऊँगली की कुछ देर बाद उसके उप्पर लेट उसके खूब चूमा फिर उसकी टांगों को खोलते हुए अपने लंड को उसकी चुत पर में देते हुए ज़ोरदार झटका मारा और मेरा लंड भी उसकी चुत में पूरा जाने ना चूका और वो अपनी गर्दन को झटकते हुए सिस्कारियां लेने लगी | मैंने अब सब कुछ भुलाते हुए उसकी चुदम - चुदाई की ठोक बककर करनी चालू कर दी | मैंने उसे चोदने जारी रखा और उसकी गांड की भी मसल रहा था | वो भी बेचैन होकर अपनी चुत को उप्पर से मसल रही थी जिसपर मैंने कभी उसके होठों अपने होठों तले दबा लेता |

हमारी चुदाई तो जैसे आसमन छू रही थी और उसकी चुत को चोदे जाने की रफ़्तार ने तो जैसे पूरे कमरे को भोंपू बना दिया | मुझे उसकी आवाजें और उत्तेजित कर रही थी | मई अपनी गर्माहट में सारा दम लगा दिया और कुछ देर बाद ही अपने वीर्य को भी छोड़ दिया और बैठकर उसकी चुत को चाटने लगा | वो अब किसी लड्डू की तरह हिल - डूल रही थी और अमिन भी मस्त मचलाते हुए अपनी जीभ उसकी चुत में देने की कोशिस कर रहा था जिससे कुछ देर में उसका रस भी चुत गया और वो मज़े में मुझसे लिपट हुई मुझे चूमने लगी |
 
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