desi kahani, antarvasna: मैं दिल्ली अपने मामा जी के पास जाता हूं जब मैं उनके पास जाता हूं तो वह मुझे कहते हैं कि रौनक बेटा तुम यहीं दिल्ली में ही अपने लिए कोई नौकरी तलाश क्यो नही कर लेते। मामा जी को यह बात पता थी कि मैंने कुछ समय पहले ही अपनी जॉब से रिजाइन दिया है और वह इस बात को अच्छी तरीके से जानते थे। मामा जी ने मुझे कहा कि बेटा तुम्हें जॉब के लिए अप्लाई कर देना चाहिए मैंने उन्हें कहा कि हां मामा जी मैं देखता हूं। मामा जी के एक बहुत ही करीबी दोस्त हैं जो कि उनके घर पर अक्सर आया जाया करते थे उससे पहले भी मैं उनसे कई बार मिल चुका था लेकिन जब उस दिन मैं उनसे मिला तो उन्होंने मुझे कहा कि बेटा मैं तुम्हारे लिए अपने ऑफिस में बात कर सकता हूं। मैंने उन्हें कहा ठीक है आप मेरे लिए अपने ऑफिस में बात कर दीजिएगा। इससे पहले मैं रोहतक में ही जॉब करता था लेकिन मेरी जॉब छूट जाने के बाद मैं काफी समय से खाली ही था। मामा जी के दोस्त ने मेरी जॉब अपने ऑफिस में ही लगवा दी थी अब मेरी जॉब दिल्ली में लग चुकी थी और मैं काफी खुश था की मैं दिल्ली में ही जॉब करने लगा हूं। मेरी जिंदगी में अब सब कुछ ठीक होने लगा था मैंने दिल्ली में ही एक घर किराए पर रहने के लिए ले लिया था मैं चाहता था कि पापा मम्मी भी मेरे पास रहने के लिए आ जाएं।
पापा भी अपने काम से कुछ दिन पहले ही इस्तीफा दे चुके थे और वह घर पर ही थे। मैंने जब पापा को फोन किया तो उन्होंने मुझे कहा कि रौनक बेटा तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है तो मैंने उन्हें बताया कि मेरी जॉब तो अच्छी चल रही है लेकिन मैं चाहता हूं कि आप लोग मेरे पास ही दिल्ली रहने के लिए आ जाए। वह लोग मेरी बात मान गए और पापा और मम्मी मेरे पास दिल्ली आ गए मेरे सिवा उनका और कोई नहीं था इसलिए वह लोग मेरे पास दिल्ली रहने के लिए आ गए और उनके आने से मैं काफी खुश था। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था कि अब मैं दिल्ली में रहता हूं और पापा मम्मी भी मेरे पास ही रह रहे थे। एक शाम मामा जी घर पर आए हुए थे उस दिन वह मां से कहने लगे कि रौनक के लिए आप लोग कोई अच्छी सी लड़की देख कर रौनक का रिश्ता करवा दो लेकिन मैं तो अभी इस बारे में सोच ही नहीं रहा था। मामा जी के कहने पर मम्मी को भी शायद यह लगने लगा की मेरी शादी के लिए कोई लड़की देखनी चाहिए और वह लोग भी अब मेरे लिए लड़की तलाशने लगे थे।
जल्द ही हमारे एक परिचित की लड़की से मेरा रिश्ता तय हो गया, मैं भी अपने पापा मम्मी को कुछ कह ना सका और मेरी सगाई रचना के साथ हो गई। रचना के साथ मेरी सगाई हो जाने के बाद मेरी और रचना की काफी कम बातें होती थी लेकिन जब भी मुझे समय मिलता तो मैं रचना से जरूर बात कर लिया करता। मुझे बहुत अच्छा लगता जब भी मैं रचना से बातें किया करता। एक दिन मेरे ऑफिस में काम करने वाले अविनाश ने मुझसे कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूं उस दिन हमारे ऑफिस की छुट्टी थी और अविनाश को कोई जरूरी काम था तो मैं अविनाश को मिलने के लिए उसके घर पर चला गया। जब मैं अविनाश को मिलने के लिए उसके घर पर गया तो वह घर पर ही था मैंने अविनाश को कहा आज तुमने मुझे फोन किया क्या कोई जरूरी काम था। अविनाश मुझे कहने लगा कि रौनक आज तुम्हें मेरे साथ मेरी बहन के घर चलना है मैंने अविनाश को कहा लेकिन तुमने अचानक से अपनी बहन के घर जाने का फैसला कर लिया और तुमने तो मुझे इस बारे में कुछ बताया नहीं था। अविनाश मुझे कहने लगा कि अब तुम्हें क्या बताता मेरी बहन के घर पर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है इसलिए मुझे ही आज अपनी बहन के घर पर जाना पड़ रहा है मैंने अविनाश से सारी बात पूछी तो अविनाश ने मुझे बताया कि उसकी बहन के ससुराल वाले उसे काफी ज्यादा परेशान करते हैं। अविनाश के पापा का देहांत काफी वर्ष पहले हो गया था इसलिए अविनाश के ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी है अविनाश मुझे अपने बहुत ही करीब मानता है इसलिए उसने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा और मैं अविनाश के साथ चला गया। जब मैं अविनाश की बहन के घर गया तो वह वाकई में बहुत परेशान थी और उसने जब अविनाश को अपने ससुराल वालों के बारे में बताया तो अविनाश को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ गया और अविनाश ने अपनी बहन के पति से ना जाने क्या कुछ कह दिया। मैंने अविनाश को कहा कि तुम शांत हो जाओ।
