Antarvasna, hindi sex story: माया दीदी के डिवोर्स से सब लोग घर में बहुत ज्यादा चिंतित हो चुके थे क्योंकि माया दीदी पूरी तरीके से टूट चुकी थी वह इतनी ज्यादा परेशान हो गई थी कि वह किसी से भी घर में बात नहीं किया करती थी। उन्होंने अपनी एक अलग ही दुनिया बना ली थी और वह सिर्फ कमरे की चार दिवारी में कैद होकर रह गई थी वह किसी से कुछ बात नहीं किया करती थी। मम्मी पापा दोनों उससे परेशान हो चुके थे मैंने भी माया दीदी से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन वह ज्यादा बात ही नहीं किया करते थे वह सिर्फ हां या ना में ही जवाब दिया करते। घर में माया दीदी की वजह से सब लोग परेशान होने लगे थे माया दीदी की शादी को हुए अभी सिर्फ 6 महीने ही हुए थे और 6 महीने में ही उनका डिवोर्स हो गया इस बात से हमारे रिश्तेदार तक हैरान रह गए थे कि आखिरकार माया जैसी अच्छी लड़की का डिवोर्स कैसे हो सकता है।
माया दीदी के चेहरे पर कोई मुस्कान ही नहीं थी वह सिर्फ अपने ख्यालों में ही डूबी रहती और उन्हें जैसे किसी से कोई मतलब ही नहीं रहता था। वह तो अब पूरी तरीके से टूट चुकी थी और आखिरकार इस बात से मैं भी परेशान रहने लगी थी पहले माया दीदी और मैं आपस में कितना झगड़ते रहते थे लेकिन अब ना तो वह मुझसे झगड़ा करती और ना ही हम दोनों के बीच में ऐसा कुछ था जिससे कि मैं उन्हें कुछ कह पाती। मैंने उन्हें कई बार खुश करने की कोशिश की लेकिन वह तो जैसे अपने दुखों को अपने आसपास ही समेट कर बैठी हुई थी। किसी से भी वह कोई बात नहीं करती थी जिस वजह से सब लोग घर में परेशान थे। मैंने सोचा कि क्यों ना माया दीदी के पुराने दोस्तों से बात की जाए तो मैंने उनके कुछ पुराने दोस्तों से बात की और उन्हें माया दीदी के बारे में बताया वह लोग भी यह सब सुनकर बहुत दुखी हुए। मुझे लगा कि शायद उनके बात करने से दीदी को अच्छा लगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। दीदी के डिवोर्स का कारण किसी को कुछ भी मालूम नहीं था कि उनका डिवॉर्स क्यों हुआ जीजा जी ने भी इस बारे में कुछ नहीं बताया और ना ही दीदी ने कुछ बताया।
एक दिन मेंरे हाथ दीदी की पर्सनल डायरी लगी हालांकि मैं उसे पढ़ना नहीं चाहती थी लेकिन मैंने जब उसे खोल कर पढ़ना शुरू किया तो उसमें मुझे दीदी के कई राज दिखाई दिए। उसमें दीदी ने लिखा था कि कैसे उन्होंने अपने प्रेमी रोहन का दिल तोड़ा था और उसके बाद उन्होंने शादी का फैसला किया लेकिन उसके बाद उन्होंने जीजा जी को कोई कमी नहीं होने दी। दीदी ने अपनी तरफ से हमेशा उन्हें खुश रखने की कोशिश की लेकिन उनको ससुराल में वह प्यार नहीं मिला जो कि वह चाहती थी और जब उन्हें पता चला कि उनके पति और उनकी भाभी के बीच में कुछ गलत संबंध है तो उससे दीदी का दिल पूरी तरीके से टूट चुका था। इस बात से दीदी को बहुत सदमा लगा और वह घर चली आई जब मैंने उनकी पर्सनल डायरी पड़ी तो मुझे बहुत बुरा लगा और उनके लिए मैं बहुत ही ज्यादा चिंतित रहने लगी थी। आखिरकार मैंने उनसे कह दिया कि दीदी आपको अब जीजा जी को बुलाकर अपने नए जीवन की शुरुआत करनी पड़ेगी उन्होंने अपने प्रेमी को भी ठुकराया था। मैं चाहती थी कि वह दोबारा रोहन से बात करें मुझे रोहन के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था क्योंकि मैं उससे कभी मिली ही नहीं थी और ना ही दीदी ने मुझसे कभी रोहन का जिक्र किया था। मैंने रोहन के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया तो मुझे पता चला कि वह पुणे में जॉब करते हैं मैंने अब रोहन से मिलने का फैसला किया और किसी प्रकार मैंने रोहन का नंबर निकाल लिया। जब मैंने रोहन का नंबर निकाला तो मेरी पहली बार रोहन से बात हुई मैंने जब रोहन को दीदी के बारे में बताया तो वह बहुत ज्यादा दुखी हो गया और कहने लगा मैं एक बार तुमसे मिलना चाहता हूं। मैंने रोहन से मिलने का फैसला कर लिया था क्योंकि मैं चाहती थी कि रोहन से मैं मिलूं और सब कुछ पहले जैसा हो जाए इसी के लिए मैंने रोहन से मिलने का फैसला किया था।
