बाग्वती से साथ खटिया गरम

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नमस्कार दोस्तों,

मैं आज आपको अपनी बाग्वती के चुत - चुदाई के बारे में लिक रहा हूँ जिसने मेरा बाघ किराये आर लिया हुआ था | हुआ यूँ था की दोस्तों मैंने अपने आम के बाघ को बहार किसी औअर्ट को किराये पर दिया हुआ था तो आम के दिनों में वो बाघ में रहा करती थी और कभी - कभार मैं भी अपने बाघ को देखने चला जाया करता था | वहाँ के शांत मौसम में मुझे बहुत ही सुकून मिला करता था | अब मैं वहाँ कभी भी जाता था तो उस बग्वती से २ - ३ घनटा बात करकर ही आता है क्यूंकि उसकी दोषों अदा ही कुछ निराली थी उप्पर से जब वो खाट पर मेरे सामने बैठा करती थी तो उसके मोटे लटकते आम जैसे चुचे देखने लायक लगते थे और मेरा मन करता था जैसे सब को एक बार में पकड़कर चूस जाऊं |

अब यूँ समझ लो मिलने बाघ में केवल उससे मनमोहिनी बात करने और उसकी मटकती हुई गांड को देखने और मोटे चुचों को ही देखने जाया करता था और इसी बहाने अपने दिल को भी समझा लेता था | उसकी चुत का नशा तो दिनभर ही मेरे सर पर चढ़ता चला जा रहा था | एक दिन मैं जब गया तो उसने खाना पकाया हुआ था और आम तोड़कर खा रहा था | जब वो कहाँ लायी तो उसने मुझे भी खिलाना चाह और च्यूंकि मेरे हाथ गन्दा था तो वो मुझे अपने हाथ से ही खिलाने लगी जिसपर मैं उसके हाथ से खाना खता हुआ कभी उसके हाथ को चूम लेता | वो शर्म्जा रही थी पर उसने किसी भी तरह मेरा हल्का सा भी विरोध नहीं कहा |

कुछ देर बाद जैसे खाना खतम हुआ तो मैं उसके करीब आकार बैठ गया और उसकी जाँघों को मल्स्लते हुए बोला, "तेरे हाथ से खाने का मज़ा ही कुछ और है. ." जिसपर उसने फिर मुझे एक मुस्कान दी और अपने अंदर उठ रही वासना के आगे धीरे - धीरे मजबूर होती चली गयी | मुझे भी अब किसी तरह उसकी प्यास भुजानी थी और मैं कैसे भी अब रुकने वाला नहीं था | मैंने अब उसकी गरदाम को चूमा और उसके रसीले आम से मीठे होठों को अपने होठों से मिला लिया और चूसने लग | हमें वहाँ देखने वाला कोई ना था इसीलिए मैंने उसकी साडी को भी उतार दिया और उसके चुचों को भैंस के थन की तरह खींच - खीच कर चूसने लगा जिसपर वो मुंह मुडाकर आह्ह्ह कर रही थी |

अब मैंने कुछ ही देर में उसके पेटीकोट को भी खोल पैंटी को नीचे खींच दिया | मेरा सामने अब नंगी ही खाट पर लेटी हुई जिसके पॉंव मैंने अपनी गर्दन पर लपेट लिए और मज़े में उसकी चुत पर अपने लंड को घुमाता हुआ उसे तरसाने लगा | क्या मज़ा था यारों . . .अब तभी मैंने उसकी चुत के छेद को पेलना शुरू कर दिया जिससे उसके चुचे भी कूदक रहे थे हम कुछ ही पल में आसमान की सैर करने लगे | मैंने कुछ देर बाद उसकी गांड की तरफ लेट गया और इस बार मैंने अपने लंड उसकी टांगों के चुत में पीछे डालम - डूलिम करना शरू कर दिया | इसी तरह चुदाई का सिलसिला ६० मिनट तक चला की मैं तक्क हार उसकी गोरी चिकनी जाँघों पर ही झड | अब से मैं हर साल उसी को अपना बाघ किराये पर देता हूँ भरी दोपहरी को उसकी चुत की मलाई चखता हूँ |
 
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