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सभी पाठकगणों को मेरा नमस्कार, मै रश्मि आपके सामने अपनी कहानी का अगला भाग रखने जा रही हूं। मुझे सेक्स में नयापन चाहिए था, और संजू ने रोल-प्ले के बहाने मुझे किसी और से चुदवा दिया।

जो मुझे अभी चोद रहा है, वह भैया के साथ ही पढता है, इसका मतलब यह भैया का दोस्त ही था। जो कि अब मुझे चोदने जा रहा था, और संजू ने मुझे यह भी बताया कि, यह प्लान मेरे भैया का ही है। तो फिर मै थोडा आराम से सोचने लगी।

मै बस अपने बदनामी से डर रही थी, लेकिन अगर यह प्लान भैया का ही है, तो उन्होंने जरूर पहले से ही कुछ सोचकर रखा होगा। यही सोचकर मै अब खुश हो गई, मेरी चुत को अब एक और नया लंड मिलने वाला था। वो भी संजू के लंड से मोटा वाला लंड।

तभी संजू ने उसके दोस्त से कहा, "जय, जल्दी से धकमपेल चुदाई करके इसकी चुत का भोसडा बना दे।"

तब जाकर मुझे पता चला कि, भैया के इस दोस्त का नाम जय था। यह शरीर से भैया और संजू से भी अच्छा था। जय का लंड मोटा भी था, और लंबाई भी अच्छी थी। जय ने तभी थोडा पीछे हटकर एक और धक्का मार दिया, जिसकी वजह से जय का आधे से ज्यादा भी लंड मेरी चुत में शामिल हो गया था।

तभी जय बोला, "साली कितनों के लौडों से चुदी है तू अब तक? लेकिन एक बात है, तेरी चुत अब भी बहुत कमसिन है। अच्छे से संभाल करके रखा है तूने इसको, मजा आ गया आज तुझे पाकर।"

तो संजू बिस्तर पर मेरे सर के पास बैठ गया, और अपने हाथ मेरे स्तनों पर लाकर उन्हें सहलाने लगा। अब धीरे धीरे संजू के हाथों की गती बढते ही जा रही थी। और वो मेरे स्तनों को अपने हाथों से पूरा जोर लगाकर मसल रहा था। ऐसा लग रहा था, जैसे आज वो मेरे स्तनों से दूध निकालकर ही मानेगा।

मेरे मुंह से कामुक आवाजें निकल रही थी, मै भी पूरी मस्ती में अपनी चुत में जय का लंड लिए हुए अपने स्तनों को संजू से मसलवा रही थी।

अब जय ने एक और जोर के धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरी चुत में उतार दिया। तो मुझे थोडा दर्द का अहसास हुआ, अब तक मैने सिर्फ भैया और संजू के लंड को ही अपनी चुत में लिया था, और जय का लौडा तो इन दोनों से मोटा और लम्बा था। जय का लंड पूरा अंदर जाने से ऐसा लग रहा था, जैसे वो मेरी बच्चेदानी को फाडकर आगे चला जायेगा। जय ने अपना पूरा लौडा मेरी चुत में घुसाते ही बिना रुके दो-तीन धक्के और लगा दिए। जिससे मेरी चुत में दर्द होने लगा, उसने तो मेरी चुत को दर्द सहने के समय भी नही दिया था, और उतने में कुछ और धक्के मारकर वह मुझे बेरहमी से चोदे जा रहा था।

मेरे हाथ पैर बिस्तर के कोनों से बंधे हुए होने के कारण मै ज्यादा हिल भी नही पा रही थी। और इसी चीज का पूरा फायदा जय उठा रहा था। जय का लौडा मेरी चुत फाडे जा रहा था, उसका एक हाथ मेरी गर्दन पर घूम रहा था, तो दूसरा हाथ मेरी पीठ पर था।

कुछ और धक्के लगाने के बाद जय ने संजू से कहा, "यार, जरा तेरे बगल वाला तकिया देना तो, इसकी चुत नीचे की ओर जा रही है। अगर थोडा ऊपर की ओर उठ जाए तो चोदने में और ज्यादा मजा आएगा।"

तो संजू ने भी जय की बात मानते हुए उसे अपने पास से एक तकिया उठाकर दे दिया। जय ने वो तकिया लेकर मेरी कमर के नीचे लगा दिया,जिससे मेरी चुत उभरकर उसके सामने पावरोटी की तरह फूलकर आ गई। अब जय ने सबसे पहले मेरी कमर को पकडकर उसके हिसाब से सही करके फिर मेरी चुत में अपना सख्त लौडा घुसा दिया। अब संजू ने अपना हाथ हटा लिया, और मेरे आमों को भी अब जय के हवाले कर दिया।

जय ने अपना लंड मेरी चुत में ठूंसकर मेरे ऊपर आ गया। मेरे ऊपर आते ही उसने अपने होंठ मेरे होठों से मिला दिए, और मेरे चूचियों को अपने हाथों में लेकर पहले धीरे से सहलाने के बाद उन्हें मसलने लगा।

जय भी अब मेरी धकमपेल चुदाई किये जा रहा था, उसके साथ मुझे भी मजा आ रहा था। तभी उसने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर मेरी गांड को दबाने लगा। और फिर थोडी देर मेरे चुतडों के साथ खेलने के बाद अपनी एक उंगली मेरी गांड के छेद में घुसाने लगा। मै जय के हर धक्के के साथ अपनी कमर ऊपर उठाकर उसके लंड को और अंदर लेने की कोशिश करती रहती थी। एक ही समय पर अब उसका लंड और उंगली अपनी चुत और गांड में सही से फिट हो कर बैठ रहे थे, जिससे मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।