मैंने जब उसे दीदी के बारे में बताया तो वह यह सुनकर बहुत दुखी हुआ और कहने लगा मुझे नहीं पता था कि माया ने अपने माता पिता के लिए इतना बड़ा बलिदान दिया और उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया मैं उसे धोखेबाज समझता रहा लेकिन मैं गलत था मैं सोचने लगा कि माया ने पैसों के लिए किसी दूसरे से शादी की होगी। रोहन ने मुझे अपने बारे में सारी बात बताई और माया दीदी के बारे में भी उसने मुझे बताया मैं चाहती थी कि रोहन माया दीदी से मिले। रोहन और माया दीदी जब आपस में मिले तो वह दोनों एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश हुए दीदी के चेहरे पर भी इतने समय बाद मुस्कुराहट थी और दीदी ने भी रोहन से काफी बात की। रोहन और दीदी के बीच में अब बातें होती रहती थी रोहन पुणे में रहते थे इसीलिए दीदी रोहन से फोन के माध्यम से ही बात किया करते थे। उन दोनों के बीच पहले जैसा ही प्यार शुरु हो चुका था और मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश थी कि रोहन और माया दीदी अब पहले की तरह ही एक दूसरे को प्यार करने लगे हैं जल्द ही वह दोनों एक दूसरे से शादी करने वाले थे। मेरे माता-पिता को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि रोहन एक अच्छी कंपनी में जॉब करते थे और वह अपनी जिंदगी में सेटल थे इसलिए उन्होंने माया दीदी की शादी रोहन से करवाने का फैसला कर लिया था। माया दीदी के चेहरे पर अब वही पुरानी मुस्कुराहट वापस लौटने लगी थी हम सब लोग इस बात से बहुत खुश है कि माया दीदी और रोहन एक दूसरे को प्यार करते हैं और वह दोनों एक दूसरे के साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं।
जल्द ही उन दोनों ने शादी कर ली और माया दीदी की जिंदगी में पहले जैसा ही सब कुछ सामान्य हो गया। माया दीदी जब भी मुझसे बात करती तो हमेशा कहती की यह सब तुम्हारी वजह से ही हुआ है यदि तुम रोहन से मेरी बात नहीं करवाती तो शायद मैं रोहन से कभी भी दोबारा मिल नहीं पाती और रोहन मुझसे अपने दिल की बात नहीं कह पाता। सब कुछ बड़े ही अच्छे से चल रहा था अब रोहन और माया दीदी के जीवन में खुशियां आ चुकी थी मैं हमेशा ही उन दोनों की चेहरे पर खुशी देखती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। मैं दीदी और रोहन के साथ पुणे में ही थी मैं दीदी से मिलने के लिए पुणे गई हुई थी दीदी से मिले हुए मुझे काफी समय हो गया था इसलिए दीदी से मिलकर मैं बहुत खुश हुई। जब मैं माया दीदी और रोहन से मिली तो उस वक्त मेरी मुलाकात अमन के साथ हुई अमन और मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। अमन मुझसे फोन पर बाते किया करता। हम दोनों की फोन पर ही बातें होती थी लेकिन मुझे क्या पता था कि हम दोनों के बीच अब अश्लील बातें भी होने लगेगी। मेरे अंदर जवानी का जोश जागने लगा था। घर पर मैं अकेली ही रहती थी इसलिए कई बार मेरे और अमन के बीच में फोन सेक्स हो जाया करता था। जब पहेली बार अमन ने मुझसे मेरी फिगर का साइज पूछा तो मैं पहले शर्मा रही थी लेकिन आखिरकार मैंने उसे बता ही दिया। जब मैंने उसे अपने फिगर का साइज बताया तो अमन अगली सुबह मुझे कहने लगा तुम जल्दी मुझसे मिलने आओ ना। मैंने अमन को अपनी एक न्यूड फोटो भी भेजी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और अमन ने मुझे बताया कि मैंने आज दो बार तुम्हें देख कर हस्तमैथुन भी किया। वह मेरे बिना रह नहीं पा रहा था मैं भी अमन के लिए तड़प रही थी आखिरकार मैं अमन से मिलने के लिए चली गई। जब मैं अमन से मिलने के लिए गई तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि अमन और मेरे बीच अंतरंग संबंध बनने वाले थे।
