मौसी चूत में बोतल डाल रही थी - [भाग 1]

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Dost ki mausi ki pyasi chut ki chudai ki

दोस्तों मेरा नाम समीर हैं और मैं गुजरात के एक मीडियम शहर से हूँ. ये कहानी मेरे एक दोस्त अनुराग की मौसी की हैं जिसका नाम अनन्या हैं. मेरा यह दोस्त एक नम्बर का शराबी हैं और वो अपनी मौसी के घर में किराये से रहता हैं. उसके मौसा जी एक सरकारी मुलाजिम हैं और वो अपनी बीवी से कुछ १०-१२ साल बड़े हैं. मैं भी अक्सर शराब पिने के लिए अपने इस दोस्त के घर पर जाता हूँ. और यह सुनहरी शाम का मज़ा भी मुझे ऐसी ही एक शराब पार्टी से मिला. तो आप भी पढ़े की कैसे मुझे ये चूत मिली.

उस दिन मेरे दोस्त को ऑफिस में किसी ने व्हिस्की की पूरी बोतल दी थी और ऑफिस से निकल के उसने मुझे कॉल किया.

अनुराग: हल्लो, कहा हैं बे?

मैं: मैं यहाँ बाजार आया हूँ सब्जी लेने के लिए.

अनुराग: अबे चल बोतल मिली हैं पूरी, सब्जी छोड़ और चिकन तंदूरी ले के आजा मेरे कमरे पर.

मैं: साले तू बिना बताये ही सब प्लान कर लेता हैं.

अनुराग: अबे मुझे भी किसी ने एकदम से दे दी बोतल इसलिए मैंने तुझे कॉल किया.

मैं: चल मैं चखना और चिकन ले के आता हूँ.

२० मिनिट के बाद जब मैं उसके कमरे पर गया तो उसकी मौसी अनन्या बहार हॉल में बैठी हुई थी. मुझे उसने घिन नजरों से देखा जैसे की मैं फिर से उसके भांजे को ख़राब करने के लीए आ गया था. मैंने नमस्ते कहा तो उसके चहरे पर ऐसी स्माइल आई जैसे जबरदस्ती हंस रही थी. मैंने देखा की आज अंकल जी थे नहीं. मैं ऊपर अनुराग के कमरे में गया तो मैंने देखा की उसने आलरेडी ग्लास निकाल रखे थे और बर्फ के टुकड़े भी ले आया था वो. मैंने एल्युमिनियम फॉयल से चिकन निकाला और चखने के पेकेट भी निचे टेबल पर रख दिए.

१० मिनिट के बाद तो अनुराग अपने हलक के नीचे आलरेडी दो पेग उतार चुका था. इस बड़ी व्हिस्की की बोतल वो आज जैसे खत्म करने के मुड में ही था. मैं स्लो ड्रिंकर हूँ इसलिए मेरा तो पहला पेग भी अभी आधा नहीं हुआ था. चिकन के टुकड़े को मुहं में दबाते हुए अनुराग बातें कर रहा था और उसने मुझे बताया की उसे मौसा ही किसी काम से बहार गए हैं और कल सुबह से पहले नहीं आयेंगे. मैंने पहले तो इस बात पर कुछ गौर नहीं किया, मुझे नहीं पता था की कुछ देर में ऐसा कुछ होगा जिस से मुझे एक अलग ही सोच और दिशा मिलेगी चुदाई की दुनिया की.

अनुराग पी के टूल सा हो चूका था. मैंने कहा मैं मूत के आता हु तो वो बोला, निचे जाना ऊपर का फ्लश खराब हैं और साला प्लम्बर आया नहीं.

मैं सीड़ियों से उतर कर निचे आया तो देखा की हॉल में नाईट लेम्प जला हुआ था. और मौसी अपने कमरे में थी शायद. मैं बाथरूम की तरफ बढ़ा और मुझे हलके से सिसकियों की आवाज आई. मैंने सोचा की कहा से आई ये आवाज? क्या वो मेरा भ्रममात्र था. मैं फिर से कदम आगे बढ़ा गया की फिर से सिसकियाँ सुनी. अब मैंने कान खड़े कर के सुना तो हलकी हलकी वो सिसकियाँ मौसी के कमरे से आ रही थी. मेरी जिज्ञासा के चलते मैंने जब की-होल से अन्दर देखा तो सन्न हो गया. मौसी अपने बिस्तर के ऊपर नंगी बैठी थी और उसने अपनी चूत में कोकाकोला की बोतल का मुहं भर के रखा हुआ था. और पीछे से वो बोतल के भाग को घुमा के चूत को तृप्त कर रही थी. मस्त सिन था जिसे देखते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया. मैंने दरवाजे के ऊपर दस्तक दी, मौसी के होश उड़ गए. मैं देख रहा था की वो फट से खड़ी हुई और अपना नाईट स्यूट पहन के दरवाजे पर आ गई. उसने दरवाजा खोला और मुझे पाया.

