मेरे साथ चलोगी क्या?

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Kamukta, antarvasna मेरा नाम गोविंद है हम लोग घूमने के लिए शिमला गए जब हम लोग शिमला पहुंचे तो वहां का मौसम और वहां की वादियो को देख कर हम खुश हो गए। वैसे तो मैं शिमला इससे पहले भी तीन-चार बार आ चुका था लेकिन इस बार अपने दोस्तों के साथ आना बड़ा ही मजेदार था पहले मैं अपनी फैमिली के साथ में आया था और जब मैं शिमला पहुंचा तो मेरे दोस्त लोग कहने लगे यार यहां पर तो बहुत ही जन्नत है और वाकई में मजा आ रहा है। उस दिन हल्की बूंदाबांदी भी हो रही थी और मौसम भी बड़ा खुशनुमा था हम सब दोस्तों ने बहुत एंजॉय किया और हम लोगों ने वहां पर काफी अच्छा समय बिताया। शिमला घूमने के दौरान मेरी मुलाकात माधव से भी हुई माधव उसी होटल में रुका हुआ था जिसमें हम लोग रुके हुए थे माधव की उम्र भी बिल्कुल हमारी जितनी हीं थी लेकिन उसकी शादी हो चुकी थी और वह अपनी पत्नी के साथ आया हुआ था उसने अपनी पत्नी से भी हमें मिलवाया माधव के साथ मेरी अच्छी दोस्ती हो गई।

माधव चंडीगढ़ का रहने वाला है इसलिए मैंने माधव से कहा चलो तुमसे चंडीगढ़ में मुलाकात होती रहेगी तुम्हे जब भी मेरी मदद की जरूरत हो तो तुम मुझे जरुर याद करना चंडीगढ़ में मेरा डिपार्टमेंटल स्टोर है और माधव ने मुझे कहा बिल्कुल जब भी मुझे तुम्हारी जरूरत होगी तो जरूर तुम्हें याद करूंगा। हम लोग शिमला से वापस चंडीगढ़ आ चुके थे और करीब एक महीने बाद मुझे माधव मिला मुझे माधव मिला तो मैंने उससे पूछा तुम कहां से आ रहे हो वह कहने लगा मैं अभी ऑफिस से आ रहा हूं। माधव ने मुझे बताया शिमला का टूर बड़ा ही अच्छा रहा मैंने उसे कहा हम लोगों ने भी वहां बहुत इंजॉय किया था और अब यहां काम पर लग चुके हैं माधव कहने लगा काम भी तो एक जीवन का अहम हिस्सा है यदि मेहनत नहीं करेंगे तो कुछ मिलने वाला नहीं है माधव की बात से मैं बहुत इंप्रेस था और उसे मैंने कहा कभी तुम दुकान से कुछ सामान ले जाया करो जब भी तुम्हें सामान चाहिए होता है तो तुम मुझे बता देना मैं तुम्हें उस में डिस्काउंट दे दिया करूंगा। माधव की फैमिली काफी बड़ी है इसलिए वह मेरे पास ही सामान ले जाने लगा मैं उसे सामान पर ठीक-ठाक डिस्काउंट दे दिया करता था क्योंकि उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी इसलिए मैं माधव से कभी भी कमाने की नहीं सोचता था मुझे यह मालूम नहीं था कि किस में काम करता है।

