योनि में मोटा लंड घुसाया

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Hindi sex kahani, antarvasna: मैं और रोहित कुछ दिनों के लिए शिमला घूमने के लिए चले गए थे। हम लोग शिमला में कुछ दिनों तक रहे और फिर वहां से हम लोग वापस लौट आए थे। शिमला में रोहित के चाचा जी का होटल है इसलिए हम लोग वहां पर अक्सर घूमने के लिए चले जाया करते हैं। हम लोग वहां पर कुछ दिनों तक रहे फिर हम लोग वहां से वापस लौट आए। जब हम लोग घर वापस लौटे तो मैं अपने काम में बिजी हो चुका था। मैं अपने पिताजी के काम को संभाल रहा हूं। मेरे पापा गारमेंट शॉप चलाते हैं और वह पिछले 30 वर्षों से गारमेंट शॉप चला रहे हैं। अब मैं काम संभालने लगा था और सब कुछ अच्छे से चल रहा है। एक दिन मैं और मेरे पापा दुकान में बैठे हुए थे उस दिन पापा ने मुझे कहा बेटा आज मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं घर जा रहा हूं। मैंने पापा से कहा ठीक है पापा आप घर चले जाइए। पापा घर चले गए थे पापा घर जा चुके थे। जब वह घर गए तो मैं उस दिन दुकान का काम संभाल रहा था।

मैं उस दिन रात को घर पहुंचा तो उस दिन 10:00 बज रहे थे। पापा अपने कमरे में आराम कर रहे थे। मैंने पापा से पूछा अब आपकी तबीयत कैसी है तो वह कहने लगे अब पहले से बेहतर महसूस कर रहा हूं। पापा और मैं थोड़ी देर बैठे रहे फिर मां ने कहा मैं तुम लोगों के लिए खाना बना देती हूं। मां ने उस दिन खाना नहीं बनाया था मैंने मां से कहा नहीं मां रहने दो आज हम लोग खाना बाहर से ही मंगवा लेते हैं। हम लोगों ने खाना बाहर से ही मंगवा लिया था। उस दिन हम लोगों ने खाना बाहर से ही ऑर्डर किया मैं अब अपने रूम में लेटा हुआ था। उस दिन मैंने अपने दोस्त रवि से बात की मैं काफी दिनों बाद फोन पर रवि से बातें कर रहा था। उससे मेरी बात थोड़ी देर तक हुई और रवि ने मुझसे कहा मैं तुमसे मिलना चाहता हूं। मैंने रवि को कहा ठीक है। मैं अगले दिन रवि को मिला, जब मैं दुकान में था तो रवि मुझसे मिलने के लिए दुकान मे आया हुआ था। हम दोनों ने काफी समय बाद एक दूसरे से मुलाकात की थी।

रवि ने मुझे अपनी शादी का कार्ड दिया वह मुझे कहने लगा तुम्हें मेरी शादी में जरूर आना होगा। मैंने रवि को कहा हां क्यों नहीं मैं तुम्हारी शादी में जरूर आऊंगा। रवि थोड़ी देर दुकान में रहा और फिर वह चला गया। रवि अब जा चुका था मैं अपना काम संभाल रहा था। उस दिन पापा दुकान में नहीं आए थे और मैं उस दिन देर से घर पहुंचा। जब उस दिन मैं घर पहुंचा तो मां ने खाना बना लिया था। अब हम लोगों ने साथ में डिनर किया पापा पहले से ठीक महसूस कर रहे थे और वह मुझे कहने लगे अब मैं पहले से अच्छा महसूस कर रहा हूं। पापा की तबीयत में काफी सुधार आ चुका था वह भी दुकान में आने लगे थे। वह दुकान का काम संभालने लगे थे। मुझे कुछ दिनों के लिए सामान लेने के लिए दिल्ली जाना था। मैं जब दिल्ली गया तो मैं अपने चाचा जी के घर पर ही रुका। मेरे चाचा जी दिल्ली में ही रहते हैं वह काफी वर्षो से वहां पर रह रहे हैं। वह दिल्ली में ही नौकरी करते हैं मुझे उस दिन उनसे मिलकर काफी अच्छा लगा। काफी दिनों बाद में उनसे मिला था और मैं कुछ दिनों तक उनके घर पर ही रहा।