मैंने अविनाश की बहन सुहानी के पति से बात की सुहानी के पति की इसमें कोई गलती नहीं थी दरअसल गलती इसमें सुहानी के सास ससुर की थी इसलिए हम लोगों ने उसे समझाया, उस दिन तो हम लोग घर लौट आए थे। मैं जब घर लौटा तो रचना का फोन मुझे आया जब रचना का फोन मुझे आया तो मैं रचना से बात कर रहा था और उससे काफी देर तक मैंने बात की अविनाश की बहन सुहानी के घर में भी अब सब कुछ ठीक हो चुका था और मैं भी काफी खुश था कि अब मेरी भी जल्द ही शादी होने वाली है। मेरी शादी जब रचना के साथ हो गई तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और रचना भी बहुत खुश थी कि उसकी शादी मुझसे हो चुकी है। हम दोनों पति पत्नी बन चुके थे और हम लोग बहुत ही ज्यादा खुश थे मैं इस बात से बहुत खुश था कि अब रचना मेरी पत्नी बन चुकी है। रचना घर की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही थी और मैं इस बात से काफी खुश था। रचना चाहती थी कि वह जॉब करे तो मैंने उसे कहा कि यदि तुम जॉब करना चाहती हो तो तुम जॉब कर सकती हो, रचना ने शादी के बाद जॉब छोड़ दी थी। हम दोनों की शादी को 6 महीने से ऊपर हो चुके थे।
रचना ने हम ऑफिस ज्वाइन कर लिया था। वह जॉब करने लगी थी। हम दोनो ही ऑफिस से थके हुए आते। मै जब घर लौटा तो रचना भी घर आ चुकी थी। हम दोनो डिनर करने के बाद साथ में हैं लेटे हुए थे। मैने रचना के हाथो को पकडा तो उसे अच्छा लग रहा था। मैं रचना को गरम कर चुका था। मैं जब रचना के स्तनो पर अपने हाथ को लगाता तो वह उत्तेजित होती। मैं उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाने लगा था। मैं जब रचना के स्तनों को अपने हाथों से दबा रहा था तो मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी और मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था। मैं अब इतना अधिक उत्तेजित हो रहा था कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मेरे अंदर का ज्वालामुखी इतनी अधिक हो गया था मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया। जब रचना ने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर उसे हिलाना शुरू किया तो मुझे अच्छा महसूस हो रहा था। रचना ने मेरे मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया। जब रचना मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। रचना ने मेरे लंड से पानी भी निकाल दिया था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था अब मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैंने रचना के कपड़े उतारकर उसकी पैंटी को नीचे उतारा तो वह अब पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। रचना की आग बहुत अधिक होने लगी थी रचना मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही थी। मैंने रचना के पैरों को खोल लिया था वह बोलने लगी जल्दी से डालो लंड को। मैंने रचना की चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया तो रचना की चूत का पानी मेरे लंड पर लग गया था। मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया। मेरा लंड रचना की चूत मे घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी। रचना ने मुझे अपने पैरों के बीच मे जकड लिया था। मैंने उसको तेजी से चोदना शुरू कर दिया था। मैंने रचना को बहुत तेजी से चोदा मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। अब मेरे अंदर की आग बहुत ही बढ़ने लगी थी मुझे एहसास हो चुका था मेरा माल जल्दी ही बाहर आने वाला है। मैंने अपने माल को गिरा दिया था।
रचना की आग बुझी नहीं थी। वह चाहती थी मै दोबारा से उसे चोदू। रचना ने मेरे लंड को हिलाया जब रचना ने मेरे तरफ चूतडो को किया तो मैने उसकी चूत पर अपने लंड को रगडा। मैंने रचना की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था मुझे बहुत मजा आया जब मैने उसकी चूत के अंदर लंड घुसा दिया था। मैं रचना को तेजी से चोदे जा रहा था। वह मजे ले रही थी मैंने उसके साथ 5 मिनट तक चुदाई का आनंद लिया। मै और रचना दोनो ही खुश थे। उसके बाद हम दोनो ही लेट गए।
