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Randi Maa Ka Purana Aashiq

नमस्ते मित्रों, मैं अंजलि पांडे (उम्र २०) आज आप लोगों को मेरी रंडी माँ और उसके पुराने आशिक़ के बिच हुई चुदाई के बारें में बताने वाली हूँ। कृप्या अपना लंड / चुत थामकर यह कहानी पढ़े।

एक बार हम लोग बाजू के गांव में मेला देखने गए थे। मेले में घूमते वक़्त पिताजी आगे चल रहे थे, मैं माँ का हाथ पकड़े उसके साथ चल रही थी। तभी एक आदमी हमारे सामने आकर खड़ा हो गया और वह माँ को देखकर मुस्कुराने लगा।

माँ ने मुझे आगे जाने को कहा। उसके चेहरे का हाव-भाव बदल गया था।

मैं आगे जाकर एक दुकान के पास खड़ी हो गई, क्योंकि मुझे दाल में कुछ काला नज़र आ रहा था। मैंने देखा कि माँ और वह आदमी पासवाली दुकान के सामने चले गए।

माँ चूड़िया खरीदने लगी, तब उस आदमी ने अपना मोबाइल फ़ोन निकाला और माँ को कुछ दिखाने लगा। माँ शर्मा गई और उस आदमी के कंधे पर अपना सर रख दिया। उस आदमी ने अपना हाथ माँ की मोटी गांड पर रखा और उसे हल्के से दबाया।

थोड़ी देर और बात करने के बाद, वह आदमी वहाँ से चला गया। घर आने तक मैंने माँ के चेहरे पर कभी नहीं दिखने वाली रौनक देखी। तब मैं समझ गई कि हो न हो, मेले में मिला वह आदमी माँ का पुराना आशिक़ है।

रात को बर्तन धोते समय मैंने माँ से वह आदमी के बारें में पूछा। माँ ने मुझे कहा कि वह उसकी सहेली का भाई है, जो काफी सालों बाद गांव लौटा है। इससे ज़्यादा कुछ न बोलते हुए माँ सोने चली गई।

अगले दिन सुबह, मैं माँ के साथ सब्ज़ी लेने के लिए मंडी गई। मंडी के आखिरी छोर पर पहुँचकर माँ मुझसे बोली, "अंजली, तू अब घर चली जा। मैं अपनी सहेली के घर जाकर आती हूँ।"

माँ ने मुझे सब्ज़ियों से भरी थैली और अपना मोबाइल फ़ोन पकड़ा दिया।

मैं थोड़ी दूर चलकर रुक गई। मुझे माँ पर शक हो रहा था, इसलिए मैंने उसका पीछा करना शुरू किया। माँ हमारे गांव के पार्क की तरफ जा रही थी। पार्क के गेट के सामने वह आदमी खड़ा था।

माँ उसके पास गई और फिर दोनों एक दूसरे के कमर पर हाथ रखकर अंदर चले गए।

मैं पार्क के अंदर जाकर माँ और उस आदमी को ढूढ़ने लगी। थोड़ी दूर चलकर मुझे ये दोनों दिखे। वह आदमी बेंच पर बैठा था और मेरी रंडी माँ उसकी गोद में। माँ उस आदमी की तरफ चेहरा करके बैठी थी।

दोनों अपने प्यार में खोए हुए थे। उस आदमी ने अपने हाथों को माँ की साडी के अंदर घुसा दी थी। वह माँ की नंगी गांड को मसल रहा था। माँ भी उत्तेजित होकर उसके होठों की चुंबन ले रही थी। १० मिनट तक ऐसे ही चलता रहा।

फिर उस आदमी ने अपनी पैंट के अंदर हाथ डाली। माँ ने उसे रोका और कुछ बोलने लगी। मैंने सोचा कि चलो कुछ तो शर्म बाकी है इस छिनाल में ।

थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनों अपने कपड़े ठीक करने लगे। उस आदमी ने माँ की एक चुंबन ली और वह चला गया।

मैं भी वहाँ से निकलकर घर चली आई। मेरे घर आने के ठीक ५ मिनट बाद मेरी रंडी माँ ने भी घर में कदम रखा। दिन भर मैंने उसकी आखों में एक कामुक चमक देखी।

दोपहर को माँ सोने के बजाय अपनी चुत के बाल काट रही थी। मैं समझ गई की साली रंडी अपने आशिक़ की इच्छा पूरी कर रही है।

माँ ने मेरे हाथों से अपने शरीर की तेल मालिश भी करवाई। इसका मतलब साफ़ था कि यह रांड की पिल्ली बहुत जल्दी चुदने वाली है। इस औरत की चुत को सिर्फ पिताजी का लंड काफी नहीं पड़ता।

हमारे घर में सिर्फ़ एक ही कमरा है जहाँ, एक कोने में माँ-पिताजी सोते हैं और दूसरे कोने में मैं। अंदर छोटा-सा रसोई-घर है, संडास-बाथरूम बाहर है। सुबह सबसे पहले माँ उठती हैं, ०६: ०० बजे मैं।