एक दिन माधव मेरे पास आया हुआ था मैंने उसे कहा यार मैं सोच रहा था दुकान में थोड़ा और सामान बढ़ाने की लेकिन मेरे पास अभी पैसे की तकलीफ है तो क्या कोई तुम्हारा जान पहचान का है जो मुझे लोन दिलवा सके मैंने जब माधव से यह बात कही तो माधव मुझे कहने लगा गोविंद तुम कैसी बात कर रहे हो तुम्हारे सामने मैं बैठा हूं और मैं हीं यह सब काम संभालता हूं। मैंने जब माधव के मुंह से यब बात सुनी तो मैंने उसे कहा चलो यह तो बहुत अच्छा हुआ कि तुमसे मेरी जान पहचान पहले से ही है मैंने माधव को सारी बात बताई क्योंकि जिस जगह पर मैं अपना काम कर रहा हूं वह जगह भी मेरी है और वहां पर हम लोग काफी समय से काम कर रहे हैं माधव ने मुझे कहा तुम मुझे अपने डॉक्यूमेंट दे देना ताकि मैं तुम्हारी फाइल आगे भेज सकूं मैंने उसे अपने सारे डाक्यूमेंट्स दे दिए और उसके बाद मेरा लोन भी पास हो गया। मेरा जब लोन पास हुआ तो मैंने माधव से कहा यार तुम्हारी वजह से ही मेरा लोन पास हो पाया है माधव कहने लगा नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है दरअसल तुम्हारी फाइल बहुत ही अच्छी थी और तुम्हारा रिकॉर्ड भी बहुत अच्छा है इसलिए तुम्हें जल्दी लोन मिल गया। अब मैंने अपनी दुकान में और सामान रखवा लिया था मेरा काम तो अच्छा चलता ही है उसी दौरान हमारे घर में एक छोटा सा फंक्शन भी था मेरे पापा मुझे कहने लगे बेटा तुम अपने दोस्तों को भी बुला लेना। दरअसल मेरे पापा की शादी को 50 साल होने वाले थे इसलिए वह चाहते थे कि एक छोटी सी पार्टी रखी जाये और उसमें सब लोगों को बुलाया जाए मैंने माधव की फैमिली को भी इनवाइट किया मैं माधव की पत्नी से भी मिला था और मुझे उसके परिवार में कोई भी नहीं जानता था लेकिन माधव से मैंने कहा था कि तुम्हें अपने पूरे परिवार को पापा की पार्टी में लेकर आना है वह कहने लगा ठीक है मैं अपने पूरे परिवार को ले आऊंगा।

मैंने अपने और दोस्तों को भी इनवाइट किया हुआ था हम लोगों ने एक होटल बुक कर लिया था और वहां पर सारा अरेंजमेंट किया था जिस दिन पार्टी थी उस दिन मेरे और दोस्त भी आए हुए थे। माधव अपनी फैमिली के साथ आया हुआ था मधव की पत्नी और उसके मम्मी पापा आए हुए थे माधव मुझे कहने लगा मैं तो अपनी पूरी फैमिली को ले आया मैंने उसे कहा लेकिन तुम्हारी फैमिली तो काफी बड़ी है वह कहने लगा यदि मैं पूरी फैमिली को लाता तो वह भी ठीक नहीं था लेकिन मैं अपनी पत्नी और पापा मम्मी को ले आया हूं। मैंने उसे अपने पापा मम्मी से मिलवाया मेरे पापा माधव से कहने लगे गोविंद तुम्हारी बहुत बात किया करता है माधव कहने लगा हां कल हम लोग तो शिमला में मिले थे और उस वक्त ही हमारी दोस्ती हुई थी उसके बाद तो मेरी गोविंद के साथ अच्छी दोस्ती हो गई और हम दोनों अब अच्छे दोस्त हैं। उसके बाद हम लोग पार्टी का इंजॉय करने लगे मेरे साथ माधव और उसकी पत्नी थी। पार्टी बड़ी ही जोर शोरो से चल रही थी पापा मम्मी ने केक काटा तो सब लोगों ने बहुत तालियां बजाई और मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि पापा मम्मी का रिलेशन बहुत ही मजबूत है उन लोगों ने अपनी शादी के इतने साल बाद भी आज तक कभी एक दूसरे से झगड़ा नहीं किया और हमेशा ही एक दूसरे से वह लोग बहुत प्यार करते हैं।

