रंडी पड़ोसन झाड में दबोची

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नमस्कार दोस्तों,

मैं विनु आज आपको एक नयी मस्त चुदाई की कहानी सुनाने जा राहों और मुझे मालुम इस आपका लंड खड़ा होका तर्र भी हो जाएगा और शायद किसी लौंडिया चुत तो पक्का ही अपना अपना सारा रस छोड़ देगी | इसमें आज आपको अपनी रंडी पडोसन की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसकी चुदाई मैंने गली की झाड में ही की थी | हुआ यूँ की मेरे घर के सामने ही सामने ही बचपन से एक मस्त जवान लौंडिया रहा करती थी | दोस्तों, मैंने उसके नाम पर तो कभी ध्यान नहीं दिया पर एक दिन मैंने सुना की वो बहुत मोटे हट्टे - कटते लंड पर फिसल जाया करती है |

बस यही सुन मेरा दिमाक चकरा गया और मैंने भी अब उसकी चुत मरने की सोच ली किसी भी तौर पर अपने आपको रोकने नहीं वाला था | मैंने एगले ही पल से बस उसे अपना बनाने की ठान लिया और अच्छे - खासे प्लान के साथ ही उसे सामने की गली में रोक लिया और कहने लगा,

मैं - सबको चुत का पानी चखाती है | तनिक मेरी भी तो प्यास बुझा . .. ! !

तभी उसने मेरा कोल्लर पकड़ लिया जिसपर मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए सामने के की झाड में ले गया | अब अंदर जाते ही किसी को भी नज़र नहीं आने वाले थे | मैंने वहीँ होठों से उसकी मुंह को भरकर चूसने नीचे से उसकी चूचियों को दबा रहा था | वो भी बड़ी बेचैन हो गयी और साली ने अपने सारे कपड़े वहीँ उतार दिया | अब तो वो सालिया वहीँ मेरे सामने नंगी खड़ी थी जिसपर मुझे यकीन नहीं हुआ | मैं वहीँ उसके चुचों को अच्छे से मसलता हुआ पीने लगा और नीचे से उसकी चुत ओअर अपनी उंगलियां फेर रहा था | मैंने अब कुछ ही देर बाद उसे वहीँ किसी कुतिया की मुद्रा में बैठा दिया |

वो अब थककर हांफ रही थी और मैं पीछे से बैठा हुआ उसकी चुत में अपनी उँगलियाँ आगे - पीछे दे रहा रहा था | मैं बीच मैं कभी - कभार उसकी गांड के छेद को भी चूम लेता और उसकी चर्बी वाली डगमगाती गांड पर थप्पड़ पेल देता | मैं कुछ देर बाद अपने लंड उसकी चुत पर टिका दिया और मस्त वाले धक्कों के साथ उसकी चूत में डालना शुरू कर दिया जिससे मेरा लंड कुछ ही देर मैं उसकी चुत में पूरा जाने लगा था | वो अब बिलकुल कुतिया की तरह हांफ रही थी पर साली बिलकुल नशे में सिस्कारियां भर रही थी | उसे मेरे लंड से अब तो जैसे अपनी चुत ही फटवानी थी |

वो अपनी गांड को हिलाती हुई मेरे लंड को अपनी चुत में समां ले रही थी और मैं भी बिलकुल मज़े में तर्र होकर उसके चुचों को नीचे से थपथापा देता | मैं झाड में उसकी चुत को अब लगभग २० मिनट में चोदता रहा और आखिर मैं अपने सारे मुठ को उसी के उप्पर छोड़कर वहीँ नीचे लेट गया | उसे अभी भी शान्ति नहीं मिली थी और मेरे उप्पर चढकर मेरी छाती को चूम रही थी और नीचे से अपनी ऊँगली चुत में डाल रही थी जिससे उसकी चुत का पानी भी कुछ देर में ही झड गया |
 
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