उसने कडक स्वर में कहा: क्यूँ आये हो यहाँ? जाओ ऊपर अपने शराबी दोस्त के पास!

मैंने कहा: मैं तो आप को यह कहने के लिए आया था की कोकाकोला की बोतल से बढिया चीज हैं मेरे पास.

यह सुन के मौसी के माथे पर सलवटे सी खिंच गई. वो जान गई की मैंने उसका मेट्नी शो देख लिया था. वो कुछ कहती उसके पहले मैंने कहा, मौसा और अनुराग को कुछ पता नहीं चलेगा आप कहो तो मैं अनुराग को सुला के आता हूँ.

अब मौसी थोड़ी ढीली और शांत हुई और बोली, किसी को पता तो नहीं चलेगा ना?

मैंने कहा, अरे कहा तो की किसी को पता नहीं चलेगा भाई.

नाईटस्यूट में ही मैंने मौसी के बूब्स दबाये और फिर मुतने के बाद ऊपर आ गया अनुराग के पास, उसने और एक नया पेग बना लिया था. उसकी जबान लडखडा चुकी थी और अब मैंने और शराब नहीं पी. अनुराग का पेग खत्म हुआ और शराब भी. मैंने उसे कहा चल सो जा मैं भी चलता हूँ. उसे बेड पर लिटा के मैं निचे आ गया. मौसी के कमरे पर हलके से दस्तक दी तो वो प्यासी चूत वाली आंटी ने फट से दरवाजा खोला और मैं अन्दर चला गया. मौसी को वही दरवाजे के पास मैंने खिंच के अपनी बाहों में ले लिया और उसकी जांघो पर मेरा कडक लंड टच हो गया. मैंने फट से अपना हाथ उसके निचे डाला तो चूत को गिला पाया. आंटी ने नाईट स्यूट के निचे कुछ नहीं पहना था. मैंने फट से अपनी उंगलिया उनकी चूत में डाल के उन्हें गन्दी कर दी. कोक की बोतल ने अपना काम कुछ हद तक दिखाया हुआ था.

मौसी ने मुझे गर्दन से पकड़ लिया और अपनी तरफ खिंच के बोली, चलो इसे चाटो न.

मैंने कहा, आप को भी मेरा मुहं में लेना पड़ेगा.

फिर हम दोनों फट से नंगे हो गये और मौसी ने मुझे बेड में धकेल दिया. वो मेरे ऊपर आ गई और अपनी गांड को मेरे मुहं के एकदम ऊपर रख के बैठ गई. फिर उसने आसन सही कर के मेरे लौड़े को अपने मुहं में भर लिया. मैं भी उसकी चूत की फांक को और दाने को अपनी जबान से नचाने लगा था. मौसी एक नम्बर की लंड चूस एक्सपर्ट निकली और मेरा पूरा लंड अन्दर ले के उसे चुस्से लगाने लगी थी. देखते ही देखते उसने लंड को ऐसे कर दिया की उसे चूत नहीं मिली तो वो मर जाएगा!

मैंने भी चूत के दाने को जबान से पिगला सा दिया था और अब वो बोली, चलो जल्दी से मुझे छोड़ो अब मेरे से बर्दास्त नहीं होता है.

मौसी को मैंने घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड उसकी चूत में आरपार करने के लिए रख दिया. मौसी की मच्योर चूत ढीली थी और लंड घुसाने में कोई दिक्कत नहीं हुई मुझे. मौसी को मैंने कंधो से पकड़ लिया और फिर पीछे से झटके मार मार के उसकी चूत का मुरब्बा बना देना चाहा. लेकिन मौसी की चूत में लंड को ले लेने की अजब सी ताकत थी. मैं झटके दे दे के थक सा गया था लेकिन वो नहीं थकी थी मेरे लंड को ले के.. दोस्तों मौसी की गांड भी मैंने मारी थी, लेकिन बाकी का सब किस कहानी के अगले भाग में ख़तम होगा!
 
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