यार की आकर्षक बीवी बनी मेरी महबूबा

sexstories

Administrator
Staff member
मैं विजय आज आपको और सुषमा की कहनी सुनाने जा रहा हूँ जोकि मेरे यार की ही आकर्षक बीवी थी | दोस्तों मैं अपने यार की बीवी यानी सुषमा को अपने कॉलेज के दिनों से जानता था और यह भी जानता था की वो मुझपर मर करती थी | अब उसकी मेरे जिगरी यार के साथ हो चुकी थी पर अब भी उसकी नज़र में मेरे लिए वही एहमियत थी | मेरी बीवी से मैं वैसे भी तंग आ चु़क था इसीलिए यार की आकर्षक बीवी से मिला रहे भाव की ओर मैं भी आकर्षित होता चला गया | मैं अब तो मोटी गांड को लेकर चलते हुई चाल पर और फ़िदा हो गया था और जानता था की उसकी बीवी को चोदने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आयगा |

मेरे यार ने अब अपनी बीवी से भी कई बार घर बुलाकर भी मुलाकात करा चुकी थी अपनी बीवी से और अब मैं चुपके - चुपके उसके घर पर ना होने पर सुषमा से मिलने लगा था | धीरे - धीरे सबकी नाक के नीचे हमारा रिश्ता भी पनपना शुर हो चूका था | अब हम एक साथ ही अपने हाथों को हाथ में डाल बातें किया करते थे | मैंने अब एक दिन पुरे मुड में आते हुए उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके कोमल होठों को चूसते हुए उसके मोटे चुचों को ब्लाउस के उप्पर से ही मसलते हुए दबाने लगा | मैंने कुछ ही देर में उसकी लाल साडी को खोल डाला और अपने सामने नंगी कर दिया था |

मैंने कुछ देर सुषमा के लबों को चूसा फिर अब उसकी चुत में अपने लंड को टिकाते हुए झटके देता चला गया | मैंने बीच में आराम करते हुए उसकी चुत को चाटा और अपनी ऊँगली उसकी गांड में में धंसाने लगा जिसपर सुषमा उत्तेजित कर देने वाली सिसकियाँ लेती हुई चिल्ला रही थी पर मैं भी बेरहम बनते हुए उसके गांड में अपने दो से तीन उंगलियां डालने लगा और साथ ही कुछ देर बाद मैंने सुषमा की गांड में अपने लंड को डाल दिया | लंड के घुसते ही सुषमा की कसके चींख निकला पड़ी | अब मैंने कुछ देर शान्ति भरा माहोल बरकरार किया जिसके कुछ देर बाद मैंने देखते ही देखते सुषमा की गांड में अपने लंड को भी रौन्धाना शुर कर दिया |

लंड के ऐसे वारों के कुछ देर बाद ही मेरे लंड का मुठ निकल पड़ा | मैं अब पूरी तरह से थक चूका था | उसके बाद मैंने अपने लंड को सुषमा के मुंह में डाल दिया और वो अपने मुंह जल्दी से उसे चूसते हुए अंदर - बहार करने लगी | मैंने उस दिन उसकी हरा मुद्रा में आकर्षक चुत मारी जिसपर मेरी सबसे पसंदीदार कुतिया वाली मुद्रा में रही | मैंने उस मुद्रा में उसकी चूतडों को लगभग फाड़ ही दिया था | मैंने दर्द से मेरे सामने कराह रही थी जिसपर मैं और भी एमजे से तर्र हो रहा था | इतनी देर की भारी चुदाई के बाद मैंने पहली बार अपने मुठ को खुशी मन से छोड़ा था | मैंने उसके पुरे मुंह को भीगा दिया जिसे वो अपनी जीभ को लहराकर चाट रही थी लपालप |
 
Back
Top