थोडी देर ऐसे ही चोदने के बाद जब जय को पोजीशन बदलने की इच्छा हुई,तो उसने मेरा एक हाथ और एक पैर खोल दिया। अब मै एक साइड से बंधी हुई थी, और दूसरी साइड खुली हुई थी। जिसकी वजह से मै ज्यादा हिल तो पा रही थी, लेकिन ज्यादा नही। फिर जय ने मुझे एक साइड करके मेरी कमर से तकिया निकाल लिया और मुझे उल्टा लिटा दिया।

मेरे उल्टा लेटने पर जय के सामने मेरी गांड उभरकर पेश हो गई। जिसे देखते ही जय ने मेरे दोनों चुतडों पर चाटें लगा-लगाकर उन्हें लाल कर दिया। और फिर नीचे झुककर एक बार मेरे दोनों चुतडों को चुम कर फिर अपने लंड को मेरी गंडक छेद के ऊपर सेट करने लगा।

लौडे के ठीक से सेट होते ही उसने एक धक्के में अपना आधा लंड मेरी गांड में उतार दिया और लगातार मेरी गांड चोदने में लग गया। मेरी गांड उसके लंड के लिए बहुत ही कसी हुई थी, तो उसे भी मेरी गांड में अपना लंड डालने के लिए थोडी बहुत तकलीफ हो रही थी। लेकिन इससे एक काम अच्छा हुआ,जय बहुत जल्द ही झडने को हुआ,और उसने मुझसे पूछा, "जान, तुम पहली बार मेरा वीर्य कहां लेना पसंद करोगी?"

तो मैने भी बिनधास्त होकर उसे बोल दिया, "मुझे तुम्हारा वीर्य चखना है, तो अपना लंड निकालकर मेरे मुंह मे अपने वीर्य की पिचकारी मार देना।"

मेरे इतना सुनते ही उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाल लिया।लंड निकालते ही मै सीधी होकर लेट गई, और जय मेरे मुंह के पास आकर अपने लंड को हाथ मे लिए हुए हिला रहा था। थोडी देर जय ने अपना लंड हिलाकर अपने वीर्य की पिचकारी को मेरे चेहरे पर छोड दिया। उसका वीर्य मेरे चहरे पर और चूचियों पर फैल सा गया। जैसे ही जय ने झडकर अपना लंड खाली किया, वो मेरे बगल में ही आकर लेट गया।

इतने में संजू एक कपडा लेकर आया, और मुझे साफ करने लगा। संजू ने मेरे ऊपर गिरे हुए पूरे वीर्य को उस कपडे से साफ कर दिया। अब मुझे लगा था, कि संजू मुझे चोदेगा, लेकिन संजू ने मुझे हाथ भी नही लगाया। और इस तरह मै फिर से जय के हवाले हो गई। जय मेरे बगल में लेटा हुआ था, और अब वो फिर से मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हुए जा रहा था। धीरे धीरे जय ने अपना हाथ मेरे बालों से लेकर मेरी चुत तक पहुंचा दिया। उसका हाथ मेरी चुत पर पहुंचते ही, उसने एक ही झटके में मेरी पूरी उंगली चुत में उतार दी, जिस वजह से एकदम से मै उछल सी गई।

उसके बाद जय ने मेरा पैर खोल दिया और सिर्फ एक हाथ बिस्तर के एक कोने से बंधे हुए रखा। और उसने मुझे घुटनों के बल बिठाकर घोडी बना दिया। खुद वो मेरे पीछे आकर, अपना लंड उसने पीछे से मेरी चुत पर सेट किया। लंड सेट करते ही मैने अपनी कमर पीछे को खिसका दी, मुझे लगा लंड अंदर चला जायेगा। लेकिन लंड मेरी चुत में अंदर जाने की बजाय फिसलकर बाहर की ओर निकल आया। तो जय ने अपने लंड को फिर से ठीक किया और मेरी कमर को पकडकर एक धक्का मार दिया, जिसकी वजह से लंड सटाक से मेरी चुत में शामिल हो गया।

उस दिन चार बजे तक अकेले जय ने मुझे अलग अलग तरीकों से चोदा। कभी खडी करके चोदा, तो कभी खुद मुझे अपनी गोदी में उठाकर चोदने लगा। मुझे भी इन सबमे मजा आ रहा था, तो मै भी मजे से मुंह से कामुक आवाजें निकालते हुए चुद रही थी। जितना समय जय मेरे पास था, उतने समय मे एकाध बार ही संजू ने मुझे छुआ, बाकी वो मुझसे दूर ही रहा। लेकिन उसी रात संजू पढ़ाई का बहाना बनाकर रात में मेरे घर पे ही भैया के साथ रुक गया। फिर रात में संजू और भैया दोनों ने मिलकर मेरे साथ चुत चुदाई का खेल खेला। इस खेल में मेरी चुत के साथ मेरी गांड का छेद भी फूल सा गया था। और मेरे स्तनों पर काटने के निशान बन चुके थे।

रात में मुझे चोदते समय भैया ने बताया कि, उन्होंने जय से मुझे चोदने के पैसे लिए थे, और आगे भी वह अपने दोस्तों से पैसे लेकर मुझे चुदवा दिया करेंगे। इसका मतलब भैया और संजू ने मिलकर मुझसे जाने-अनजाने में ही रंडी का काम करवा दिया था। मैने पैसों के लिए अपना जिस्म बेच दिया था। मेरी जैसी चुदासी लड़की को लंड नही मिलेगा तो वो किसी भी हद तक जा सकती है।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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