भोंसडे का पानी निकला आखिरी में

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको एक रंडीखाने के सुन्हानी रात के सफर के बारे में बताने जा रहा हूँ जहाँ मैंने के रांड के साथ रात चुदाई का रंदिपना चलाया | दोस्तों दरसल मैंने अपने लंड को हिला - हिलाकर खुद ही पूरी तरह से हिल चुकी था और मेरा धीरे - धीरे किसी भी काम में दिल नहीं लगता था क्यूंकि अब मेरे पास अपने लंड की प्यास भुजाने के लिए ना तो बीवी थी और ना ही कोई प्रेमिका और साथ ही मेरे पास तो कोई महिला दोस्त नही ना थाई इसीलिए मैंने अपने शहर के रंडीखाने में जाने का फैसला किया जहाँ मेरा पला मोहिका नाम की रांड से हुआ |

मैंने जाते हुए ही नीचे काउंटर में पहले उनकी मांगी हुई रकम पकडाई और तभी उन्होंने मुझे पुरी लड़कियों की लाइन ही दिखा डाली | मैंने तभी उनमें से एक मस्त औरत को चुना जिसकी मोटी - मोटी जांघें मुझे साफ़ धिकायी दे रही थी और उसके साथ रूम में एक घंटे के लिए चल पड़ा | मैंने जाते ही पहले उससे कुछ पल बात की के उसने अपने सारा कपड़े उतार दिए और नंगी बैठ गयी | कुछ ही पल में बिस्तर पर लेटे हुए हम एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे | मैं उसकी चुचों को दबाते हुए मज़े ले रहा था जिसपर उसने मेरे लंड को खड़ा कर देने के लिए उसे पैंट में से निकाल मसलने लगी थी |

मैं अब पीछे नहीं हटना वाला था और जल्दी से उसके कपड़े खोलने लगा | मैंने कुछ पल में उसके उप्पर चड़ते हुए उसकी चुत पर उँगलियाँ मसलते हुए उसपर थूक लगाकर उसपर अपने लंड को भी रगड़ने लगा | मैंने इतनी ज़ोरदार उँगलियों की बौछार उसकी चुत में बरसाई के कुछ देर बाद ही वो बिलकुल चुदाई अपनी चुदाई के लिए तैयार हो चुकी थी | मैं उसके चुचों को मसलते हुए अपने लंड का एक धक्का मारा जिससे नशे में उसने पहली तो हान्न्न्न हांन्न करते हुए मेरे धक्कों को ले लिए उसके बाद साली अपने दोनों चुचों के मरे थोबड़े पर ही रगड़ने लगी जिससे मेरे अंदर भी अजब सी फुर्ती छाने लगी |

मैंने उसकी चुत को मारते हुए कुछ पल में ज़ोरदार तरीके से उसकी चुत में झड गया जिसपर उसने अब मुझे नीचे को लिटाकर मेरे उप्पर चड गयी और इस बार उसने मेरे लंड के सुपाडे के उप्पर अपनी गांड के छेद को टिका दिया | उसकी गांड का छेद भी इतना फटा हुआ था की वो कुछ पल में मेरे लंड के उप्पर कूदने लगी | उसके छेद को अच्छे से फाड़ने मेरा दम ही निअक्ल पड़ा पर वो वासना बड़ा एहसास कुछ और ही था | वो बीच में अपने थूक को अपनी गांड के छेद पर लगाती और फिर हाफ्ती हुई मेरे लंड के उप्पर कूदना शुरू कर देती और पीछे से मैं भी उसकी गांड को पीटता हुआ उसे ढील सेने लगता | हम मज़े में तर्र हो चुके थे और उसके बाद मैंने उसकी गांड के उप्पर भी झड दिया और उसकी चुत में ऊँगली करते हुए उसके भोंसडे का भी पानी निकाल दिया |
 
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