अगले दिन हम दोनो सुबह उठे जब हम लोग सुबह उठे तो हम दोनों एक दूसरे को होठों को चूमने लगे थे। मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था रचना ने मेरे लंड को लपकते हुए अपने मुंह के अंदर समा लिया था। वह मेरे लंड को वह बडे अच्छे तरीके से चूसने लगी थी। मैंने अब अपने लंड को रचना की चूत के अंदर घुसाया। मेरा लंड रचना की चूत में घुसा तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था। मैं रचना को बड़ी तेज गति से धक्के मारे। उसकी चूत का पानी मेरे लंड पर लग रहा था मेरा लंड गर्म हो चुका था। मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से रचना की चूत की गर्मी को शांत कर दिया था।
पापा भी अपने काम से कुछ दिन पहले ही इस्तीफा दे चुके थे और वह घर पर ही थे। मैंने जब पापा को फोन किया तो उन्होंने मुझे कहा कि रौनक बेटा तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है तो मैंने उन्हें बताया कि मेरी जॉब तो अच्छी चल रही है लेकिन मैं चाहता हूं कि आप लोग मेरे पास ही दिल्ली रहने के लिए आ जाए। वह लोग मेरी बात मान गए और पापा और मम्मी मेरे पास दिल्ली आ गए मेरे सिवा उनका और कोई नहीं था इसलिए वह लोग मेरे पास दिल्ली रहने के लिए आ गए और उनके आने से मैं काफी खुश था। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था कि अब मैं दिल्ली में रहता हूं और पापा मम्मी भी मेरे पास ही रह रहे थे। एक शाम मामा जी घर पर आए हुए थे उस दिन वह मां से कहने लगे कि रौनक के लिए आप लोग कोई अच्छी सी लड़की देख कर रौनक का रिश्ता करवा दो लेकिन मैं तो अभी इस बारे में सोच ही नहीं रहा था। मामा जी के कहने पर मम्मी को भी शायद यह लगने लगा की मेरी शादी के लिए कोई लड़की देखनी चाहिए और वह लोग भी अब मेरे लिए लड़की तलाशने लगे थे।
जल्द ही हमारे एक परिचित की लड़की से मेरा रिश्ता तय हो गया, मैं भी अपने पापा मम्मी को कुछ कह ना सका और मेरी सगाई रचना के साथ हो गई। रचना के साथ मेरी सगाई हो जाने के बाद मेरी और रचना की काफी कम बातें होती थी लेकिन जब भी मुझे समय मिलता तो मैं रचना से जरूर बात कर लिया करता। मुझे बहुत अच्छा लगता जब भी मैं रचना से बातें किया करता। एक दिन मेरे ऑफिस में काम करने वाले अविनाश ने मुझसे कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूं उस दिन हमारे ऑफिस की छुट्टी थी और अविनाश को कोई जरूरी काम था तो मैं अविनाश को मिलने के लिए उसके घर पर चला गया। जब मैं अविनाश को मिलने के लिए उसके घर पर गया तो वह घर पर ही था मैंने अविनाश को कहा आज तुमने मुझे फोन किया क्या कोई जरूरी काम था। अविनाश मुझे कहने लगा कि रौनक आज तुम्हें मेरे साथ मेरी बहन के घर चलना है मैंने अविनाश को कहा लेकिन तुमने अचानक से अपनी बहन के घर जाने का फैसला कर लिया और तुमने तो मुझे इस बारे में कुछ बताया नहीं था। अविनाश मुझे कहने लगा कि अब तुम्हें क्या बताता मेरी बहन के घर पर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है इसलिए मुझे ही आज अपनी बहन के घर पर जाना पड़ रहा है मैंने अविनाश से सारी बात पूछी तो अविनाश ने मुझे बताया कि उसकी बहन के ससुराल वाले उसे काफी ज्यादा परेशान करते हैं। अविनाश के पापा का देहांत काफी वर्ष पहले हो गया था इसलिए अविनाश के ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी है अविनाश मुझे अपने बहुत ही करीब मानता है इसलिए उसने मुझे अपने साथ चलने के लिए कहा और मैं अविनाश के साथ चला गया। जब मैं अविनाश की बहन के घर गया तो वह वाकई में बहुत परेशान थी और उसने जब अविनाश को अपने ससुराल वालों के बारे में बताया तो अविनाश को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ गया और अविनाश ने अपनी बहन के पति से ना जाने क्या कुछ कह दिया। मैंने अविनाश को कहा कि तुम शांत हो जाओ।
मैंने अविनाश की बहन सुहानी के पति से बात की सुहानी के पति की इसमें कोई गलती नहीं थी दरअसल गलती इसमें सुहानी के सास ससुर की थी इसलिए हम लोगों ने उसे समझाया, उस दिन तो हम लोग घर लौट आए थे। मैं जब घर लौटा तो रचना का फोन मुझे आया जब रचना का फोन मुझे आया तो मैं रचना से बात कर रहा था और उससे काफी देर तक मैंने बात की अविनाश की बहन सुहानी के घर में भी अब सब कुछ ठीक हो चुका था और मैं भी काफी खुश था कि अब मेरी भी जल्द ही शादी होने वाली है। मेरी शादी जब रचना के साथ हो गई तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश था और रचना भी बहुत खुश थी कि उसकी शादी मुझसे हो चुकी है। हम दोनों पति पत्नी बन चुके थे और हम लोग बहुत ही ज्यादा खुश थे मैं इस बात से बहुत खुश था कि अब रचना मेरी पत्नी बन चुकी है। रचना घर की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही थी और मैं इस बात से काफी खुश था। रचना चाहती थी कि वह जॉब करे तो मैंने उसे कहा कि यदि तुम जॉब करना चाहती हो तो तुम जॉब कर सकती हो, रचना ने शादी के बाद जॉब छोड़ दी थी। हम दोनों की शादी को 6 महीने से ऊपर हो चुके थे।