रात को पिताजी शराब पीकर आते हैं, तो वह सुबह ०७: ३० बजे तक ही उठते हैं।

उस रात मैंने सोचा कि माँ पर अबसे कड़ी नज़र रखूँगी। मुझे देखना था कि उसकी चुदाई कहा और कैसे होती है। मुझे टट्टी आ रही थी पर रात को इतनी ठंड में बाहर कौन जायेगा ऐसा सोचकर मैं सो गई।

कुछ घंटे सोने के बाद, मेरी नींद तूट गई। अब मुझे ज़ोर की टट्टी लगी थी। मेरे उठने से पहले मेरी माँ उठ गई। मुझे लगा शायद वह पेशाब करने उठी होंगी। माँ के पीछे मैं भी जाने लगी, तभी मुझे वह आदमी बाथरूम के बाहर खड़ा नज़र आया।

मैं रसोई-घर में छिप गई और खिड़की से बाहर देखने लगी। उस आदमी ने माँ को उठाया और बाथरूम में ले गया।

मैं दबे पाँव चलकर बाथरूम की खिड़की के पास खड़ी हो गई। यह सब कुछ देखकर मेरी टट्टी रुक गई। अब तो मेरी चुत में हलचल होने लगी थी।

बाथरूम में माँ और वह आदमी एक दूसरे को बाहों में भरकर चुम्मियाँ ले रहे थे। वह आदमी माँ की मैक्सी उठाकर अपने हाथों से माँ के चूतड़ों को फैला रहा था। माँ भी सिसकियाँ लेते हुए गरम हो रही थी।

माँ ने अपनी मैक्सी उतार दी और उस आदमी ने अपनी लुंगी।

वो आदमी माँ की निप्पल चूसने लगा और माँ उसके लंड को थूक लगाकर हिलाने लगी। माँ के गोल और बड़े स्तनों को वह आदमी अपने हाथों से दबाने लगा, तब माँ की थोड़ी सी चीख निकल गई। उसकी चुत का पाने भी छूटने लगा था।

माँ झुककर उस आदमी का लंड चूसने लगी। उसका काला-मोटा लंड माँ बड़े चाव से चूस रही थी। वह आदमी आगे की तरफ झुक गया और अपनी ऊँगली को माँ की गांड की छेद के अंदर घुसा दी।

थोड़ी देर ऊँगली को अंदर-बाहर करने के बाद उसने अपनी ऊँगली बाहर निकाली और सूंघने लगा।

थोड़ी देर के बाद माँ खड़ी होकर घूम गई। वह आदमी ने अपने लंड को पीछे की तरफ से माँ की चुत में घुसा दिया। यह नज़ारा देखकर मैंने भी अपनी चुत में ऊँगली घुसा दी।

ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए वह माँ को चोदने लगा। अपना एक हाथ उसने माँ के मुँह पर रख दिया, ताकि उसकी चीखें सुनाई न दे। दूसरे हाथ से वह माँ की गांड की छेद में ऊँगली करने लगा।

उस आदमी ने ऊँगली इतनी ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर की, जिससे माँ अपनी गांड हिलाने लगी। गांड से ऊँगली निकालकर उसने माँ को उसकी स्वाद चटाई, फिर उस ऊँगली को अपने मुँह में डालकर चाती।

वह आदमी उत्तेजित होकर माँ की चुत को और ज़ोर से धक्के मारकर चोदने लगा।

कुछ देर तक माँ के होठों को चूमने के बाद उसने माँ को झुका दिया। माँ की गांड की छेद में थूक लगाकर उसने अपने लंड को अंदर घुसा दिया। एक-दो धक्कों में उसका लंड पूरा अंदर चला गया।

इतने में माँ की चीख निकल गई और उसने अपने मुँह पर हाथ रख दिया।

शायद निचे झुककर चुदने में माँ को मज़ा नहीं आ रहा था, इसलिए वह खड़ी हो गई। माँ दिवार की तरफ पीठ रखकर खड़ी हुई। उस आदमी ने माँ का एक पैर उठा दिया और फिरसे गांड में लंड घुसाने लगा। माँ की सिसकियाँ तेज़ हो गई।

माँ की चीखें अब बढ़ने लगी थी। इतनी देर तक चुदाई की आदत उसे नहीं होने के कारण वह मस्त होकर ज़ोर से चीख रही थी। आखिर में उस आदमी ने माँ की गांड में ही अपने लंड का पानी झड़ दिया।

दोनों ने फिर एक दूसरे को पानी से साफ़ किया और बाथरूम से बाहर आ गए। मैं तब तक रसोई-घर पहुँच चुकी थी। वह आदमी कंपाउंड से उछलकर बाहर चला गया। मैं अपने जगह पर आकर लेट गई और थोड़ी देर बाद माँ भी आकर लेट गई।

तो यह थी मेरी रंडी माँ और उसके आशिक़ की चुदाई की कहानी। आप मुझे ज़रूर बताना की आपको मेरी माँ का कारनामा कैसा लगा।
 
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