अमन ने मेरे होठों पर जैसे ही अपने होठों को टच किया तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी जैसे ही अमन ने मेरे कपड़ों को उतारते हुए मुझे नग्न अवस्था में किया तो मै अमन से कहने लगी अमन थोड़ा धीरे से करो ना अमन मेरे स्तनों को चूस चूस रहा था। उसने मेरे स्तनों से जोर से चूसकर उसका खून भी निकाल दिया था। जैसे ही अमन ने अपने मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर डाला तो मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरी योनि में ना जाने कोई मोटी सी चीज चली गई हो। अमन मुझे बड़ी तेजी से धक्के दे रहा था जिस प्रकार से अमन धक्के मार रहा था उससे मेरा शरीर पूरी तरीके से हिल रहा था। मेरी योनि से खून भी निकलता जाता मैं ज्यादा देर तक उसके धक्को को बर्दाश्त नहीं कर पाई मैने अमन से कहां मुझसे अब तुम्हारे धक्के झेले नहीं जा रही है। अमन कहने लगा कोई बात नहीं मै अपने पैरों को चौड़ा कर लेती और मेरी योनि से लगातार खून बाहर की तरफ को निकल रहा था। अमन अपने लंड को मेरी योनि के अंदर बाहर किए जा रहा था जिससे की मेरे शरीर से पूरा पसीना बाहर की तरफ निकलने लगा था।
अमन भी पसीना पसीना हो चुका था लेकिन जैसे ही अमन ने अपने वीर्य की पिचकारी से मुझे नहला दिया तो मैं जैसा अमन की हो चुकी थी और अमन भी बहुत खुश था। अमन मुझे कहने लगा कविता आई लव यू और यह कहते ही उसने मेरे होठों को दोबारा से चूम लिया। उस दिन मैं अपने दीदी के पास चली गई है मैं माया दीदी के पास गई तो वह कहने लगी आज तुम बडी खुश नजर आ रही हो। मैंने उन्हें कुछ भी नहीं बताया मैंने उन्हें अमन के बारे में कुछ भी नहीं बताया मैं अमन और अपने रिश्ते को किसी के सामने बताना नहीं चाहती थी। मैं चाहती थी कि जब सही समय आएगा तो मै अमन और मेरे रिश्ते के बारे में मैं दीदी को सब कुछ बता दूंगी लेकिन उस दिन तो मेरे चेहरे पर जो खुशी थी उससे मैं बड़े अच्छे से महसूस कर रही थी। उस रात मैंने जब अमन से फोन पर बात की तो वह मुझे कहने लगा तुमने तो आज मुझे अपना बना दिया।
माया दीदी के चेहरे पर कोई मुस्कान ही नहीं थी वह सिर्फ अपने ख्यालों में ही डूबी रहती और उन्हें जैसे किसी से कोई मतलब ही नहीं रहता था। वह तो अब पूरी तरीके से टूट चुकी थी और आखिरकार इस बात से मैं भी परेशान रहने लगी थी पहले माया दीदी और मैं आपस में कितना झगड़ते रहते थे लेकिन अब ना तो वह मुझसे झगड़ा करती और ना ही हम दोनों के बीच में ऐसा कुछ था जिससे कि मैं उन्हें कुछ कह पाती। मैंने उन्हें कई बार खुश करने की कोशिश की लेकिन वह तो जैसे अपने दुखों को अपने आसपास ही समेट कर बैठी हुई थी। किसी से भी वह कोई बात नहीं करती थी जिस वजह से सब लोग घर में परेशान थे। मैंने सोचा कि क्यों ना माया दीदी के पुराने दोस्तों से बात की जाए तो मैंने उनके कुछ पुराने दोस्तों से बात की और उन्हें माया दीदी के बारे में बताया वह लोग भी यह सब सुनकर बहुत दुखी हुए। मुझे लगा कि शायद उनके बात करने से दीदी को अच्छा लगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। दीदी के डिवोर्स का कारण किसी को कुछ भी मालूम नहीं था कि उनका डिवॉर्स क्यों हुआ जीजा जी ने भी इस बारे में कुछ नहीं बताया और ना ही दीदी ने कुछ बताया।