अब मैं वापस रोहतक लौट आया था। मैं जब रोहतक वापस लौटा तो मैं अब काम संभालने लगा था। मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था इसलिए मैं अपने दोस्तों से भी नहीं मिल पाया था। काफी दिन हो गए थे मैं अपने दोस्तों से भी नहीं मिला था। मैंने सोचा क्यों ना अपने दोस्तों से मिल लूं। मैं अपने दोस्तों से मिलने के लिए उस दिन अपने कॉलेज के बाहर कैंटीन में चला गया। वहां पर अक्सर वह लोग आया करते हैं उस दिन हम लोग मिला तो मुझे काफी अच्छा लगा। अब मेरी भी शादी की उम्र होने लगी थी इसलिए पापा और मम्मी चाहते थे मैं शादी कर लूं लेकिन मुझे थोड़ा समय चाहिए था। जब पहली बार में सुनीता से मिला तो मुझे काफी अच्छा लगा। सुनीता को मेरे परिवार वालों ने मेरे लिए पसंद किया था। जब मैं सुनीता से पहली बार मिला तो मेरे लिए यह काफी अच्छा था और मैंने सुनीता से शादी के लिए हां कह दिया था। अब हम दोनों की इंगेजमेंट हो गई थी। जब हम दोनों की सगाई हुई तो उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें करने लगे थे और हम दोनों की बातें काफी ज्यादा होने लगी थी। हम दोनों फोन पर घंटों बातें किया करते मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब भी मैं सुनीता से फोन पर बातें किया करता।

सुनीता और मैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं हम दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे। हम दोनों की शादी के लिए सब लोग तैयार थे और जल्द ही हम दोनों की शादी हो गई। जब हम दोनों की शादी हुई तो मैं काफी खुश था। सुनीता मेरी पत्नी बन चुकी है और सुनीता ने घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा लिया था। उसने जिस तरीके से घर की जिम्मेदारियों को निभाया था वह मेरे लिए काफी अच्छा था और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था। सुनीता और मैं एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी के हर एक पल को अच्छे से बिता रहे है। हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश हैं। वह मेरे साथ शादीशुदा जीवन में काफी खुश हैं। मुझे जब भी मौका मिलता तो मैं सुनीता के साथ ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करता और वह भी मेरे साथ काफी खुश है। सुनीता चाहती थी वह नौकरी करे। सुनीता ने मुझसे इस बारे में कहा तो मैंने भी सुनीता से कहा अगर तुम नौकरी करना चाहती हो तो मुझे इसमें कोई भी ऐतराज नहीं है। सुनीता ने नौकरी करने का फैसला कर लिया था। सुनीता नौकरी करने लगी थी और मेरे लिए यह अच्छा था वह नौकरी कर रही थी और घर की जिम्मेदारियों को भी संभाल रही थी। मैंने सुनीता को कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं किया। सुनीता मेरे साथ काफी खुश है जिस तरीके से हम दोनों की जिंदगी चल रही है उस से हम दोनो एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताने की कोशिश करते हैं।

सुनीता और मैं एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। हम दोनों जब भी एक दूसरे के साथ होते है तो हमे काफी अच्छा लगता। हम दोनों के बीच सेक्स संबंध भी कई बार बन चुके हैं और जब भी हम लोगों के बीच में शारीरिक संबंध बनते हैं तो हमें बहुत ही अच्छा लगता है। सुनीता और मैं एक दूसरे के साथ सेक्स संबध बनाते है तो सुनीता को बहुत ही अच्छा लगता है। एक दिन हम दोनो दोपहर के समय साथ में बैठे हुए थे। उस दिन घर पर कोई भी नहीं था इसलिए हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के बारे में सोचने लगे। जब मैंने सुनीता के होंठों को चूमना शुरू किया तो वह भी गरम होने लगी और मैं भी काफी गर्म हो चुका था। मैं बहुत ही ज्यादा खुश था अब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा रहे थे। हम दोनों बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुके थे। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो सुनीता ने उसे अपने मुंह में लेना शुरू किया। वह मेरी गर्मी को बढाती जा रही थी और मेरे लंड से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था। मैं पूरी तरीके से गर्म हो चुका था उसने मेरे लंड को अपने मुंह मे समा लिया था। जब उसने मुझे कहा तुम मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दो।

मैंने भी अब उसकी योनि को चाटकर उसकी गर्मी को बढ़ाना शुरू कर दिया था। मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को घुसाया तो वह बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी और मैं भी गर्म हो चुका था। मैंने उसे तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए थे और उसकी सिसकारियां तेजी से बढ़ती जा रही थी। उसकी सिसकारियां बढने लगी थी। मैंने अब उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखते हुए तेजी से धक्का देना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे और भी तेजी से धक्के दो। मैं उसे बड़ी ही तेजी से धक्के दिए जा रहा था और मेरे धक्कों मे और भी ज्यादा तेजी आती जा रही थी। जब मेरा वीर्य मेरे अंडकोषो से बाहर की तरफ को गिरा तो मैं खुश हो गया था।अब सुनीता भी काफी ज्यादा खुश थी हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छे से सेक्स का मजा ले पाए थे। हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को पूरी तरीके से शांत कर दिया था और उसके बाद भी हम दोनों अक्सर एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाया करते। जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाते तो हम दोनों को बहुत अच्छा लगता और सुनीता मेरे लंड को लेने के लिए हमेशा तैयार रहती है।
 
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