मेरे छत पर पहले स्वर्गी भाव

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हाई दोस्तों,

निल्ली मेरे जीवन की बहुत बड़ी श्योग्वान रही है और मैंने भी उसके इतने बड़े कार्य में अपनी तरफ से खूब इनाम भी दिया है | वो बचपन से ही मेरे साथ पली बड़ी थी और मेरे साथ ही घर के बाजु में रहा करती थी | मैं उसकी चुत का आशिक अब ना जाने कब बन पड़ा यह तो मुझे भी नहीं पता चला पर बस मैं इतना जानता हूँ की जब हम अपनी जवानी में कदम रख रहे थे तो अक्सर ही मेरी नज़र उसकी स्कर्ट के नीचे से दिख रही मोटी - मोटी जाँघों को देख फिसल जाया करती थी जिसपर मैं मैं बस अपने होठों को मिस मिसाकार रह जाया करता था | मेरा पहला कदम ही मुझे उसकी चुत के स्वर्ग में ले आया जोकि मैंने मैंने उसे छत पर कुछ दिखाते हुए उसकी मोटी - मोटी जाँघों पर दिराना चालू कर दिया जिसपर उसने भी मेरे हाथों को पकड़ उसकी जाँघों को दबोचने की अनुमति देकर सहयोग किया | मैंने कामुक नशे का रहर उसने गुबरीले बदन पर असर होने लगा |

मैंने आज पहली बार उसकी स्कर्ट के अंदर अपने अपने हाथों को पहुंचा दिया और उसकी पैंटी के उप्पर से उसकी चुत में ही देने की कोशिश करने लगा | वो बेचैन होती हुई मुझे आँख मार रही थी और फिर मेरी पैंट के बटन खोल मेरे लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी | मैंने भी अब उसकी स्कर्ट को उतार दिया और वहीँ ठन्डे गरज अपर गर्म हो चुकी निल्ली को लेटा दिया | मैं अब मस्कारी दिखाता हुआ उसके उप्पर चड गया और अपना हाथ उसकी चुत के उप्पर नचाता हुआ उसकी पैंटी को भी उतार दिया | मैंने उसके टॉप को पहले से निकाल दिया और अब उसके होंठों को चुमते हुए उसके चुचों को मसलने लगा | कुछ देर बाद मैंने उसकी चुत में भी उन्ग्लिबाजी करनी चालू कर दी जिसपर वो सिसकियाँ भरने लगी थी |

मैंने अब अपने लंड को बहार निकालकर मसलका उसके हाथ में देते हुए मसलने को कहा जिसपर वो कसके मसलने लगी | अब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने उसकी चुत पर अपने लंड को टिका दिया और अपनी गांड को कुद्काते हुए उसकी चुत को मारने लग | उससे शुरुआत में तो हल्का - फुल्का दर्द हो रहा था जोकि मेरी उत्सुकता को भी बढ़ावा दे रहा था और कुछ बार मेरी बढती गति और उसके खो चुके होश के आगे उसके दर्द ने भी हार मान ली और उसके बाद तो हम जैसे जंगली जानवर की तरह एक दूसरे से लिपट कर नीचे अपनी गांड को हिलाने लगे | वो चुत - चुदाई का मज़ा अपरम्पार था और मेरी गांड लगातार उसकी चुदाई में खोती ही जा रही थी |

मैंने पहले तो काफी देर उसी मुद्रा में उसके बजाये रखी फिर कुछ देर बाद मैंने उसकी दोनों टांगों को टेबल के उप्पर चढाते हुए नीचे से उसकी चुत के रस को चाटता और फिर दीरे से अपने लंड को भी उसकी चुत में घुसा देते जिसपर अब हम दोनों को बड़ा ही अतरंगी मज़ा आ रहा था | इस तरह की अतरंगी चुदाई अब मैंने रोज ही करनी चालू कर दी और वो हर बार मेरे मुठ को अपने मुंह में निगल जाया करती है |
 
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