एक दिन मेंरे हाथ दीदी की पर्सनल डायरी लगी हालांकि मैं उसे पढ़ना नहीं चाहती थी लेकिन मैंने जब उसे खोल कर पढ़ना शुरू किया तो उसमें मुझे दीदी के कई राज दिखाई दिए। उसमें दीदी ने लिखा था कि कैसे उन्होंने अपने प्रेमी रोहन का दिल तोड़ा था और उसके बाद उन्होंने शादी का फैसला किया लेकिन उसके बाद उन्होंने जीजा जी को कोई कमी नहीं होने दी। दीदी ने अपनी तरफ से हमेशा उन्हें खुश रखने की कोशिश की लेकिन उनको ससुराल में वह प्यार नहीं मिला जो कि वह चाहती थी और जब उन्हें पता चला कि उनके पति और उनकी भाभी के बीच में कुछ गलत संबंध है तो उससे दीदी का दिल पूरी तरीके से टूट चुका था। इस बात से दीदी को बहुत सदमा लगा और वह घर चली आई जब मैंने उनकी पर्सनल डायरी पड़ी तो मुझे बहुत बुरा लगा और उनके लिए मैं बहुत ही ज्यादा चिंतित रहने लगी थी। आखिरकार मैंने उनसे कह दिया कि दीदी आपको अब जीजा जी को बुलाकर अपने नए जीवन की शुरुआत करनी पड़ेगी उन्होंने अपने प्रेमी को भी ठुकराया था। मैं चाहती थी कि वह दोबारा रोहन से बात करें मुझे रोहन के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था क्योंकि मैं उससे कभी मिली ही नहीं थी और ना ही दीदी ने मुझसे कभी रोहन का जिक्र किया था। मैंने रोहन के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया तो मुझे पता चला कि वह पुणे में जॉब करते हैं मैंने अब रोहन से मिलने का फैसला किया और किसी प्रकार मैंने रोहन का नंबर निकाल लिया। जब मैंने रोहन का नंबर निकाला तो मेरी पहली बार रोहन से बात हुई मैंने जब रोहन को दीदी के बारे में बताया तो वह बहुत ज्यादा दुखी हो गया और कहने लगा मैं एक बार तुमसे मिलना चाहता हूं। मैंने रोहन से मिलने का फैसला कर लिया था क्योंकि मैं चाहती थी कि रोहन से मैं मिलूं और सब कुछ पहले जैसा हो जाए इसी के लिए मैंने रोहन से मिलने का फैसला किया था।
मैंने जब उसे दीदी के बारे में बताया तो वह यह सुनकर बहुत दुखी हुआ और कहने लगा मुझे नहीं पता था कि माया ने अपने माता पिता के लिए इतना बड़ा बलिदान दिया और उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया मैं उसे धोखेबाज समझता रहा लेकिन मैं गलत था मैं सोचने लगा कि माया ने पैसों के लिए किसी दूसरे से शादी की होगी। रोहन ने मुझे अपने बारे में सारी बात बताई और माया दीदी के बारे में भी उसने मुझे बताया मैं चाहती थी कि रोहन माया दीदी से मिले। रोहन और माया दीदी जब आपस में मिले तो वह दोनों एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश हुए दीदी के चेहरे पर भी इतने समय बाद मुस्कुराहट थी और दीदी ने भी रोहन से काफी बात की। रोहन और दीदी के बीच में अब बातें होती रहती थी रोहन पुणे में रहते थे इसीलिए दीदी रोहन से फोन के माध्यम से ही बात किया करते थे। उन दोनों के बीच पहले जैसा ही प्यार शुरु हो चुका था और मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश थी कि रोहन और माया दीदी अब पहले की तरह ही एक दूसरे को प्यार करने लगे हैं जल्द ही वह दोनों एक दूसरे से शादी करने वाले थे। मेरे माता-पिता को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि रोहन एक अच्छी कंपनी में जॉब करते थे और वह अपनी जिंदगी में सेटल थे इसलिए उन्होंने माया दीदी की शादी रोहन से करवाने का फैसला कर लिया था। माया दीदी के चेहरे पर अब वही पुरानी मुस्कुराहट वापस लौटने लगी थी हम सब लोग इस बात से बहुत खुश है कि माया दीदी और रोहन एक दूसरे को प्यार करते हैं और वह दोनों एक दूसरे के साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं।