मैंने जब यह बात माधव और उसकी पत्नी को बताई तो वह कहने लगे आजकल ऐसा रिलेशन कहां चल पाता है दरअसल आपस में अनबन तो रहती ही है लेकिन तुम्हारे पापा मम्मी को देखकर तो बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा कि उन्होंने शादी के इतने साल एक साथ बहुत ही अच्छे से बताएं हैं। पार्टी बहुत ही अच्छे से हुई और उसके बाद अगले दिन जब मैं अपने काम पर था मैं अपने डिपार्टमेंटल स्टोर में ही बैठा हुआ था और वहां पर कुछ कस्टमर आये वह लोग मेरे स्टाफ के साथ बदतमीजी करने लगे मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की तो वह लोग मुझ पर ही आग बबूला हो गए। मैंने उन्हें पूछा आखिर मामला क्या है तो मुझे पता चला उन्होंने जो सामान लिया था उसमें कोई गलत स्टीकर लगा हुआ था जिसमें की दाम थोड़ा बढ़ कर लिखे हुए थे मैंने अपने स्टाफ को डांटते हुए कहा तुम्हें मुझे बताना चाहिए था ऐसे में कस्टमर खराब हो जाते हैं और वह लोग दोबारा नहीं आते। मैंने उनसे माफी मांगी और उनसे कहा आज के बाद कभी ऐसा नहीं होगा परंतु वह लोग शायद दोबारा कभी मेरे पास नहीं आने वाले थे क्योंकि जिस प्रकार से उनके साथ हुआ शायद उनकी जगह मैं होता तो मैं भी कभी उस जगह नहीं जाता मुझे इस बात का बहुत ज्यादा बुरा लगा। माधव मुझे शाम को मिला तो मैंने माधव को सारी बात बताई वह कहने लगा ऐसा तो होता रहता है तुम चिंता मत करो एक कस्टमर जाएगा तो दूसरा आ जाएगा कोई टेंशन वाली बात नहीं है। माधव कहने लगा यार तुम शादी कर लो तुम कब शादी करोगे मैंने उसे कहा बस कुछ दिनों बाद शादी के बारे में सोच लूंगा उसने मुझे कहा तुम इसमें कुछ दिन बाद क्या सोचोगे तुम जल्दी से शादी कर लो और अपने जीवन को आगे बढ़ाओ परंतु मुझे ऐसी कोई भी लड़की अभी तक पसंद नहीं आई थी जिससे कि मैं शादी कर पाऊं या उससे कभी शादी के बारे में सोचू। एक दिन मुझे माधव की बुआ की लड़की को माधव ने मुझसे मिलवाया वह मुझे बहुत सुंदर लगी और उसका नेचर मुझे बड़ा अच्छा लगा। मैं माधव से इस बारे में बात नहीं कर सकता था परंतु मेरे लिए यह अच्छी बात थी कि माधव की बहन हमारे पड़ोस में ही रहती थी और वह लोग कुछ समय पहले ही हमारे पड़ोस में शिफ्ट हुए थे इसलिए माधव मुझे हमेशा कहता था कि यदि उसे कभी कोई मदद चाहिए हो तो तुम उसे मदद कर देना।

मैं हमेशा उसकी बहन रागिनी से मिला करता था वह हमारे स्टोर से सामान लेकर जाया करती थी जब रागिनी मेरे पास आती तो मुझे उसे देखकर एक अलग ही फिलींग होती, एक दिन मैंने उसे कहा क्या तुम आज मेरे साथ घूमने चलोगी वह मान गई और मुझे कहने लगी हां मैं तुम्हारे साथ चलूंगी। हम दोनों साथ में उस दिन चले गए लेकिन मेरा मन तो उसके साथ सेक्स करने का था और मैं उस दिन पूरे मूड में था मैंने रागिनी के होठों को किस किया तो उसे अजीब सा महसूस हुआ लेकिन मैंने उसके होठों को बड़े अच्छे से किस किया जिससे कि वह मुझसे सेक्स करने के लिए मान गई। वह कहने लगी हम लोग कहीं चलते हैं मैं उसे अपने दोस्त के घर ले गया और वहां जब मैंने उसे नंगा किया तो उसके बदन को देखकर मैं अपने आपको ना रोक सका मैं उसकी चूत मारने के लिए तैयार हो गया।

मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाते हुए अंदर की तरफ धकेल दिया मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हो चुका था उसके मुंह से बहुत तेज सिसकिया निकलती और उसकी योनि से खून का बहाव मेरे लंड की तरफ को निकालने लगा उसकी योनि से इतना ज्यादा खून बह चुका था कि वह तेज सिसकियां ले रही थी। उसकी सिसकियो में भी एक अलग जोश होता मैं उसे लगातार तेजी से धक्के दे रहा था। जब मेरा वीर्य पतन रागिनी की योनि में हुआ तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ और वह भी बहुत खुश थी। मैंने रागिनी से शादी करने के बारे में सोच लिया था मैंने इस बारे में माधव को भी बता दिया था माधव ने कहा इसमें कोई भी दिक्कत नहीं है यदि तुम रागिनी से प्यार करते हो तो मैं उसके पापा से बात कर लूंगा। माधव ने उसके पापा से बात की और वह लोग हमारी शादी को लेकर मान गए।
 
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