रचना ने हम ऑफिस ज्वाइन कर लिया था। वह जॉब करने लगी थी। हम दोनो ही ऑफिस से थके हुए आते। मै जब घर लौटा तो रचना भी घर आ चुकी थी। हम दोनो डिनर करने के बाद साथ में हैं लेटे हुए थे। मैने रचना के हाथो को पकडा तो उसे अच्छा लग रहा था। मैं रचना को गरम कर चुका था। मैं जब रचना के स्तनो पर अपने हाथ को लगाता तो वह उत्तेजित होती। मैं उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाने लगा था। मैं जब रचना के स्तनों को अपने हाथों से दबा रहा था तो मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी और मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था। मैं अब इतना अधिक उत्तेजित हो रहा था कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मेरे अंदर का ज्वालामुखी इतनी अधिक हो गया था मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया। जब रचना ने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर उसे हिलाना शुरू किया तो मुझे अच्छा महसूस हो रहा था। रचना ने मेरे मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया। जब रचना मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था। रचना ने मेरे लंड से पानी भी निकाल दिया था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था अब मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी। मैंने रचना के कपड़े उतारकर उसकी पैंटी को नीचे उतारा तो वह अब पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी थी। रचना की आग बहुत अधिक होने लगी थी रचना मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तड़प रही थी। मैंने रचना के पैरों को खोल लिया था वह बोलने लगी जल्दी से डालो लंड को। मैंने रचना की चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत से बहुत पानी निकल रहा था। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया तो रचना की चूत का पानी मेरे लंड पर लग गया था। मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया। मेरा लंड रचना की चूत मे घुसा तो वह बहुत जोर से चिल्लाने लगी। रचना ने मुझे अपने पैरों के बीच मे जकड लिया था। मैंने उसको तेजी से चोदना शुरू कर दिया था। मैंने रचना को बहुत तेजी से चोदा मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। अब मेरे अंदर की आग बहुत ही बढ़ने लगी थी मुझे एहसास हो चुका था मेरा माल जल्दी ही बाहर आने वाला है। मैंने अपने माल को गिरा दिया था।
रचना की आग बुझी नहीं थी। वह चाहती थी मै दोबारा से उसे चोदू। रचना ने मेरे लंड को हिलाया जब रचना ने मेरे तरफ चूतडो को किया तो मैने उसकी चूत पर अपने लंड को रगडा। मैंने रचना की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था मुझे बहुत मजा आया जब मैने उसकी चूत के अंदर लंड घुसा दिया था। मैं रचना को तेजी से चोदे जा रहा था। वह मजे ले रही थी मैंने उसके साथ 5 मिनट तक चुदाई का आनंद लिया। मै और रचना दोनो ही खुश थे। उसके बाद हम दोनो ही लेट गए।
अगले दिन हम दोनो सुबह उठे जब हम लोग सुबह उठे तो हम दोनों एक दूसरे को होठों को चूमने लगे थे। मुझे बहुत मज़ा आने लगा था। मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था रचना ने मेरे लंड को लपकते हुए अपने मुंह के अंदर समा लिया था। वह मेरे लंड को वह बडे अच्छे तरीके से चूसने लगी थी। मैंने अब अपने लंड को रचना की चूत के अंदर घुसाया। मेरा लंड रचना की चूत में घुसा तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था। मैं रचना को बड़ी तेज गति से धक्के मारे। उसकी चूत का पानी मेरे लंड पर लग रहा था मेरा लंड गर्म हो चुका था। मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से रचना की चूत की गर्मी को शांत कर दिया था।