जल्द ही उन दोनों ने शादी कर ली और माया दीदी की जिंदगी में पहले जैसा ही सब कुछ सामान्य हो गया। माया दीदी जब भी मुझसे बात करती तो हमेशा कहती की यह सब तुम्हारी वजह से ही हुआ है यदि तुम रोहन से मेरी बात नहीं करवाती तो शायद मैं रोहन से कभी भी दोबारा मिल नहीं पाती और रोहन मुझसे अपने दिल की बात नहीं कह पाता। सब कुछ बड़े ही अच्छे से चल रहा था अब रोहन और माया दीदी के जीवन में खुशियां आ चुकी थी मैं हमेशा ही उन दोनों की चेहरे पर खुशी देखती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। मैं दीदी और रोहन के साथ पुणे में ही थी मैं दीदी से मिलने के लिए पुणे गई हुई थी दीदी से मिले हुए मुझे काफी समय हो गया था इसलिए दीदी से मिलकर मैं बहुत खुश हुई। जब मैं माया दीदी और रोहन से मिली तो उस वक्त मेरी मुलाकात अमन के साथ हुई अमन और मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। अमन मुझसे फोन पर बाते किया करता। हम दोनों की फोन पर ही बातें होती थी लेकिन मुझे क्या पता था कि हम दोनों के बीच अब अश्लील बातें भी होने लगेगी। मेरे अंदर जवानी का जोश जागने लगा था। घर पर मैं अकेली ही रहती थी इसलिए कई बार मेरे और अमन के बीच में फोन सेक्स हो जाया करता था। जब पहेली बार अमन ने मुझसे मेरी फिगर का साइज पूछा तो मैं पहले शर्मा रही थी लेकिन आखिरकार मैंने उसे बता ही दिया। जब मैंने उसे अपने फिगर का साइज बताया तो अमन अगली सुबह मुझे कहने लगा तुम जल्दी मुझसे मिलने आओ ना। मैंने अमन को अपनी एक न्यूड फोटो भी भेजी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और अमन ने मुझे बताया कि मैंने आज दो बार तुम्हें देख कर हस्तमैथुन भी किया। वह मेरे बिना रह नहीं पा रहा था मैं भी अमन के लिए तड़प रही थी आखिरकार मैं अमन से मिलने के लिए चली गई। जब मैं अमन से मिलने के लिए गई तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि अमन और मेरे बीच अंतरंग संबंध बनने वाले थे।
अमन ने मेरे होठों पर जैसे ही अपने होठों को टच किया तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी जैसे ही अमन ने मेरे कपड़ों को उतारते हुए मुझे नग्न अवस्था में किया तो मै अमन से कहने लगी अमन थोड़ा धीरे से करो ना अमन मेरे स्तनों को चूस चूस रहा था। उसने मेरे स्तनों से जोर से चूसकर उसका खून भी निकाल दिया था। जैसे ही अमन ने अपने मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर डाला तो मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरी योनि में ना जाने कोई मोटी सी चीज चली गई हो। अमन मुझे बड़ी तेजी से धक्के दे रहा था जिस प्रकार से अमन धक्के मार रहा था उससे मेरा शरीर पूरी तरीके से हिल रहा था। मेरी योनि से खून भी निकलता जाता मैं ज्यादा देर तक उसके धक्को को बर्दाश्त नहीं कर पाई मैने अमन से कहां मुझसे अब तुम्हारे धक्के झेले नहीं जा रही है। अमन कहने लगा कोई बात नहीं मै अपने पैरों को चौड़ा कर लेती और मेरी योनि से लगातार खून बाहर की तरफ को निकल रहा था। अमन अपने लंड को मेरी योनि के अंदर बाहर किए जा रहा था जिससे की मेरे शरीर से पूरा पसीना बाहर की तरफ निकलने लगा था।
अमन भी पसीना पसीना हो चुका था लेकिन जैसे ही अमन ने अपने वीर्य की पिचकारी से मुझे नहला दिया तो मैं जैसा अमन की हो चुकी थी और अमन भी बहुत खुश था। अमन मुझे कहने लगा कविता आई लव यू और यह कहते ही उसने मेरे होठों को दोबारा से चूम लिया। उस दिन मैं अपने दीदी के पास चली गई है मैं माया दीदी के पास गई तो वह कहने लगी आज तुम बडी खुश नजर आ रही हो। मैंने उन्हें कुछ भी नहीं बताया मैंने उन्हें अमन के बारे में कुछ भी नहीं बताया मैं अमन और अपने रिश्ते को किसी के सामने बताना नहीं चाहती थी। मैं चाहती थी कि जब सही समय आएगा तो मै अमन और मेरे रिश्ते के बारे में मैं दीदी को सब कुछ बता दूंगी लेकिन उस दिन तो मेरे चेहरे पर जो खुशी थी उससे मैं बड़े अच्छे से महसूस कर रही थी। उस रात मैंने जब अमन से फोन पर बात की तो वह मुझे कहने लगा तुमने तो आज मुझे अपना बना दिया।