मुन्नी हुई मेरे लंड की शौक़ीन

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हाई यारों,

यह कहानी मेरे ही कॉलेज के दिनों की है जब मुझे चूतों के अलावा कुछ और नहीं दिखाई नहीं दिया करता था | मैंने अपने इसी चुत के शौक के दौरान अपने कॉलेज की लड़की को भी पटाया और आखिर में उसे बिलकुल अपने झी जैसा बनाकर छोड़ा जिसका नाम मुन्नी अग्रवाल था | वो वैसे तो एक अमीर घराने की लड़की थी पर अब उसकी चुत मैं बहुत जल्दी गरम करने वाला था | हमारे प्रेम - सम्बन्ध के दौरान मैं उससे हल्की - फुल्की रोमांटिक बातें करता तो बस वो फिसल जाया करती थी और मुझे अपना दिल दे बैठी थी | मैंने अपनी प्यास भुजाने के लिए अक्सर उसके साथ ही कॉलेज आता और पहुँचने से पहले उससे एक - दो पुप्पी भी ले लिया करता था |

हमारे बीच सब कुछ ठाक चल ही रहा था की मुझे अब उसके पूरे बदन को अपने तले देखने की इक्षा सी होने लगती | मैं उसे चुम्मा - चाटी तो खूब कर लेता था पर जब बात चुचों से नीचे पहुँचने की आते तो वो मुझे रोक लिया करती | दोस्तों पर मैं भी कमीना ही हूँ मैंने उसे एक हफ्ते में बदल दिया और अब मैं उसके क्लासरूम में कभी उसकी चुन्नी के नीचे से चूहों को दबा लेता और जब कभी उसे एकेला पता तो उसकी कुर्ती के अंदर हाथ डाल उसके चूचकों के साथ खेलता और अब वो भी मेरा विरोश ना करती क्यूंकि शयद उस भी इन क्रियाओं में दिलचस्पी आने लगी थी |

एक दिन मैं उसे घुमाने के बहाने बहार कहीं ले गया और एक दूसरे की पेचे जाने वाले रास्ते में एक सुनसान घर पड़ता था वहीँ उसे ले गया जोकि उसे सब कुछ अजीब सा लगने लगा | मैंने भी उसका जवाब मस्ती - मस्ती में देते अपनी तरफ खीच बाहों में भरके उसे चूमने लगा और कह दिया,

मैं - जान इतनी दूर मैं केवल तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताने आया हूँ . .मुझे रोको नहीं. ! !

मैंने उसकी कुर्ती खोल दिया और साथ ही ब्रा का भी हुक खोल हटा दिया | उसके नंगे मस्ताने चुचों को अब मैं चूसते हुए उससे खूब गरम कर दिया और मैंने कुछ देर बाद मुन्नी को वहीँ ज़मीं पर लिटा दिया | अब मैंने उसके बाजू में लेटते हुए उसकी नीचे की सलवार खोल दी इससे पहले मैं ऊँगली करता, देखा की उसकी चुत पहले से इतनी चिकनी थी जिससे मुझे उसके गर्माहट का पता चल गया | अब मैं मुन्नी की बेताबी को समझता हुआ अपनी जीभ उसकी चुत की फांक के बीच घुमाके चाटने लगा जिससे बस अपने होठों को मिस्मिसाते रह गयी | मैंने अब ज्यदा वक्त बर्बाद ना करते हुए उसकी टांग को चौड़ाते हुए अपने ६ इंच के लंड को निकाल उसकी चुत की फांकों के बीच मसलते हुए उसके उप्पर चढ उसके होठों को चूसने लगा |

मैंने कुछ देर बाद ही अब उसकी चुत में पूरा दम लगाते हुए अंदर देने के लिए झटका मारना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में मैं उसकी गीली चुत के मज़े ले रहा था | मेरी इतने देर उसकी चुत के साथ मटरगस्ती करने बाद उसे दर्द अब काम हो रहा था और वो मेरे झटके भी सहने लायक थी | मैं उसके उप्पर चाड अपने झटकों मस्त वाली रफ़्तार से चोदना ज़ारी रखा और अंत में मैं जल्दी २० मिनट के अंतराल झड गया | उस दिन के बाद मुन्नी को ऐसा चस्का चढा की वो एक हफ्ते में मेरे लंड से बगैर चुदे नहीं रह सकती और हम हर सप्ताह एक वासना के मज़े लेते |
 
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